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माँ के नाम पर संपत्ति खरीदना अब गैरकानूनी : बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम

  • 01 Feb 2017
  • 5 min read

विदित हो, कि वर्तमान में अपनी माँ के नाम पर संपत्ति खरीदना अब किसी भी व्यक्ति को 7 वर्ष के कारावास की सजा दिला सकता है | ध्यातव्य है, कि 1 नवम्बर 2016 से प्रभाव में आये बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने माता-पिता अथवा भाई- बहनों की सम्पत्ति में संयुक्त धारक नही है तो वह बेनामी लेन-देन के लिए कारागार जा सकता है |

प्रमुख बिंदु

  • वस्तुतः संशोधन अधिनियम के अनुसार,व्यक्ति यदि संयुक्त धारक नहीं है तो भी वह कोई भी संपत्ति केवल अपने पति/पत्नी अथवा अपने बच्चों के नाम पर खरीद सकते है |
  • गौरतलब है, कि इस अधिनियम को पहले ही आईटी विभाग द्वारा प्रभाव में लाया जा चुका है |
  • ध्यातव्य है कि वित्त मंत्रालय के अनुसार, आईटी विभाग ने बेनामी लेन-देन संशोधन अधिनियम के अंतर्गत पूरे देश में 87 सूचनाएं और 42 मामलों में करोड़ों रुपए जारी किये थे |
  • इसके पश्चात आईटी विभाग अन्य बेनामी लेन-देनों जैसे रियल स्टेट और स्टॉकों का परीक्षण करेगा |
  • यह ध्यान देने योग्य है कि केवल रियल स्टेट ही वह क्षेत्र नहीं है जिस पर मुकदमा चलाया जा सकता है |
  • यह नया अधिनियम सम्पत्ति को एक पूंजी के रूप में परिभाषित करता है चाहे यह चल(movable) ही क्यों न हो | चल सम्पत्ति के अंतर्गत स्टॉकों का प्रवेश, पैसा शेयर, आरटीजीएस या अचल (भूमि घर), मूर्त या अमूर्त, शारीरिक या गैर शारीरिक या कोई भी ब्याज या कोई भी अधिकार,कोई भी दस्तावेज़ या कोई साधन आदि आते हैं |
  • हालाँकि, यदि कोई इस शब्द की ओर ध्यान दे तो यह पता चलता हैं कि इस नये बेनामी लेनदेन अधिनियम, 2016 के अंतर्गत लगभग सभी को शामिल किया जा चुका है| नया अधिनियम स्पष्ट करता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी बेनामी लेनदेन में प्रवेश नही करेगा| 
  • इस सन्दर्भ में एक व्यक्ति की परिभाषा  के अंतर्गत व्यक्ति, हिन्दू अविभक्त परिवार (Hindu Undivided Family- 'HUF' ), फर्म और कंपनी अथवा कोई भी कृत्रिम क्षेत्राधिकार प्राप्त व्यक्ति शामिल हैं |
  • इस अधिनियम के अंतर्गत सम्पत्ति का स्थानांतरण केवल एक ही व्यक्ति द्वारा होगा एवं सम्पत्ति का मालिक भी एक ही व्यक्ति होगा| इसी विचार को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा तथा इस प्रकार यह विचार  उप्लबध्कर्ता व्यक्ति को तात्कालिक अथवा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्रदान करेगा |

संभवतः वित्त मंत्रालय के स्रोतों के अनुसार, इस पहल की शुरुआत इसलिए की गयी थी क्योंकि जिन लोगों के पास काला धन था वे संपत्ति खरीद रहे थे तथा कुछ फर्जी नामों की संपत्ति के आधार पर उस काले धन को जमा कर रहे थे| हालाँकि यह भी स्पष्ट है, कि दस्तावेजों में वे (फर्जी व्यक्ति) सम्पत्ति के स्वामी नहीं थे परन्तु वे इसके सारे लाभों का आनंद ले रहे थे  | अंततः ऐसा महसूस किया गया कि बेनामी लेनदेनों में कुछ भ्रष्टाचारी राजनीतिक नेता, सरकारी अधिकारी और विकास अधिकारी भी शामिल थे | इस संशोधित अधिनियम के अंतर्गत सरकार यह आशा करती हैं कि अधिकांश  लोग इस पहल में आगे आएँगें तथा अपने बेनामी लेनदेनों को घोषित करेंगे | सरकार ने  सभी बेनामीदारों को इस परिप्रेक्ष्य में आगे आने तथा अपने गैरकानूनी लेन-देनों को घोषित करने के लिए 31 मार्च 2017 तक का समय दिया है|

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