रैपिड फायर
ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी
- 22 Dec 2025
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भारत सरकार ने भारत के सभी बंदरगाहों और जहाजों की व्यापक तथा जोखिम-आधारित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक समर्पित वैधानिक संस्था, ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS) स्थापित करने का निर्णय लिया है।
- ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS): यह BoPS मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 2025 की धारा 13 के अंतर्गत वैधानिक संस्था के रूप में गठित किया जाएगा।
- BoPS का संचालन पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के अधीन होगा और यह जहाजों तथा बंदरगाह सुविधाओं की सुरक्षा के लिये नियामक और पर्यवेक्षी कार्य करेगा।
- BoPS का नेतृत्व महानिदेशक (Director General) करेंगे, जो पे लेवल-15 के IPS अधिकारी होंगे। एक वर्ष के संक्रमणकालीन अवधि के दौरान, शिपिंग के महानिदेशक (DGS/DGMA), BoPS के महानिदेशक के रूप में कार्य करेंगे।
- यह ब्यूरो नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) के मॉडल पर आधारित है, जो क्षेत्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के स्थानांतरण को दर्शाता है।
- BoPS के तहत, बंदरगाहों की IT और डिजिटल अवसंरचना की सुरक्षा के लिये एक समर्पित साइबर सुरक्षा विभाग स्थापित किया जाएगा, जो समुद्री साइबर खतरों की बढ़ती प्रासंगिकता को उजागर करता है।
- केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF): पूर्व में, बंदरगाह सुरक्षा अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिये, CISF को बंदरगाहों हेतु मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन (RSO) के रूप में नामित किया गया था, जिसके अंतर्गत सुरक्षा मूल्यांकन करना और बंदरगाह सुरक्षा योजनाएँ तैयार करना शामिल है।
- नई व्यवस्था के तहत, CISF को यह ज़िम्मेदारी दी गई है कि वह बंदरगाह सुरक्षा में लगे निजी सुरक्षा एजेंसियों (PSA) को प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करे, साथ ही नियामक सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किये जाएँ ताकि केवल लाइसेंस प्राप्त एजेंसियाँ इस क्षेत्र में कार्य कर सकें।
- व्यापक महत्त्व: BoPS द्वारा संचालित समुद्री सुरक्षा के अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाएँ अब विमानन सुरक्षा क्षेत्र में भी अपनाई जाएँगी, जिससे समग्र आंतरिक सुरक्षा शासन को और सुदृढ़ किया जा सके।