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जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस

  • 06 Jun 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, संयुक्त राष्ट्र सभा, स्टॉकहोम सम्मेलन, COP26, NAP, LiFE आंदोलन, NRLM. 

मेन्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और संबंधित पहल 

चर्चा में क्यों? 

जागरूकता के प्रसार और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। 

  • भारत ने इस अवसर पर 'पर्यावरण के लिये जीवनशैली आंदोलन (Lifestyle for the Environment (LiFE) Movement)’ शुरू किया। 

विश्व पर्यावरण दिवस की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • परिचय: 
    • संयुक्त राष्ट्र सभा ने 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की, जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन का पहला दिन था। 
    • प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का उत्सव एक विशिष्ट विषय और नारे के साथ आयोजित किया जाता है जो उस समय की प्रमुख पर्यावरणीय चिंता को संदर्भित करता है। 
    • यह प्रत्येक वर्ष एक अलग देश द्वारा आयोजित किया जाता है। 
      • उदाहरण के लिये भारत ने 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम के तहत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें उत्सव की मेज़बानी की। 
    • पिछले साल विश्व पर्यावरण दिवस समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की भी शुरुआत की, जो जंगलों से खेतों तक, पहाड़ों के शीर्ष से समुद्र की गहराई तक अरबों हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिये एक वैश्विक मिशन है। 
  • 2022 के लिये थीम: 
    • केवल एक पृथ्वी (OnlyOneEarth): 
      • यह 1973 में पहले विश्व पर्यावरण दिवस की थीम को संदर्भित करता है। 
  • महत्त्व: 

पर्यावरण के लिये जीवन शैली (LiFE) आंदोलन' 

  • परिचय:.  
    • LiFE का विचार भारत द्वारा वर्ष 2021 में ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के दौरान प्रस्तुत किया गया था। 
      • यह विचार पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली को बढ़ावा देता है जो 'नासमझी और अपव्यय' के बजाय 'सचेत और जान-बूझकर उपयोग' के सिद्धांत पर केंद्रित है। 
    • मिशन के शुभारंभ के साथ प्रचलित "उपयोग और निपटान" अर्थव्यवस्था, बेतरतीब एवं विनाशकारी उपभोग तथा प्रशासन को एक चक्रीय अर्थव्यवस्था द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिसे ‘सचेत और स्व-खपत’ द्वारा परिभाषित किया जाएगा। 
  • उद्देश्य: 
    • आंदोलन का उद्देश्य सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का उपयोग करना और पूरे विश्व के व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन में सरल जलवायु-अनुकूल कार्य करने के लिये प्रेरित करना है। 
    • यह जलवायु के आसपास के सामाजिक मानदंडों को प्रभावित करने के लिये सामाजिक नेटवर्क की शक्ति का लाभ उठाने का भी प्रयास करता है। 
    • मिशन की योजना व्यक्तियों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाने और उसका पोषण करने की है, जिसका नाम 'प्रो-प्लैनेट पीपल' (P3) है। 
      • P3 की पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिये एक साझा प्रतिबद्धता होगी। 
      • P3 समुदाय के माध्यम से यह मिशन एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करता है जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को आत्मकेंद्रित होने के लिये सुदृढ़ और सक्षम करेगा। 

पर्यावरण संरक्षण के मामले में भारत: 

  • वनावरण में वृद्धि: 
    • भारत का वन क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और इसलिये शेरों, बाघों, तेंदुओं, हाथियों और गैंडों की आबादी बढ़ रही है। 
      • कुल वन क्षेत्र वर्ष 2021 में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है, जबकि 2019 में 21.67% और 2017 में 21.54% था। 
  • स्थापित विद्युत क्षमता: 
    • गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित विद्युत क्षमता के 40% तक पहुँचने की भारत की प्रतिबद्धता निर्धारित समय से 9 साल पहले हासिल कर ली गई है। 
  • इथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य: 
    • पेट्रोल में 10% एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य नवंबर 2022 के लक्ष्य से 5 महीने पूर्व ही प्राप्त किया जा चुका है। 
    • यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि 2013-14 में सम्मिश्रण मुश्किल से 1.5% और 2019-20 में 5% था। 
  • अक्षय ऊर्जा लक्ष्य: 
    • भारत सरकार भी अक्षय ऊर्जा पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है। 
    • 30 नवंबर, 2021 को देश की स्थापित अक्षय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावाट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जलविद्युत: 4.83, जैव-शक्ति: 10.62, बड़ी हाइड्रो: 46.51 गीगावाट) है, जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट है। 
      • भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता से युक्त देश है। 

अन्य पहलं: 

  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम: यह वनों के आसपास के अवक्रमित वनों के पुनर्वास और वनरोपण पर केंद्रित है। 
  • हरित भारत के लिये राष्ट्रीय मिशन: यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan on Climate Change) के अंतर्गत है और इसका उद्देश्य जलवायु अनुकूलन एवं शमन रणनीति के रूप में वृक्षों के आवरण में सुधार तथा वृद्धि करना है। 
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना: इसे प्राकृतिक आवासों के क्षरण, विखंडन और नुकसान की दरों में कमी के लिये नीतियों को लागू करने हेतु शुरू किया गया है। 
  • ग्रामीण आजीविका योजनाएँ: ग्रामीण आजीविका से आंतरिक रूप से जुड़े प्राकृतिक संसाधनों की मान्यता महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसी प्रमुख योजनाओं में भी परिलक्षित होती है। 
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