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जैव विविधता और पर्यावरण

समुद्री कचरे के निपटान हेतु आसियान देशो की प्रतिबद्धता

  • 25 Jun 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

आसियान (ASEAN) देशो ने समुद्री कचरों से निपटने के लिये एक साझा रूपरेखा 'बैंकॉक घोषणा' तैयार की है जिस पर आसियान देशों की आगामी बैठक के दौरान हस्ताक्षर किये जा सकते हैं।

Asian waste

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2017 की महासागरीय संरक्षण रिपोर्ट (Ocean Conservancy Report) के अनुसार, केवल पाँच एशियाई देश (चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और थाईलैंड) हर साल महासागरों में लगभग आठ मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक कचरा गिराते हैं।
  • अपनी आगामी बैठक (जिसकी मेज़बानी थाईलैंड करेगा) में आसियान देशों ने समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिये 'बैंकॉक घोषणा' का प्रस्ताव रखा है। साझी रणनीति के तहत इस प्रकार की यह पहली घोषणा है।
  • थाईलैंड में ग्रीनपीस के विशेषज्ञ के अनुसार, जब तक उत्पादन प्रक्रिया में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को कम नहीं किया जाएगा तब तक 'बैंकॉक घोषणा' सफल नही होगी।
  • फिलीपींस में प्रदूषित नहरों की भयावह स्थिति, प्लास्टिक से भरे वियतनाम के समुद्र तट, आदि के कारण समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण लगातार चर्चा में रहा है। थाईलैंड और वियतनाम की कुछ निजी कंपनियों ने प्लास्टिक उत्पादों को पुनः प्रयोज्य (Recycled) सामग्रियों के साथ रूपांतरित करना शुरू किया है, लेकिन सरकार की नीतियों से अभी तक इनका समन्वय नही हो पाया है।

आसियान क्षेत्रो में समुद्री कचरे की अधिकता के कारण

  • अधिकांशतः समुद्री कचरा,नदियों के द्वारा अप्रबंधित कचरे के रूप में आता है। हेल्महोल्त्ज़ सेंटर फ़ॉर एनवायर्नमेंटल रिसर्च (Helmholtz Centre for Environmental Research) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, महासागरों तक पहुँचने वाले 90% प्लास्टिक की उत्पत्ति केवल 10 नदियों से हुई, जिनमें से आठ एशिया में हैं। यह क्षेत्र नदियों द्वारा लाये गये प्रदूषको से विशेष रूप प्रभावित है।
  • जनसँख्या घनत्व की अधिकता और तटीय क्षेत्रों में इनका सघन वितरण समुद्री प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • उद्योगप्रधान अर्थव्यवस्था से निकलने वाला कचरा भी प्रदूषण के संकेंद्रण का कारण है साथ ही इस क्षेत्र से बड़ी मात्रा में समुद्री प्रदूषण उत्पादों को निर्यात भी किया जाता है।
  • व्यस्त समुद्री जलमार्ग की उपस्थिति से भी प्रदूषण बढ़ता है। इस क्षेत्र से हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर क सम्पर्क मार्ग के साथ, जापान, दक्षिण-कोरिया और चीन जैसी अर्थव्यवस्थायओं को तेल की आपूर्ति भी इसी क्षेत्र से होती है।
  • समुद्र तट के आस-पास विनिर्माण गतिविधियों की अधिकता और शहरीकरण भी प्रदूषण की मात्रा में योगदान देता है।
  • अत्यधिक पर्यटन से भी समुद्री प्रदूषण में वृद्धि होती है।
  • कृषि गतिविधियों और रसायनो के प्रयोग की अधिकता भी समुद्री विषाक्ता का एक प्रमुख कारक है।

वैश्विक स्तर पर समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिय किये गये प्रयास

  • UN पर्यावरण द्वारा प्रारंभ क्लीन सी अभियान (Clean Sea Campaign) प्रारंभ किया गया है। इसका उद्देश्य वर्ष 2002 तक समुद्री प्रदूषणों के प्रमुख स्रोतों सौंदर्य प्रसाधनो, माइक्रो प्लास्टिक और एकल प्लास्टिक के इस्तेमाल को सीमित करना है।
  • बेसल अभिसमय (Basel Convention) द्वारा समुद्र में प्रवाहित कचरे की रोकथाम के प्रयास किये गये है।
  • होनोलूलू रणनीति: यह व्यापक और वैश्विक सहयोगात्मक प्रयास हेतु एक कार्ययोजना है। जिसका उद्देश्य विश्व भर में समुद्री मलबे के पारिस्थिक, आर्थिक और मानव स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों को कम करना है।
  • ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच की सफाई के लिये प्रशांत महासागर में ओशन क्लीनअप (Ocean CleanUp) परियोजना प्रारंभ की गई। इसके अंतर्गत हवाई से कैलिफोर्निया तक के प्रदूषण को दूर करने का लक्ष्य रखा गया।
  • प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिये सहयोग (Alliance to end Plastic Waste) को हाल में ही शुरू किया गया है। यह एक गैर लाभकारी संगठन है, जिसमे विश्व की कई कंपनियाँ शामिल हैं। भारत से रिलायंस कंपनी इसमें भाग लेगी।
  • कोपेनहेगन स्थित पर्यावरण शिक्षा फाउंडेशन (Foundation For Environment Education-FEE) द्वारा ब्लू फ्लैग कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम के तहत समुद्री तटों की सफाई को प्रोत्साहित किया गया।

आगे की राह

  • नदियों में प्रवाहित कचरों का इनके प्रारंभिक स्रोतों पर ही उपचार किया जाना चाहिये।
  • प्लास्टिक उत्पादों को पुनः प्रयोज्य प्लास्तिस के साथ स्थानांतरित किया।
  • समुद्री तटों पर पर्यावरण के अनुकूल इमारतों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाए।
  • समुद्री तटों पर पर्यटन के लियी विशेष नियामक बनाये जाने चाहिये साथ ही इनके अनुपालन की सुनिश्चितता भी निर्धारित की जाए।
  • तटों पर निवास करने वाले लोगो को विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रशिक्षित किया जाए क्योंकि यही लोग विशेष रूप से तटों के आस-पास कृषि,पर्यटन और अन्य गतिविधियों में संलग्न रहते है।
  • निजी कंपनियों और सरकार के मध्य नीति, निर्माण और क्रियान्वयन के लिये बेहतर समन्वय तंत्र स्थापित किये जाने चाहिये।

स्रोत : द हिंदू

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