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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

स्वच्छ ऊर्जा के साथ AI विकास में संतुलन

  • 30 Apr 2025
  • 22 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवीकरणीय ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन, दुर्लभ मृदा खनिज, इंडियाAI मिशन

मेन्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पर्यावरणीय प्रभाव, उभरती प्रौद्योगिकियों में नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण, भारत में सतत् AI बुनियादी ढाँचा

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से होने वाला आर्थिक लाभ, डेटा केंद्रों में ऊर्जा की बढ़ती मांग से पर्यावरण पर इसके (AI) प्रभाव की लागत से अधिक हो सकता है, विशेष रूप से उन देशों में जो नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत कर रहे हैं। 

  • भारत में AI बुनियादी ढाँचे के क्रमिक विस्तार के साथ AI विकास में नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करना महत्त्वपूर्ण हो गया है।

भारत में AI के माध्यम से आर्थिक विकास को किस प्रकार बढ़ावा मिल सकता है?

  • व्यापक आर्थिक संभावना: गूगल की एक रिपोर्ट के अनुसार AI को अपनाने से वर्ष 2030 तक 33.8 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक मूल्य प्राप्त हो सकता है। 
    • देश के सकल घरेलू उत्पाद में 20% के योगदान के साथ वर्ष 2028 तक भारत के 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में AI महत्त्वपूर्ण होगा।
  • विभिन्न क्षेत्रों की उत्पादकता में वृद्धि: 
    • कृषि में AI: चूँकि 70% ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर हैं, इसलिये AI की सहायता से उपग्रह इमेजरी और मशीन लर्निंग के माध्यम से कृषि को अनुकूलित किया जा सकता है, फसल रोगों का पूर्वानुमान किया जा सकता है और उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
      • प्रोजेक्ट फार्म वाइब्स, के अंतर्गत सतत् कृषि के लिये डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि के साथ किसानों को सशक्त बनाने के लिये AI का अधिकतम उपयोग किया जाना शामिल है। इससे फसल उत्पादन में 40% की वृद्धि होती है, जल के उपयोग में 50% की बचत होती है, और उर्वरक लागत में 25% की कमी आती है। 
    • विनिर्माण: विनिर्माण में AI का उपयोग बढ़ रहा है जहाँ टाटा स्टील जैसी कंपनियाँ पूर्वानुमानित अनुरक्षण, ग्राहक वैयक्तिकरण और गुणवत्ता नियंत्रण के लिये AI का उपयोग कर रही हैं, जिससे दक्षता बढ़ रही है और "मेक इन इंडिया" पहल का समर्थन हो रहा है।
    • वित्तीय समावेशन: AI की सहायता से भारत में बैंकिंग सेवाओं से वंचित वर्ग तक इन सेवाओं का विस्तार करने में मदद मिल सकती है। OnFinanceAI जैसे प्लेटफॉर्म मोबाइल और लेन-देन डेटा के आधार पर बैंकिंग सेवाओं से वंचित व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें जोड़ने के लिये AI के उपयोग पर आधारित हैं। 
    • सार्वजनिक सेवा: भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे, भाषिनी) में AI का एकीकरण करने से सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार किया जा सकता है, जिससे भारत AI-संचालित शासन में अग्रणी बन सकता है।

AI का पर्यावरणीय फुटप्रिंट क्या है?

  • ऊर्जा की खपत: AI मॉडल की निर्भरता डेटा सेंटर पर अत्यधिक है, जो बृहद स्टार पर AI सर्वर और स्टोरेज रखने वाली सुविधाएँ हैं। इन केंद्रों में व्यापक मात्रा में बिजली की खपत होती है, जिनका अधिकतर अंश अभी भी जीवाश्म ईंधन से प्राप्त होता है।
    • एक एकल AI क्वेरी (जैसे, ChatGPT) में गूगल सर्च की तुलना में 10 गुना अधिक ऊर्जा का उपयोग होता है।
    • वर्ष 2024 में, डेटा केंद्रों द्वारा 415 टेरावाट-घंटे (TWh) (विद्युत् की वैश्विक खपत का लगभग 1.5%) की खपत की गई। 
      • वर्ष 2030 तक यह दोगुना होकर 945 TWh हो जाएगा, जो जापान की वर्तमान खपत से अधिक होगा। 
    • IMF के अनुसार, केवल AI विस्तार से अमेरिका में विद्युत् की कीमतों में 9% तक बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे ऊर्जा प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
      • ऐसे देश जो नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना के साथ सुव्यस्थित रूप से तत्पर हैं, उन्हें AI के क्षेत्र निरंतर विकास करने में अपेक्षाकृत कम सामाजिक और पर्यावरणीय लागतों का सामना करना पड़ेगा।
  • कार्बन उत्सर्जन: AI प्रणालियों, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत् चालित प्रणालियों, से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन होता है, जिससे भूमंडलीय तापन बढ़ता है।
    • विश्व के कुल GHG उत्सर्जन का 1% AI हार्डवेयर और डेटा सेंटर से उत्सर्जित होता है, जो अनुमानित रूप से वर्ष 2026 तक दोगुना हो जाएगा।
  • जल खपत: डेटा केंद्रों को अपने विद्युत घटकों को अतितापन से बचाने के लिये उन्हें ठंडा रखने हेतु व्यापक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है।
    • GPT-3 जैसे बड़े AI मॉडल को प्रशिक्षित करने से 700,000 लीटर तक स्वच्छ जल की खपत हो सकती है, जो 320 टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के बराबर है।
    • AI-संबंधित बुनियादी ढाँचे के लिये जल्द ही 6 मिलियन की आबादी वाले डेनमार्क के जल की तुलना में छह गुना अधिक जल की खपत हो सकती है।
    • जैसे-जैसे जल की कमी बढ़ती है, वैसे-वैसे पहले से ही सीमित स्वच्छ जल के संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ स्वच्छ जल तक पहुँच पहले से ही एक चुनौती है।
  • संसाधन का उपयोग और खनन: AI सर्वर और संबंधित बुनियादी ढाँचे के उत्पादन के लिये दुर्लभ-मृदा खनिजों और अन्य सामग्रियों के खनन की आवश्यकता होती है।
    • मात्र 2 किलोग्राम वजन के कंप्यूटर के निर्माण के लिये 800 किलोग्राम कच्चे माल की आवश्यकता होती है, जिनमें से अधिकांश पर्यावरण के लिये विनाशकारी खनन कार्यों से प्राप्त होते हैं।
    • AI-संचालित उपकरण लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्त्वों जैसे खनिजों पर निर्भर करते हैं, जिन्हें प्रायः अवहनीय विधियों से निकाला जाता है, जिससे वनोन्मूलन और मृदा अपरदन होता है।
  • ई-अपशिष्ट उत्पादन: AI बुनियादी ढाँचे के तीव्र विकास से ई-अपशिष्ट में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिसमें सर्वर, पुराने चिप्स और अप्रचलित इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
    • इन वस्तुओं में पारा, सीसा और अन्य विषाक्त पदार्थ जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिये हानिकारक होते हैं।

पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये AI का उपयोग कैसे किया जा रहा है?

  • प्रदूषण नियंत्रण: IBM की ग्रीन होराइजन परियोजना जैसी AI प्रणालियों का उपयोग वायु प्रदूषण पर नज़र रखने, स्रोतों की निगरानी करने और प्रदूषण को कम करने के लिये रणनीतियों की सिफारिश करने के लिये किया जाता है।
    • शहरों में, AI वायु प्रदूषण या ऊष्मा द्वीपों (Heat Islands) को कम करने के लिये विभिन्न रणनीतियों के प्रभावों का अनुकरण कर सकता है, जैसे वृक्षारोपण या यातायात पैटर्न को समायोजित करना।
  • मौसम का पूर्वानुमान: गूगल का जेनकास्ट उपग्रहों और सेंसरों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके मौसम का पूर्वानुमान और जलवायु मॉडलिंग को बढ़ाने के लिये AI का उपयोग करता है। 
    • यह तूफान और बाढ़ जैसे चरम मौसम पूर्वानुमानों की सटीकता में सुधार करता है। AI बेहतर आपदा तैयारियों के लिये सबसे विश्वसनीय जलवायु मॉडलों की पहचान करने के लिये उन्हें परिष्कृत भी करता है।
  • वन संरक्षण: AI-संचालित उपग्रह इमेजरी वास्तविक समय में वनों की निगरानी करने में मदद कर रही है। यह वन क्षेत्र में होने वाले बदलावों, अवैध कटाई और वनोन्मूलन के हॉटस्पॉट की पहचान करता है, जिससे प्राधिकारी त्वरित कार्यवाही करने में सक्षम होते है।
    • AI वनों की वृद्धि प्रवृत्तियों और स्वास्थ्य का पूर्वानुमान लगाने के लिये ऐतिहासिक डेटा का विश्लेषण करता है, जिससे स्थायी वानिकी प्रबंधन और प्रभावी पुनर्वनीकरण प्रयासों में सहायता मिलती है।
  • महासागर संरक्षण: AI-संचालित सेंसर और कैमरे समुद्री प्रजातियों और उनके आवासों पर निगरानी रखते हैं। मशीन लर्निंग जानवरों की गतिविधियों और व्यवहारों पर नज़र रखने में मदद करती है, जो समुद्री संरक्षण रणनीतियों का आधार बनती है।
    • AI उपग्रह चित्रों का उपयोग करके तेल रिसाव और प्लास्टिक अपशिष्ट जैसे समुद्री प्रदूषण स्रोतों की पहचान करने और उनका पता लगाने में सक्षम है, जिससे स्वच्छता के प्रयास तीव्र से हो सकेंगे।
  • फिशियल.AI विश्व का सबसे बड़ा ओपन-सोर्स मत्स्य प्रजातियों का डेटाबेस तैयार कर रहा है, जो मत्स्य संरक्षण और अनुसंधान के लिये वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है।

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नवीकरणीय ऊर्जा के साथ AI को एकीकृत करने में भारत का दृष्टिकोण क्या है?

  • नवीकरणीय ऊर्जा के साथ AI का एकीकरण: इंडियाAI मिशन के तहत भारत अपने बढ़ते AI बुनियादी ढाँचे में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करने की आवश्यकता को पहचान रहा है।
  • परमाणु ऊर्जा के साथ भविष्य की संभावनाएँ: उभरते AI डेटा सेंटर क्लस्टरों में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के उपयोग को स्वच्छ ऊर्जा के संभावित स्रोत के रूप में खोजा जा रहा है।
  • नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के साथ AI विकास को संतुलित करना: भारत के वर्ष 2070 के नेट-ज़ीरो लक्ष्य के लिये पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के पैमाने को कम करने के साथ AI जैसे औद्योगिक विस्तार को संतुलित करना आवश्यक है।

भारत एक वैश्विक AI पावरहाउस में कैसे परिवर्तित हो रहा है?

और पढ़ें: भारत की AI क्रांति

नवीकरणीय ऊर्जा के साथ AI को एकीकृत करने में भारत के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • सीमित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: भारत अभी भी जीवाश्म ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर है (कुल स्थापित विद्युत क्षमता का केवल 44.72% गैर-जीवाश्म आधारित स्रोतों से संबंधित है), जिससे AI बुनियादी ढाँचे के लिये नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग सीमित होता है।
  • सौर और पवन ऊर्जा निरंतर नहीं मिल पाती है जिससे AI क्षेत्र में स्थिर ऊर्जा आपूर्ति चुनौतीपूर्ण हो जाती है। इसके अतिरिक्त, बैटरी जैसी ऊर्जा भंडारण तकनीकें अभी भी अविकसित और महँगी हैं।
    • अपर्याप्त ग्रिड अवसंरचना: ग्रिड के समक्ष विश्वसनीयता जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं, जिससे AI डेटा केंद्रों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण में बाधा उत्पन्न होती है। 
    • विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा को समायोजित करने के लिये, भारत के ऊर्जा ग्रिड के आधुनिकीकरण और उन्नयन की आवश्यकता है।
  • AI में उच्च ऊर्जा खपत: AI प्रौद्योगिकियों (विशेष रूप से डीप लर्निंग) में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है जिससे इसकी स्थिरता के बारे में चिंताएँ बढ़ जाती हैं। विद्युत की बढ़ती कीमतों से AI क्षेत्रों के लिये परिचालन लागत बढ़ सकती है।
    • एकीकृत नीतिगत ढाँचे का अभाव: AI और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित नीतियाँ काफी हद तक अलग-अलग हैं जिनमें व्यापक रणनीति का अभाव है। इसके अतिरिक्त, ग्रीन डेटा सेंटर के लिये सीमित प्रोत्साहन दिया जाता है।
    • आर्थिक और वित्तीय बाधाएँ: AI को समर्थन देने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना हेतु अग्रिम निवेश में कमी से कार्यान्वयन में बाधा आ सकती है।
      • नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये निवेश पर दीर्घकालिक प्रतिफल (ROI) अक्सर अनिश्चित होता है, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी हतोत्साहित होती है।
  • AI विनिर्माण से संबंधित पर्यावरणीय चिंताएँ: AI हार्डवेयर के लिये आवश्यक खनिजों और धातुओं के खनन से पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ावा मिल सकता है।
    • AI प्रौद्योगिकियों के लिये प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक्स के विनिर्माण में जल की अधिक खपत से भारत के पहले से ही संकटग्रस्त जल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

भारत अपनी AI महत्त्वाकांक्षाओं को धारणीय ऊर्जा प्रथाओं के साथ किस प्रकार समन्वित कर सकता है?

  • विशाल सौर और पवन क्षमता: भारत की जलवायु सौर और पवन ऊर्जा के अनुकूल है जिसमें प्रतिवर्ष 300 से अधिक धूप वाले दिन और तीव्र गति वाली पवनें शामिल हैं। 
    • ये नवीकरणीय स्रोत AI डेटा केंद्रों को ईंधन प्रदान कर सकते हैं जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सकती है।
    • राष्ट्रीय सौर मिशन और हरित ऊर्जा गलियारा जैसी पहलों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के विस्तार से इस परिवर्तन को और अधिक समर्थन मिलेगा तथा AI विकास के लिये एक स्थायी ऊर्जा आधार सुनिश्चित होगा।
  • हरित बैकअप ऊर्जा: भारत के डेटा केंद्रों को डीजल जनरेटरों के स्थान पर हाइड्रोजन ईंधन सेल एवं बैटरी जैसे समाधानों का उपयोग करना चाहिये।
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से हाइड्रोजन आधारित स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिल सकता है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी तथा ऊर्जा विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलेगा।
    • इसमें जल की उपलब्धता एक चुनौती है इसलिये ईंधन सेल जैसी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने से (जिससे उप-उत्पाद के रूप में जल का उत्पादन होता है) AI डेटा केंद्रों की जल खपत को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • AI-संचालित स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा अनुकूलन: भारत स्मार्ट ग्रिड बनाने के लिये AI का लाभ उठा सकता है जिससे विद्युत वितरण अनुकूलित होगा।
    • विद्युत और जल के उपयोग को न्यूनतम करने के लिये ऊर्जा-कुशल हार्डवेयर (जैसे, कम-शक्ति वाले चिप्स) और शीतलन प्रौद्योगिकियों (जैसे, तरल शीतलन) को बढ़ावा दिया जा सकता है।
    • AI एल्गोरिदम से रियल टाइम आँकड़ों के विश्लेषण द्वारा ऊर्जा की मांग का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तथा नवीकरणीय संसाधनों का गतिशील आवंटन होने से दक्षता में वृद्धि होने के साथ जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
  • सतत् अवसंरचना विकास: भारत 100% नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित डेटा केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित कर सकता है जैसा कि हैदराबाद और पुणे में क्रमशः गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के AI-संचालित डेटा केंद्रों में देखा गया है।
  • पायलट परियोजनाओं को बढ़ावा देना: सरकार को उन पायलट परियोजनाओं को वित्तपोषित एवं समर्थित करना चाहिये जो धारणीय डेटा सेंटर डिज़ाइन और नवीन प्रौद्योगिकियों की खोज पर केंद्रित हैं जिससे ऊर्जा और जल की खपत में कमी आती है।
  • स्टार्टअप और नवाचार को समर्थन: 1,000 से अधिक AI स्टार्टअप और ReNew पावर जैसे बढ़ते स्वच्छ ऊर्जा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, सरकार AI कंपनियों के अंतर्गत हरित प्रौद्योगिकी एकीकरण को बढ़ावा देकर नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पर्यावरणीय प्रभाव पर चर्चा कीजिये। नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण से इन प्रभावों को कम करने में किस प्रकार मदद मिल सकती है? 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से कौन-से कार्य प्रभावी ढंग से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना
  2.  सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना
  3.  रोग निदान
  4.  टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण
  5.  विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के उद्भव ने सरकार के एक अभिन्न अंग के रूप में ई-गवर्नेंस की शुरुआत की है"। चर्चा कीजिये। (2020)

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