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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

2020 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन लागत: IRENA

  • 25 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी

मेन्स के लिये

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) ने '2020 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन लागत' रिपोर्ट जारी की।

Fossile-Fuel

Levelized cost of electricity trends by technology, 2010 and 2020

प्रमुख बिंदु

कोयले को नवीकरणीय ऊर्जा से स्थानांतरित करना:

  • दुनिया के मौजूदा कोयले से चलने वाले संयंत्रों की क्षमता 810 गीगावाट (GW) यानी कुल वैश्विक ऊर्जा क्षमता की 38% है। अब नए उपयोगिता-पैमाने पर इस ऊर्जा की लागत फोटोवोल्टिक और तटवर्ती पवन ऊर्जा की तुलना में अधिक है।
  • G20 देशों में जीवाश्म ईंधन से चलने वाली बिजली के उत्पादन की लागत सीमा 0.055 0.148 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोवाट-घंटे (kWh) के बीच होने का अनुमान है।
  • इस महँगी कोयला द्वारा निर्मित ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा स्थानांतरित करने से ऑपरेटरों को प्रतिवर्ष 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत होगी और वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग तीन बिलियन टन की कमी आएगी।
  • वर्ष 2019 में उभरते और विकासशील देशों द्वारा अपनाई गई नवीकरणीय क्षमताओं से पारंपरिक स्रोतों की तुलना में प्रतिवर्ष 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की होगी।

वर्ष 2020 में नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि:

  • कोविड-19 महामारी के बावजूद वर्ष 2020 में नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन के लिये 261 GW क्षमता स्थापित होने का रिकॉर्ड रहा। यह वृद्धि वर्ष 2019 की तुलना में लगभग 50% अधिक थी और इसने वैश्विक नवीन ऊर्जा  क्षमता के 82% का प्रतिनिधित्व किया।
  • पिछले वर्ष संकलित कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की लगभग 162 GW या 62% ऊर्जा की लागत सबसे सस्ते नए जीवाश्म ईंधन विकल्पों की तुलना में भी कम थी।
  • वर्ष 2020 में संकलित किये गए स्रोतों से ऊर्जा की आपूर्ति का क्रम:
  • जियोथर्मल ऊर्जा> फोटोवोल्टिक (पीवी) ऊर्जा> पवन ऊर्जा> जलविद्युत ऊर्जा> बायो ऊर्जा> सौर ऊर्जा को केंद्रित करना।

वृद्धि के कारण:

  • वर्ष 2000 और 2020 के बीच नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तीन गुना से अधिक बढ़ी है तथा यह 754 GW से बढ़कर 2,799 GW हो गई।
  • विकास प्रौद्योगिकियों में प्रगति, घटक लागत में लगातार गिरावट, लागत-प्रतिस्पर्धी आपूर्ति वितरण चैनलों की उपस्थिति और वाणिज्यिक पैमाने पर उपलब्धता के कारण यह संभव हुआ था।

नवीकरणीय लागत में कमी:

  • लगभग 10 वर्षों (2010-2020) में वाणिज्यिक सौर पीवी से उत्पादित बिजली की लागत में 85%, सीएसपी में 68%, तटवर्ती पवन में 68% और अपतटीय पवन में 48% तक कमी आई है।
  • वर्ष 2022 तक के आउटलुक में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा लागत में और गिरावट देखी जा रही है।

अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा के लिये भारतीय पहल:

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे आधिकारिक तौर पर जनवरी 2009 में बॉन, जर्मनी में स्थापित किया गया था।
  • वर्तमान में इसके 164 सदस्य देश हैं और भारत इसका 77वाँ संस्थापक सदस्य देश है।
  • इसका मुख्यालय अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है।

प्रमुख कार्य

  • यह एक स्थायी ऊर्जा भविष्य के लिये अपने सदस्य देशों को उनके ट्रांज़ीशन में सहायता करता है और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये प्रमुख मंच, उत्कृष्टता केंद्र और नवीकरणीय ऊर्जा पर नीति, प्रौद्योगिकी, संसाधन तथा वित्तीय ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करता है।
  • यह सतत् विकास, ऊर्जा पहुँच, ऊर्जा सुरक्षा और निम्न कार्बन आर्थिक विकास एवं समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु जैव ऊर्जा, भू-तापीय, जलविद्युत, महासागर, सौर एवं पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय ऊर्जा के सभी रूपों को व्यापक रूप से अपनाने और सतत् उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य भी करता है।

आगे की राह

  • विभिन्न उद्देश्यों और कार्यों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा को सबसे किफायती ऊर्जा स्रोत माना जा सकता है। सभी देशों को पेरिस समझौते के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने और जीवाश्म ईंधन बाज़ारों में उत्पन्न होने वाली अनिश्चितता से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा के व्यापक पैमाने पर उपयोग के बारे में विचार करना चाहिये।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को जोखिम से मुक्त करने के लिये सही नीतिगत प्रोत्साहन और वित्तीय प्रोत्साहन के साथ-साथ राजनीतिक समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग की दिशा में अपनी प्रतिबद्धताओं का संकेत पहले ही दे दिया है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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