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शासन व्यवस्था

सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के तहत मूल नियमों का प्रशासन) नियम, 2020

  • 20 Aug 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), मूल के नियम, सीबीआईसी।

मेन्स के लिये:

CAROTAR, 2020 के प्रावधान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक परिपत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि सीमा शुल्क अधिकारियों को सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के तहत मूल नियमों का प्रशासन) नियम (CAROTAR), 2020 को लागू करने में संवेदनशील होना चाहिये और प्रासंगिक व्यापार समझौतों या मूल नियमों के प्रशासन के प्रावधानों के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहिये।

  • राजस्व विभाग और आयातक के बीच संघर्ष के मामले में मूल/ओरिजिन देश के संबंध में एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में निर्दिष्ट छूट लागू होगी।

CAROTAR नियम:

  • परिचय:
    • CAROTAR, 2020 ने मुक्त व्यापार समझौतों के तहत आयात पर प्राथमिकता दर की अनुमति के लिये 'मूल/ओरिजिन के नियमों' को लागू करने के लिये दिशा-निर्देश निर्धारित किये हैं।
    • वे विभिन्न व्यापार समझौतों के तहत निर्धारित मौजूदा परिचालन प्रमाणन प्रक्रियाओं के पूरक हैं।
    • इसे वित्त मंत्रालय द्वारा अगस्त, 2020 में अधिसूचित किया गया था।
  • प्रावधान:
    • एक आयातक को यह सुनिश्चित करने के लिये कि वे निर्धारित मूल मानदंडों को पूरा करते हैं इसकी उचित जाँच करना माल आयात करने से पहल आवश्यक है।
    • एक आयातक को बिल ऑफ एंट्री में मूल से संबंधित कुछ जानकारी दर्ज करनी होगी, जैसा कि मूल प्रमाण पत्र में उपलब्ध है।
    • आयातकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आयातित माल मुक्त व्यापार संधियाँ (FTA) के तहत सीमा शुल्क की रियायती दर का लाभ उठाने के लिये निर्धारित 'मूल के नियम' प्रावधानों को पूरा करता है।
      • आयातकों को यह साबित करना होगा कि आयातित उत्पादों का मूल देशों में कम से कम 35% मूल्यवर्धन हुआ है।
      • इससे पहले, निर्यात के देश में एक अधिसूचित एजेंसी द्वारा जारी किया गया मूल देश का प्रमाण पत्र ही FTA का लाभ उठाने के लिये पर्याप्त था।
      • इसका कई मामलों में फायदा उठाया गया था, यानी FTA भागीदार देश ज़रूरी मूल्यवर्धन के लिये आवश्यक तकनीकी क्षमता के बिना प्रश्नगत माल का उत्पादन करने का दावा करते रहे हैं।
  • निहितार्थ:
    • वे आयातक को मूल देश का सही ढंग से पता लगाने, रियायती शुल्क का उचित दावा करने और FTAs के तहत वैध आयात की सुचारू निकासी में सीमा शुल्क अधिकारियों की सहायता करने के लिये मज़बूर करेंगे।
    • उन्हें आयातक से मूल देश का सही ढंग से निर्धारण करने, रियायती शुल्क का सही दावा करने और FTAs के तहत वैध आयातों की सुचारू निकासी में सीमा शुल्क अधिकारियों की सहायता करने की आवश्यकता होगी।
    • घरेलू उद्योग को FTAs के दुरुपयोग से बचाया जाएगा।
    • इन नियमों के तहत जिस देश ने भारत के साथ FTA किया है, वह किसी तीसरे देश के सामान को सिर्फ लेबल लगाकर भारतीय बाज़ार में डंप नहीं कर सकता है।

मुक्त व्यापार समझौता:

  • परिचय:
    • यह दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु  किया गया एक समझौता है।  इसके तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है जिसके तहत दोनों देशों के मध्य उत्पादन लागत बाकी देशों के मुकाबले सस्ता हो जाता है।
    • इसमें वस्तुओं का व्यापार (जैसे कृषि या औद्योगिक उत्पाद) या सेवाओं में व्यापार (जैसे बैंकिंग, निर्माण, व्यापार आदि) शामिल हैं।
      • इसमें बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), निवेश, सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्द्धा नीति आदि जैसे अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं।
    • भारत ने यूएई, मॉरीशस, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और आसियान सदस्यों सहित कई देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • लाभ:
    • टैरिफ और कुछ गैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करके एफटीए भागीदारों को एक दूसरे देशों में बाज़ार तक आसान पहुँच प्राप्त होती है।
    • निर्यातक बहुपक्षीय व्यापार उदारीकरण के बजाय एफटीए को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उन्हें गैर-एफटीए सदस्य देश के प्रतिस्पर्धियों पर तरजीही उपचार मिलता है।

प्रश्न. 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी' शब्द अक्सर किन देशों के समूह के संदर्भ में समाचारों में आता है? (2016)

(a) जी20
(b) आसियान
(c) शंघाई सहयोग संगठन
(d) सार्क

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), आसियान के दस सदस्य देशों तथा पाँच अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) द्वारा अपनाया गया एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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