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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्बन फुटप्रिंट

  • 09 Mar 2024
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क, स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क, लाइफलॉन्ग लर्निंग, मशीन लर्निंग, ChatGPT, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन, कार्बन फुटप्रिंट

मेन्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्बन फुटप्रिंट, AI की बढ़ती ऊर्जा खपत से संबंधित पर्यावरणीय चिंताएँ, सतत् AI

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक में प्रगति के साथ इसका ऊर्जा-गहन संचालन पर्यावरण संबंधी गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करता है। इन चुनौतियों के बावजूद स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क्स और लाइफलॉन्ग लर्निंग जैसी उन्नत प्रगति जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का समाधान करने की क्षमता के साथ AI के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिये आशाजनक मार्ग प्रदान कर सकती है।

स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क्स और लाइफलॉन्ग लर्निंग क्या हैं?

  • स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क (SNN):
    • SNN एक प्रकार का कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क है जो मानव के मस्तिष्क की तंत्रिका संरचना से प्रेरित है।
    • पारंपरिक ANN, डेटा को संसाधित करने के लिये निरंतर संख्यात्मक मानों का उपयोग करते हैं जबकि SNN, क्रियाकलाप के विभिन्न स्पाइक्स अथवा पल्स के आधार पर कार्य करते हैं।
      • जिस प्रकार मोर्स कूट संदेशों को संप्रेषित करने के लिये बिंदुओं और डैश के विशिष्ट अनुक्रमों का उपयोग करता है, उसी प्रकार SNN सूचना को संसाधित करने तथा संचारित करने के लिये स्पाइक्स के पैटर्न अथवा समय का उपयोग करते हैं। यह ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार मस्तिष्क में न्यूरॉन्स विद्युत आवेगों के माध्यम से संचार करते हैं जिन्हें स्पाइक्स कहा जाता है।
    • स्पाइक्स की यह द्विआधारी, सभी अथवा कोई नहीं (All-or-None) विशेषता SNN को ANN की तुलना में अधिक ऊर्जा-कुशल बनाते हैं क्योंकि वे केवल स्पाइक होने पर ऊर्जा का उपभोग करते हैं जबकि ANN में कृत्रिम न्यूरॉन्स सदैव सक्रिय रहते हैं।
      • स्पाइक्स की अनुपस्थिति में, SNN उल्लेखनीय रूप से ऊर्जा की कम खपत करते हैं जो उनकी ऊर्जा-कुशल प्रकृति में योगदान देता है।
      • क्रियाकलाप और घटना-संचालित प्रसंस्करण विशिष्टता के कारण ANN की तुलना में  SNN की ऊर्जा-कुशल क्षमता 280 गुना अधिक है।
    • SNN के ऊर्जा-कुशल गुण उन्हें अंतरिक्ष अन्वेषण, रक्षा प्रणालियों और स्व-चालित कारों सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त बनाते हैं, जहाँ ऊर्जा संसाधन सीमित हैं।
    • संबद्ध विषय में शोध किये जा रह हैं जिनका उद्देश्य SNN को और अधिक अनुकूलित करना तथा व्यावहारिक अनुप्रयोगों की एक विस्तृत शृंखला हेतु उनकी ऊर्जा दक्षता का उपयोग करने के लिये शिक्षण एल्गोरिदम विकसित करना है।
  • लाइफलॉन्ग लर्निंग (L2):
    • लाइफलॉन्ग लर्निंग (L2) अथवा लाइफलॉन्ग मशीन लर्निंग (LML) एक मशीन लर्निंग प्रतिमान है जिसमें अधिगम (Learning) की निरंतर प्रक्रिया शामिल है। इसमें पूर्व में किये गए कार्यों से ज्ञान संचय करना और भविष्य में सीखने तथा समस्या-समाधान में सहायता के लिये इसका उपयोग करना शामिल है।
    • L2, ANN की उनकी समग्र ऊर्जा मांगों को कम करने की एक रणनीति के रूप में कार्य करता है।
      • नए कार्यों हेतु ANN को क्रमिक रूप से प्रशिक्षित करने इसके पूर्व के ज्ञान का लोप हो जाता है जिसके पारिणामस्वरूप इसके संचालन प्रक्रिया में परिवर्तन के साथ शुरुआत से प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है जिससे AI से संबंधित उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
    • L2 में एल्गोरिदम का एक संग्रह शामिल है जो AI मॉडल को पूर्व के ज्ञान के न्यूनतम लोप के साथ कई कार्यों हेतु क्रमिक रूप से प्रशिक्षित होने में सक्षम बनाता है।
      • यह दृष्टिकोण पुनः प्रशिक्षण की आवश्यकता के बिना मौजूदा ज्ञान के माध्यम से नई चुनौतियों के अनुकूल होते हुए निरंतर अधिगम की सुविधा प्रदान करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्बन फुटप्रिंट अधिक क्यों है?

  • ऊर्जा की बढ़ती खपत:
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कार्बन फुटप्रिंट का आशय AI सिस्टम के निर्माण, प्रशिक्षण और उपयोग के दौरान उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस की मात्रा से है।
    • AI की बढ़ती मांग से प्रेरित डेटा केंद्रों का प्रसार, विश्व की ऊर्जा खपत में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
      • अनुमानित रूप से वर्ष 2025 तक वैश्विक स्तर पर उत्पादित विद्युत के कुल उपभोग में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का योगदान 20% तक हो सकता है और साथ ही विश्व के कुल कार्बन उत्सर्जन में इसका योगदान लगभग 5.5% हो सकता है।
  • AI प्रशिक्षण उत्सर्जन:
    • GPT-3 और GPT-4 जैसे बड़े AI मॉडल को प्रशिक्षित करने में पर्याप्त ऊर्जा की खपत होती है और व्यापक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जित होता है।
      • अनुसंधान के अनुसार एक एकल AI मॉडल के प्रशिक्षण के दौरान होने वाला कार्बन उत्सर्जन कई कारों के संपूर्ण उपयोग के दौरान होने वाले उत्सर्जन के समान हो सकता है।
      • GPT-3 प्रतिवर्ष 8.4 टन CO₂ उत्सर्जित करता है। 2010 के दशक की शुरुआत में AI बूम की शुरुआत के बाद से लार्ज लैंग्वेज मॉडल (ChatGPT के संचालन से संबंधित तकनीक का प्रकार) के रूप में जाने जाने वाले AI सिस्टम की ऊर्जा आवश्यकताएँ 300,000 गुना बढ़ गई हैं।
  • हार्डवेयर की खपत:
    • AI की कंप्यूटेशनल मांगें एनवीडिया जैसी कंपनियों द्वारा प्रदान किये गए GPU जैसे विशेष प्रोसेसर पर काफी हद तक निर्भर करती हैं, जो पर्याप्त विद्युत की खपत करते हैं।
      • ऊर्जा दक्षता में सुधार के बावजूद ये प्रोसेसर अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग दक्षता:
    • AI परिनियोजन के लिये आवश्यक प्रमुख क्लाउड कंपनियाँ कार्बन तटस्थता एवं ऊर्जा दक्षता के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती हैं।
      • डेटा केंद्रों में ऊर्जा दक्षता में सुधार के प्रयासों द्वारा आशाजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं, कंप्यूटिंग कार्यभार में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद ऊर्जा खपत में केवल मामूली वृद्धि हुई है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ:
    • AI में तीव्र प्रगति तात्कालिक पर्यावरणीय चिंताओं पर बोझ बढ़ा सकती है, जो AI विकास एवं तैनाती में स्थिरता के प्रति संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
      • AI के आशाजनक भविष्य के बावजूद, इसके पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में चिंताएँ बनी हुई हैं, विशेषज्ञों द्वारा AI परिनियोजन में कार्बन पदचिह्न पर अधिक विचार करने का आग्रह किया है।

AI का वॉटर फुटप्रिंट

  • AI का वॉटर फुटप्रिंट AI मॉडल चलाने वाले डेटा केंद्रों में बिजली उत्पादन एवं शीतलन के लिये उपयोग किये जाने वाले जल से निर्धारित होता है।
    • वॉटर फुटप्रिंट में प्रत्यक्ष रूप से जल की खपत (शीतलन प्रक्रियाओं से) एवं अप्रत्यक्ष रूप से जल की खप (विद्युत उत्पादन के लिये) शामिल होती है।
  • वॉटर फुटप्रिंट को प्रभावित करने वाले कारकों में AI मॉडल प्रकार एवं आकार, डेटा सेंटर स्थान तथा दक्षता, के साथ-साथ  विद्युत उत्पादन स्रोत शामिल हैं।
  • GPT-3 जैसे बड़े AI मॉडल को प्रशिक्षित करने में 700,000 लीटर तक शुद्ध जल की खपत हो सकती है, जो 370  BMW कारों या 320 टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के बराबर है।
    • 20 से 50 Q&A सत्रों के दौरान, ChatGPT जैसे AI चैटबॉट्स के साथ पारस्परिक क्रियाओं पर 500 CC तक जल का उपयोग हो सकता है।
    • बड़े मॉडल आकार वाले GPT-4 से जल की खपत बढ़ने की आशा है, लेकिन डेटा उपलब्धता के कारण सटीक आँकड़ों का अनुमान लगाना कठिन है।
  • डेटा सेंटर से उत्पन्न ऊष्मा के कारण जल-सघन शीतलन प्रणालियों का उपयोग करते हैं, जिससे शीतलन एवं विद्युत उत्पादन के लिये शुद्ध जल की आवश्यकता होती है।

जलवायु परिवर्तन के समाधान में AI कैसे मदद कर सकता है?

  • उन्नत जलवायु मॉडलिंग: जलवायु मॉडल में सुधार करने एवं अधिक सटीक भविष्यवाणियाँ करने के लिये AI बड़ी मात्रा में जलवायु डेटा का विश्लेषण कर सकता है, जिससे जलवायु संबंधी व्यवधानों की आशंका तथा अनुकूलन में सहायता प्राप्त होती है।
  • पदार्थ विज्ञान (Material Science) में प्रगति: AI-संचालित अनुसंधान पवन टर्बाइनों एवं विमानों के लिये हल्की तथा मज़बूत सामग्री विकसित कर सकता है, जिससे ऊर्जा की खपत कम हो सकती है।
  • न्यूनतम संसाधन उपयोग, बेहतर बैटरी भंडारण तथा बढ़ी हुई कार्बन कैप्चर क्षमताओं के साथ सामग्री डिज़ाइन करना स्थिरता प्रयासों में योगदान देता है।
  • कुशल ऊर्जा प्रबंधन: AI प्रणाली नवीकरणीय स्रोतों से विद्युत के उपयोग को अनुकूलित करते हैं और साथ ही ऊर्जा खपत की निगरानी भी करते हैं तथा स्मार्ट ग्रिड, विद्युत संयंत्रों एवं विनिर्माण में दक्षता के अवसरों की पहचान करते हैं।
  • पर्यावरण की निगरानी: उच्च-स्तरीय प्रशिक्षित AI प्रणाली वास्तविक समय में बाढ़, वनों की कटाई एवं अवैध मछली पकड़ने जैसे पर्यावरणीय परिवर्तनों का पता लगा सकते हैं और साथ ही उन पर भविष्यवाणी भी कर सकते हैं।
  • छवि विश्लेषण के माध्यम से फसल पोषण, कीट अथवा रोग संबंधी के मुद्दों की पहचान करके धारणीय कृषि में योगदान देता है।
  • दूरस्थ डेटा संग्रहण: AI-संचालित रोबोट आर्कटिक तथा महासागरों जैसे चरम वातावरण में डेटा एकत्रित करते हैं, जिससे दुर्गम क्षेत्रों में अनुसंधान एवं निगरानी सक्षम हो जाती है।
  • डेटा सेंटरों में ऊर्जा दक्षता: AI-संचालित समाधान सुरक्षा मानकों को बनाये रखते हुए ऊर्जा खपत को कम करने के लिये डेटा सेंटर संचालन को अनुकूलित करते हैं।
  • उदाहरण के लिये, गूगल द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता निर्मित की गई है जो अपने डेटा केंद्रों को विद्युत वितरण के लिये उपयोग की जाने वाली विद्युत की मात्रा को संरक्षित करने में सक्षम है। फर्म की AI अनुसंधान कंपनी, डीपमाइंड द्वारा विकसित मशीन लर्निंग का उपयोग करके केंद्रों को ठंडा रखने हेतु उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को 40% तक कम करना संभव था।

AI को टिकाऊ कैसे बनाया जा सकता है?

  • ऊर्जा उपयोग में पारदर्शिता:
    • AI कार्बन फुटप्रिंट का मानकीकरण माप निर्माताओं को विद्युत की खपत एवं कार्बन उत्सर्जन का सटीक आकलन हेतु सक्षम बनाता है।
      • स्टैनफोर्ड के एनर्जी ट्रैकर एवं माइक्रोसॉफ्ट के उत्सर्जन प्रभाव डैशबोर्ड जैसी पहल AI के पर्यावरणीय प्रभाव की निगरानी के साथ तुलना करने की सुविधा भी प्रदान करती हैं।
  • मॉडल चयन तथा एल्गोरिदमिक अनुकूलन:
    • सरल कार्यों के लिये छोटे एवं अधिक केंद्रित AI मॉडल चुनने से ऊर्जा एवं कंप्यूटेशनल संसाधनों का संरक्षण होता है।
    • विशिष्ट कार्यों के लिये सबसे कुशल एल्गोरिदम का उपयोग करने से ऊर्जा की खपत कम हो जाती है।
    • कंप्यूटेशनल सटीकता पर ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देने वाले एल्गोरिदम को लागू करने से विद्युत उपयोग कम हो जाता है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति:
    • क्वांटम प्रणाली की असाधारण कंप्यूटिंग शक्ति कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (ANN) तथा स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क (SNN) दोनों के लिये प्रशिक्षण तथा अनुमान कार्यों में तीव्रता लाने की क्षमता रखती है।
    • क्वांटम कंप्यूटिंग बेहतर कंप्यूटेशनल क्षमताएँ प्रदान करती है जो काफी बड़े पैमाने पर AI के लिये ऊर्जा-कुशल समाधानों की खोज की सुविधा प्रदान कर सकती है।
      • क्वांटम कंप्यूटिंग की शक्ति का उपयोग करने से AI प्रणाली की दक्षता तथा स्केलेबिलिटी में क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकता है, जो सतत् AI प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान देगा।
  • नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना:
    • प्रमुख क्लाउड प्रदाताओं को डेटा केंद्रों को 100% नवीकरणीय ऊर्जा के साथ संचालित करने के लिये प्रतिबद्ध होना चाहिये।
  • हार्डवेयर डिज़ाइन में उन्नति:
    • Google की टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट (TPU) जैसे विशिष्ट हार्डवेयर AI सिस्टम की गति और ऊर्जा दक्षता को बढ़ाते हैं।
      • AI अनुप्रयोगों के लिये विशेष रूप से तैयार अधिक ऊर्जा-कुशल हार्डवेयर का विकास स्थिरता प्रयासों में योगदान देता है।
  • नवोन्वेषी शीतलन प्रौद्योगिकियाँ:
    • लिक्विड इमर्शन कूलिंग और अंडरवाॅटर डेटा केंद्र पारंपरिक शीतलन विधियों के लिये ऊर्जा-कुशल विकल्प प्रदान करते हैं।
    • अंडरवाॅटर (पानी के नीचे) डेटा केंद्रों और अंतरिक्ष-आधारित डेटा केंद्रों जैसे कूलिंग सॉल्यूशन की खोज में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग होता है तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है।
  • सरकारी सहायता और विनियमन:
    • AI के कार्बन उत्सर्जन और स्थिरता की पारदर्शी रिपोर्टिंग के लिये नियम स्थापित करना।
    • AI बुनियादी ढाँचे के विकास में नवीकरणीय ऊर्जा और संधारणीय प्रथाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिये कर प्रोत्साहन प्रदान करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है ? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना 
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3. रोगों का निदान
  4. टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

 नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1,2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


Q2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द

संदर्भ/विषय

1

बेल II प्रयोग

कृत्रिम बुद्धि

2

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी

डिजिटल/क्रिप्टो मुद्रा

3

CRISPR–Ca 9

कण भौतिकी

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं ?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

Q 2. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचना कीजिये। (2020)

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