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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ब्रिक्स शिक्षा घोषणापत्र; भारत की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • 10 Jul 2017
  • 8 min read

संदर्भ और मुद्दा
ब्रिक्स देशों के शिक्षा मंत्रियों की पाँचवीं बैठक 5-6 जुलाई को चीन की राजधानी बीजिंग में हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया। ब्रिक्स के सभी पांच देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने दो दिवसीय बैठक में हिस्सा लिया। ब्रिक्स सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने देशों की शिक्षा व्यवस्था, सरकार के कार्यक्रम और ब्रिक्स देशों के मध्य सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने का उल्लेख किया। बीजिंग घोषणापत्र ब्रिक्स सदस्य देशों के मध्य कुछ विशेष कार्यक्रमों में अधिक सहयोग की पहचान करता है। इसके अंतर्गत स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा का समावेश किया गया है। इस बैठक से पूर्व चीन के झेंगझाउ में 1 से 3 जुलाई तक ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालयों (BRICS Network University-NU) के कुलपतियों का सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें ब्रिक्स-एनयू की संरचना पर सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए। 

ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के शिक्षा मंत्रियों ने शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए ब्रिक्स सदस्य देशों में शिक्षा के विकास का तेजी से विस्तार, सभी सदस्य देशों द्वारा शैक्षणिक समानता, पहुँच और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में समान चुनौतियों को महसूस करते हुए आपसी समझ को बढ़ाने पर जोर दिया|

घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु 

  • शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए ब्रिक्स-एनयू को समर्थन। 
  • ब्रिक्स-एनयू के अंतर्गत पांच देशों के 12 विश्वविद्यालयों के बीच शिक्षा, शोध व नवोन्मेष के क्षेत्र में परस्पर सहयोग।
  • प्राथमिकता के अनुसार पांच क्षेत्रों–संचार व सूचना प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र, जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन तथा प्रदूषण और ब्रिक्स अध्ययन का चयन।
  • ब्रिक्स विश्वविद्यालय लीग में भाग लेने के लिए विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहन।
  • सदस्य देशों के इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए भाषा-शिक्षा और बहुभाषावाद के माध्यम से सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाना।
  • भविष्य के शिक्षा के विकास के लिए ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय के माध्यम से उच्च शिक्षा में पेशेवर शिक्षाविदों को बढ़ावा देने के लिए पहल।
  • शिक्षकों और शैक्षिक प्रशासकों को शिक्षा की गुणवत्ता और प्रदर्शन में सुधार करने तथा अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान के माध्यम से शिक्षा के विकास को बढ़ावा देने के अनुभव से सीखने के लिए प्रोत्साहन।
  • तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना, व्यावसायिक शिक्षा के विकास में विचारों और अनुभवों को साझा करना|
  • उन परियोजनाओं का विकास करना जो ब्रिक्स के सदस्य देशों के लिए परस्पर समान हित पर आधारित हैं।
  • ब्रिक्स थिंक टैंक काउंसिल, ब्रिक्स-एनयू के साथ-साथ अन्य ब्रिक्स पहल के महत्व को पहचानें और उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में सहयोग तंत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रोत्साहन।
  • शैक्षिक थिंक टैंक और शिक्षा शोधकर्ताओं के बीच सहयोग को सरल एवं कारगर बनाने के महत्व पर जोर|
  • युवा पीढ़ी के बीच संचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुदृढ़ करने के लिए युवा शीतकालीन/ग्रीष्म शिविरों के संगठन को प्रोत्साहन।
  • छात्रवृत्ति के अवसरों की संख्या का विस्तार करने के लिए सदस्य देशों को प्रोत्साहन।
  • सतत विकास लक्ष्य-4 (Sustainable Development Goals-SDG-4) शिक्षा 2030 लक्ष्य हासिल करने में अनुभव और कार्ययोजनाओं को साझा करना। 
  • प्रभावी कार्ययोजनाओं को अपनाना और वैश्विक शैक्षणिक नीतियों के संदर्भ में ब्रिक्स सदस्य देशों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना।

बैठक में भारत का पक्ष 

  • बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत में शिक्षा में सुधार हो रहा है और और फिर से प्राथमिकताएं तय की जा रही हैं। 
  • स्कूली शिक्षा के अंतर्गत सीखने के स्तर पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है और विद्यार्थियों में रचनात्मकता बढ़ाने तथा जिज्ञासा व उत्सुकता जगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 
  • उच्च शिक्षा में कौशल निर्माण, शोध व अनुसंधान और ननोन्मेष पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 
  • वंचितों और हाशिए के लोगों को समान अवसर प्रदान करने के लिए छात्रवृत्ति में वृद्धि, शिक्षा ऋण, शुल्क में छूट जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। 
  • राष्ट्रीय संस्थान श्रेणी फ्रेमवर्क भारतीय संस्थाओं को सापेक्ष रैंकिंग प्रदान करती है। 
  • भारत का स्वदेशी एमओओसी (Massive Online Open Course-MOOC) प्लेटफॉर्म ‘स्वयं’ (Study Webs of Active-Learning for Young Aspiring Minds-SWAYAM) 480 ऑनलाइन पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है और 2000 पाठ्यक्रमों की योजना बना चुका है। 
  • ‘ज्ञान’ (Global Initiative of Academic Network-GIAN) के अंतर्गत 62 देशों के 600 प्रोफेसर हैं जिन्होंने भारत में शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया है तथा इस वर्ष 800 प्रोफेसर अपना योगदान देंगे। 
  • शोध कार्यक्रम ‘इंप्रिंट’ भारत में शोध के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करता है। 
  • राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी 7.2 मिलियन ऑनलाइन संसाधन निःशुल्क उपलब्ध कराती है। 
  • राष्ट्रीय शैक्षणिक भंडार (National Academic Repository-NDR) और स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के तहत 40 हजार विद्यार्थी विभिन्न स्रोतों से आई समस्याओं का समाधान करते हैं। 
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