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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कृषि क्षेत्र स्टार्टअप्स में वृद्धि

  • 17 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

NASSCOM के अनुसार कृषि क्षेत्र से संबंधित स्टार्ट-अप्स में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा वित्तपोषण में 2014 से लेकर अब तक 10 गुना वृद्धि हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • फसल की कटाई के बाद प्रायः भारतीय किसानों को लगभग 93000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है, एग्रीटेक स्टार्टअप्स का एक समूह अब मांग को संचालित करने वाले कोल्ड चेन (Cold Chain), वेयरहाउस मॉनिटरिंग सॉल्यूशंस (Warehouse Monitoring Solution) और मार्केट लिंकेज प्रणाली (Market Linkage Process) पर कार्य कर उस अंतर को पाटने की कोशिश कर रहा है जो किसानों की आय को काफी बढ़ा सकता है।
  • हाल ही में जारी "एग्रीटेक इन इंडिया: इमर्जिंग ट्रेंड्स इन 2019" (Agritech in India: Emerging Trends in 2019) की अपनी रिपोर्ट में NASSCOM ने उल्लेख किया कि वैश्विक स्तर पर कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कुल 3100 स्टार्टअप हैं, जिनमें से 450 से अधिक भारत में हैं। इस क्षेत्र में भारत ने साल-दर-साल 25% की दर से विकास किया है।
  • वित्तपोषण के संबंध में स्टार्टअप को वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2017-18 में 10 गुना अधिक धन प्राप्त हुआ। 

उत्पादन का नष्ट होना एक गंभीर समस्या

  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, फसल के उत्पादन के पश्चात् फल और सब्जी के क्षेत्र में सबसे ज़्यादा नुकसान होता है, जहाँ 16% उत्पाद बेकार हो जाते हैं। इस मुद्दे को संबोधित करते हुए कुछ सबसे बड़े एग्रीटेक सौदों को लक्षित किया गया है जो निन्ज़ाकार्ट (Ninzacart) और क्रॉफार्म (Crofarm) जैसे डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से सीधे बाज़ार में संपर्क बनाएंगे।
  • ये प्लेटफार्म खेत से लेकर बाज़ार तक के व्यावसायिक क्षेत्रों को विकसित करने या किसानों के उत्पादन को होटल, रेस्तराँ और कैफे तक सीधे पहुँचाने में समर्थन कर सकते हैं।
  • अन्य नवाचारों में गुणवत्ता ग्रेडिंग के लिये इमेज सेंसिंग(image sensing), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (internet of things) पर आधारित भंडारण की निगरानी और मंडियों के डिजिटलीकरण के साथ-साथ किसान उत्पादक संगठनों (FAOs) को शामिल किया गया है।

प्रौद्योगिकी समाधान

  • अन्य स्टार्टअप्स फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करते हैं। बिग डेटा एनालिटिक्स (big data analytics), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (arificial intelligence) और रिमोट सेंसिंग (rimote sensing) का उपयोग करते हुए भूमि प्रबंधन ( land management), फसल चक्र की निगरानी (crop cycle monitoring) और कटाई की ट्रेसिंग (harvest traceability) की जा सकती है।
  • एक अन्य समूह का उद्देश्य किसानों के क्रेडिट मुद्दों को हल करना, कम लागत और कृषि उपकरणों के लिये समय पर वित्तपोषण प्रदान करना और वर्चुअल क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके कम लागत वाले डिजिटल ऋण तक पहुँच प्रदान करना है।

निष्कर्ष

NASSCOM के अनुसार, भारत का कृषि क्षेत्र अपने डिजिटल परिवर्तन की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और स्टार्टअप परिवेश न केवल इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है बल्कि नित नए नवाचार भी कर रहा है। कृषि में प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिये हमेशा एक संस्थागत ढाँचे की आवश्यकता होती है और प्रौद्योगिकी कंपनियाँ नए व्यवसाय मॉडल के साथ कृषि परिदृश्य में सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

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