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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अफ्स्पा को आंशिक रूप से खत्म करने की तैयारी

  • 05 Jul 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों ?

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम और अरुणाचल प्रदेश से अफ्स्पा (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) को आंशिक रूप से हटाने के संकेत दिये हैं। दरअसल, दोनों राज्यों में सुरक्षा स्थिति में सुधार को देखते हुए गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
  • दोनों राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई  है, जिसके मद्देनज़र दोनों राज्यों में अफ्स्पा को आंशिक रूप से हटाने के बारे में राज्य सरकारों से भी राय ली गई है।
  • विदित हो कि इससे पहले हाल ही में इन राज्यों में अफ्स्पा की अवधि को घटाने की भी पहल की गई थी, लेकिन इस साल मई में केंद्र सरकार ने पूरे असम को अशांत घोषित करते हुए, अफ्स्पा की अवधि में तीन महीने का इज़ाफा किया था।
  • गौरतलब है कि असम में वर्ष 1990 से और अरुणाचल प्रदेश के तीन ज़िलों तीरप, चांगलांग और लोंगडिंग में जनवरी 2016 से अफ्स्पा लागू है।

क्या है अफ्स्पा ?

  • सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) 1958 में संसद द्वारा पारित किया गया था। आरंभ में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में भी यह कानून लागू किया गया था।
  • विदित हो कि मणिपुर सरकार ने केंद्र सरकार के विरोध के बावजूद 2004 में राज्‍य के कई हिस्‍सों से इस कानून को हटा दिया। बढ़ती उग्रवादी गतिविधियों के चलते जम्‍मू-कश्‍मीर में 1990 में यह कानून लागू किया गया था। तब से आज तक जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून लागू है, लेकिन  राज्‍य का लेह-लद्दाख क्षेत्र इस कानून के अंतर्गत नहीं आता।
  • इसमें धारा-4 के अनुसार, सुरक्षा बल का अधिकारी संदेह होने पर किसी भी स्थान की तलाशी ले सकता है और खतरा होने पर उस स्थान को नष्ट करने के आदेश दे सकता है। 
  • इसमें धारा-6 के अनुसार संदेह होने पर वह किसी को गिरफ्तार कर सकता है।  इस कानून के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्‍यक्ति पर गोली चलाने का भी अधिकार है।  यदि इस दौरान उस व्‍यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही गोली चलाने  या ऐसा आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी।
  • अफस्पा के तहत केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किसी राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित कर, वहाँ केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करती है।

किसी क्षेत्र को आधिकारिक रूप से अशांत घोषित कैसे किया जाता है ?

  • अफस्पा अधिनियम की धारा 3 राज्य तथा संघ शासित क्षेत्रों के राज्यपालों को भारत के राजपत्र पर एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की शक्ति प्रदान करती है, जिसके पश्चात केंद्र को असैन्य क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार मिल जाता है।
  • परन्तु यह अभी भी अस्पष्ट है कि क्या राज्यपाल के पास केंद्र को सेना भेजने का संकेत देने की शक्ति है अथवा केंद्र स्वयं ही सशस्त्र बलों को भेजता है।
  • अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार अशांत घोषित होने पर क्षेत्र में न्यूनतम तीन माह के लिये यथास्थिति बनाए रखनी होगी।

क्या है राज्य सरकारों की भूमिका ?

  • राज्य सरकारें यह सुझाव दे सकती हैं कि इस अधिनियम को लागू किया जाना चाहिये अथवा नहीं, परन्तु इस अधिनियम की धारा 3 के तहत उनके सुझाव को संज्ञान में लेने अथवा न लेने की शक्ति राज्यपाल अथवा केंद्र के पास है।
  • वास्तव में इसे वर्ष 1958 में एक अध्यादेश के माध्यम से लाया गया था तथा तीन माह के भीतर ही इसे निरस्त कर एक अधिनियम के रूप में पारित कर दिया गया। विदित हो कि उस समय इसे केवल असम और मणिपुर के संदर्भ में ही बनाया गया था, क्योंकि इन राज्यों में नागा उग्रवादियों द्वारा विद्रोह किया जा रहा था।
  • परन्तु, वर्ष 1971 में उत्तर-पूर्वी राज्यों का पुनर्गठन होने के पश्चात नए राज्यों जैसे मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश के उदय से अफस्पा अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता महसूस हुई, ताकि इसे प्रत्येक राज्य पर लागू किया जा सके।
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