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मलेरिया से लड़ने के लिये कृत्रिम प्रकाश

  • 06 Jun 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मलेरिया, मलेरिया वैक्सीन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, कृत्रिम प्रकाश, लाइट एमिटिंग डायोड (LED) प्रकाश। 

मेन्स के लिये:

मलेरिया के प्रसार को रोकने के लिये उपाय और रणनीतियाँ। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि मलेरिया से लड़ने के लिये कृत्रिम प्रकाश को हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 

मुख्य बिंदु

  • प्रकाश जैविक घडी (Biological Clocks) के नियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे- पक्षियों के बीच प्रजनन का समय, शेरों द्वारा शिकार और मनुष्यों के सोने का पैटर्न। 
  • पृथ्वी के घूर्णन के कारण दिन और रात का समय अपेक्षाकृत स्थिर रहा है, इस तरह के नियमित दिन-रात के चक्रों के साथ ग्रह पर जीवन विकसित हुआ है। 
  • मेलाटोनिन हार्मोन एक जीन है जो नींद और जागने के चक्र को विनियमित करने के लिये ज़िम्मेदार है। 
    • यह पौधों के साथ-साथ जानवरों में भी पाया जाता है। 
  • कृत्रिम प्रकाश के बढ़ते उपयोग के कारण प्राकृतिक नींद चक्रों में तेज़ी से परिवर्तन देखा गया है। 
  • वर्तमान में दुनिया की लगभग 80% आबादी कृत्रिम रूप से प्रकाशित आसमान के नीचे रह रही है। 

मलेरिया पर कृत्रिम प्रकाश का प्रभाव:  

  • ृत्रिम प्रकाश मच्छर जीव विज्ञान में परिवर्तन ला सकता है। 
  • मलेरिया फैलाने वाली मच्छर प्रजाति "एनाफिलीज़" रात में सक्रिय होती है। 
  • कृत्रिम प्रकाश का उपयोग करके, मच्छरों को रात में दिन के समान प्रकाश उत्पन्न करके भ्रमित किया जा सकता है। 
  • प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) "एनाफिलीज़" मच्छर  द्वारा  लंबे समय तक काटने की दर को कम कर देता है।
    • इसलिये यह काटने की दर और मलेरिया के संचरण को कम करता है। 

चुनौतियाँ: 

  • पहली चुनौती है, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि मलेरिया के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिये कृत्रिम रोशनी का उपयोग कैसे किया जा सकता है। 
  • नियंत्रित प्रयोगशाला माध्यम में कृत्रिम प्रकाश के प्रभावों का प्रदर्शन किया जा सकता है, लेकिन एक प्रभावी वाहक नियंत्रण रणनीति के रूप में इसका उपयोग करना बिल्कुल ही अलग परिणाम प्रदर्शित करती है। 
  • इसके अलावा एलईडी प्रकाश नींद को बाधित करने जैसे मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

मलेरिया:  

  • परिचय:  
    • मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग (Mosquito Borne Blood Disease) है जो प्लाज़्मोडियम परजीवी (Plasmodium Parasites) के कारण होता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।  
    • इस परजीवी का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों (Female Anopheles Mosquitoes) के काटने से होता है। 
      • मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद परजीवी शुरू में यकृत कोशिकाओं के भीतर वृद्धि करते हैं, उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है। 
      • ऐसी 5 परजीवी प्रजातियांँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया के संक्रमण के कारक हैं, इनमें से 2 प्रजातियाँ- प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium Falciparum) और प्लाज़्मोडियम विवैक्स (Plasmodium Vivax) हैं, जिनसे मलेरिया संक्रमण का सर्वाधिक खतरा विद्यमान है। 
      • मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण शामिल होते हैं, जिसमें ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान महसूस होती है। 
      • इस रोग की रोकथाम एवं इलाज़ दोनों संभव हैं। 
  • मलेरिया का टीका:  
    • RTS,S/AS01 जिसे मॉसक्यूरिक्स (Mosquirix) के नाम से भी जाना जाता है, एक इंजेक्शन वैक्सीन है। इस टीके को एक लंबे वैज्ञानिक परीक्षण के बाद प्राप्त किया गया है जो कि पूर्णतः सुरक्षित है। इस टीके के प्रयोग से मलेरिया का खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो जाता है तथा इसके परिणाम अब तक के टीकों में सबसे अच्छे देखे गए हैं। 
    • इसे ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline- GSK) कंपनी द्वारा विकसित किया गया था तथा वर्ष 2015 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (European Medicines Agency) द्वारा अनुमोदित किया गया। 
    • RTS,S वैक्सीन मलेरिया परजीवी, प्लाज़्मोडियम पी. फाल्सीपेरम (Plasmodium P. Falciparum) जो कि मलेरिया परजीवी की सबसे घातक प्रजाति है, के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करती है। 
  • वैश्विक परिदृश्य: 
    • यद्यपि मलेरिया के कुल मामलों में गिरावट आई है। वर्ष 2000 के प्रति 1,000 जनसंख्या पर लगभग 81.1 मामलों से 59 प्रति 1,000 मामलोंं तक पहुँचने के बाद भी मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में विश्व अभी पीछे हैै। 
    • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 में मलेरिया के लगभग 240 मिलियन मामले और इसके कारण 6,00,000 मौतें दर्ज की गईं। 
    • मलेरिया के सर्वाधिक मामले अफ्रीका में दर्ज किये जाते हैं। 
    • वैश्विक मामलों का 94% तथा वैश्विक रूप से इस बीमारी के कारण होने वाली कुल मौतों का 96% अफ्रीका में दर्ज किया गया है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 80 प्रतिशत मौतें पाँच वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों में दर्ज की गई हैं। 
  • चुनौतियाँ: 
    • यद्यपि इसके टीके आशाजनक दिखते हैं लेकिन विशेष रूप से पूर्वी अफ्रीका में मलेरिया-रोधी दवा प्रतिरोध में वृद्धि देखी गई है। 
    • परजीवी में आनुवंशिक उत्परिवर्तन उन्हें नियमित निदान से बचने में सक्षम बनाता है। 
    • मच्छरों में कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हो रही है। 
  • समय की मांग: 
    • यह स्थिति वेक्टर/वाहक नियंत्रण विकल्पों को तेज़ करने और नई रणनीतियों की खोज करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। 

Plasmodium

आगे की राह 

  • कार्यान्वयन रणनीति के बारे में विचार करने से पहले कृत्रिम प्रकाश के उपयोग के प्रभावों को पूरी तरह से समझने की ज़रूरत है। 
  • इस मुद्दे पर निकाय के बढ़ते कार्य से पता चलता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य संबंधित निकायों को निश्चित रूप से इस मुद्दे पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। 

 विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के लिये मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु एक मलेरिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। एक प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करना कठिन क्यों है? (2010) 

(a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है 
(b) प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं करता है 
(c) टीके केवल बैक्टीरिया के खिलाफ विकसित किये जा सकते हैं 
(d) मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेज़बान है, निर्धारित मेज़बान नहीं है 

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो प्लाज़्मोडियम परजीवी के कारण होती है, यह संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों के माध्यम से लोगों में फैलती है। 
  • मलेरिया परजीवी में प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने की असाधारण क्षमता होती है, जो एक प्रभावी मलेरिया वैक्सीन विकसित करने में कठिनाई को संदर्भित करती है। 
  • RTS,S/AS01 (RTS,S) छोटे बच्चों में मलेरिया के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला और अब तक का एकमात्र टीका है। 
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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