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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सूडान में संकट

  • 05 Jan 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सूडान और उसके पड़ोसी देश।

मेन्स के लिये:

सूडान में संकट, इसके कारण और आगे का रास्ता, सूडान में उथल-पुथल का इतिहास।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने देश को राजनीतिक अनिश्चितता में डालते  हुए इस्तीफा दे दिया है।

  • श्री हमदोक जिन्हें अक्तूबर 2021 में सेना द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था और कुछ सप्ताह बाद एक सौदे के हिस्से के रूप में बहाल किया गया था, ने देश में सेना विरोधी प्रदर्शन जारी रहने के कारण अपना पद छोड़ दिया है।
  • सूडानी लोकतंत्र समर्थक समूहों ने सेना के साथ श्री हमदोक के समझौते को खारिज़ कर दिया और जनरलों को एक स्वतंत्र नागरिक प्राधिकरण को सत्ता सौंपने की मांग की।

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प्रमुख बिंदु

  • अस्थिर सूडान:
    • तख्तापलट के बाद क्रूर सैन्य शासन के कारण सूडान में गतिरोधकी स्थिति है। इस संबंध में एक खराब रिकॉर्ड वाले महाद्वीप पर सूडान वर्ष 1956 में स्वतंत्रता के बाद से छह तख्तापलट और 10 असफल प्रयासों के साथ अपने स्वयं के वर्ग में है।
    • स्वतंत्रता के बाद से  केवल कभी-कभार विराम के साथ सूडान को एक अरब अभिजात वर्ग द्वारा शासित किया गया है, जो अपने लोगों की कीमत पर देश की संपत्ति को लूटने पर आमादा है। 
    •  सेना के माध्यम से संचालित यह शासन सही मायने में एक ‘क्लेप्टोक्रेसी’ यानी चोर-तंत्र है।
      • ‘क्लेप्टोक्रेसी’ का आशय एक ऐसी सरकार से है, जिसके भ्रष्ट नेता राजनीतिक शक्ति का उपयोग कर अपने राष्ट्र की संपत्ति का अधिग्रहण करते हैं, यह आमतौर पर व्यापक आबादी की कीमत पर सरकारी धन के गबन या दुरुपयोग के माध्यम से किया जाता है।
    • इसका परिणाम यह हुआ कि सूडान एक ऐसे देश के रूप में सामने आया, जो युद्धों और केंद्र एवं निरंकुश परिधियों के बीच संघर्ष से घिरा हुआ है। सेना तथा उसके सहयोगियों, विशेष रूप से रैपिड सपोर्ट फोर्स ने अपनी शक्ति का उपयोग रक्षा उद्योगों से परे अपने आर्थिक हितों के लिये किया है।
      • नागरिक शासन, पारदर्शिता और लोकतंत्र लाने के साथ-साथ, शासकों के वित्तीय हितों के लिये खतरा होगा।
    • सूडान के आम लोग दशकों से कुशासन के शिकार रहे हैं। 100% से अधिक की मुद्रास्फीति दर का सामना करती हुई लगभग एक-चौथाई आबादी मुश्किल से अपना पेट भर पाती है और लाखों लोग शरणार्थी शिविरों में रहते हैं।
    • इसके विपरीत अभिजात वर्ग की स्थिति काफी बेहतर है। इसलिये अभिजात वर्ग यथास्थिति बनाए रखने हेतु संघर्ष कर रहा है।
  • वर्तमान संकट:
    • अप्रैल 2019 में एक लोकप्रिय क्रांति द्वारा नरसंहार के लिये दोषी जनरल उमर अल-बशीर के पतन के बाद से मंथन तेज़ हो गया है।
    • इसके बाद,संप्रभुता परिषद, जो कि एक 11 सदस्यीय निकाय है, जिसमें सैन्य और नागरिक नेता शामिल थे, ने सैन्य नेतृत्व वाली ट्रांजीशन काउंसिल की जगह ली तथा हमदोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। 
    • संप्रभुता परिषद के शासन के दौरान, सूडान ने विद्रोही समूहों के साथ एक शांति समझौता किया, महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation) पर प्रतिबंध लगा दिया, इज़राइल के साथ शांति स्थापित की और आर्थिक सहायता हेतु अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों तक अपनी पहुंँच स्थापित की।
    • इस अवधि के दौरान अमेरिका ने आतंकवाद प्रायोजक राज्य की सूची से देश को हटा दिया। घरेलू सुधार और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता ने सुझाव दिया कि सूडान पूर्ण लोकतंत्र में धीमी लेकिन स्थिर संक्रमण के दौर से गुज़र रहा था।
    • सेना द्वारा तुरंत पलटवार किया गया, जिसमें काफी लोग मारे गए। श्री हमदोक के नेतृत्व  में जनरल और टेक्नोक्रेट्स का एक गठबंधन, अगस्त 2019 से अक्तूबर 2021 तक शासित रहा है।
      • उस तथाकथित संक्रमणकालीन सरकार को चुनावों के लिये मार्ग प्रशस्त करना था। जो कि वर्तमान समय में पहले से कहीं अधिक मुश्किल लग रहा है। 
    • हालिया तख्तापलट (वर्ष 2021) के बाद से प्रदर्शनकारियों द्वारा एक लोकतांत्रिक सरकार के लिये विरोध किया जा रहा है।
  • रूस और चीन का दृष्टिकोण:
    • रूस की आपूर्ति:
      • एक अतिरिक्त जटिलता जनरलों के लिये रूस का समर्थन है। रूस के हितों में काम करने वाले भाड़े के संगठन वैगनर ने मिलिशिया और अन्य उपहारों के लिये प्रशिक्षण प्रदान किया है।
      • रूस ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सूडान को एक कवच के रूप में तैयार कर दिया है, जो पश्चिम के खिलाफ अपनी भूमिका निभाता है।
    • चीन का निवेश:
      • सूडान में चीन के व्यापक निवेश ने भी सेना को सुरक्षा प्रदान की है; चीन सुशासन पर स्थिरता का पक्षधर है।

आगे की राह

  • सेना अब मुश्किल स्थिति में है। यह देखते हुए कि नागरिक-सैन्य संबंध पहले से ही टूटने के बिंदु पर है।
    • संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि वर्ष 2022 में देश के 43 मिलियन लोगों में से कम से कम एक तिहाई को मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी। सूडान चाहता है वह एक स्थिर, उत्तरदायी सरकार, जो देश की असंख्य समस्याओं का तत्काल समाधान कर सकती है।
    • अंततः, लोकतंत्र के सफल संक्रमण से जिसमें संरचनात्मक आर्थिक सुधार शामिल होंगे, बशीर-युग की संपत्ति की जवाबदेही और प्रतिधारण जैसे मुद्दों पर कुछ अरुचिकर समझौता करने की संभावना होगी।
  • सभी सूडानी पार्टियों के बीच "समावेशी, शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान तक पहुँचने के लिये" एक सार्थक बातचीत होनी चाहिये।
  • लेकिन एक वास्तविक संक्रमण को सेना को देश के अंतिम अधिकार के रूप में कार्य करने से रोकना चाहिये, समय सारिणी को पुनर्व्यवस्थित करने और शासी अधिकारियों को हटाने में सक्षम होना चाहिये।

स्रोत- द हिंदू

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