इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

अपना यूरिया सोना उगले

  • 20 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अपना यूरिया सोना उगले

मेन्स के लिये:

हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा यूरिया संयंत्रों के पुनरुद्धार से लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals & Fertilizers) द्वारा हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (Hindustan Urvarak & Rasayan Limited- HURL) का लोगो और सूत्र वाक्य ‘अपना यूरिया सोना उगले’ (APNA UREA - Sona Ugle) जारी किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने जैविक सामग्री और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों सहित उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर ज़ोर दिया है।

HURL तथा यूरिया उत्पादन:

  • देश को यूरिया उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2016 में गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में स्थित तीन रुग्ण यूरिया संयंत्रों के पुनरुद्धार की स्वीकृति दी।
  • इन तीनों रुग्ण यूरिया संयंत्रों के पुनरुद्धार का कार्य HURL द्वारा किया जा रहा है।
  • भारत के प्रधान मंत्री द्वारा कुल पाँच प्रमुख रुग्ण/बंद उर्वरक संयंत्रों का पुनरुद्धार किये जाने की बात कही गई थी जिनमें से तीन इकाइयों (गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी) का पुनरुद्धार HURL द्वारा किया जा रहा है।
  • बाकी दो इकाइयों- रामागुंडम (तेलंगाना) और तालचर (ओडिशा) में भी जल्द परिचालन प्रारंभ होने की उम्मीद है।

रुग्ण इकाइयों का पुनरुद्धार:

  • वर्ष 2021 में तीन बंद इकाइयों में परिचालन प्रारंभ होने की संभावना के कारण यूरिया बाज़ार में HURL को एक प्रमुख उभरते हुए केंद्र के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इन इकाइयों में प्रतिवर्ष नीम कोटेड यूरिया (Neem Coated Urea) की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता 38.1 लाख मीट्रिक टन है।
  • HURL इन तीन स्थानों पर अत्याधुनिक, पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल प्राकृतिक गैस आधारित नए उर्वरक परिसरों की स्थापना एवं संचालन करेगी जिनमें नीम लेपित यूरिया की वार्षिक स्थापित उत्पादन क्षमता 1.2 लाख मीट्रिक टन होगी।
  • HURL की इन तीन इकाइयों में से एक इकाई (गोरखपुर) की फरवरी 2021 में प्रारंभ होने की संभावना है जबकि दो इकाइयों (सिंदरी और बरौनी) मई 2021 से परिचालन शुरू हो सकता है।
  • इन संयंत्रों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति गेल (Gas Authority of India Limited- GAIL) द्वारा ‘पूल्ड प्राइस मैकेनिज्म’ (Pooled Price Mechanism) के अंतर्गत की जाएगी।
  • अन्य दो इकाइयों में रामागुंडम इकाई का पुनरुद्धार ‘रामागुंडम फर्टिलाइज़र्स एंड केमिकल्स लिमिटेड’ (Ramagundam Fertilizers & Chemicals Limited- RFCL) द्वारा राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड (National Fertilizers Limited), इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (Engineers India Ltd- EIL) और फर्टिलाइज़र कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Fertilizer Corporation of India Limited- FCIL) के साथ संयुक्त रूप से किया जाएगा।
  • वहीं तलचर इकाई का पुनरुद्धार ‘तलचर फर्टिलाइज़र्स लिमिटेड’ (Talcher Fertilizers Limited- TFL) द्वारा राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक लिमिटेड (Rashtriya Chemicals & Fertilizers Limited-RCF), कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited- CIL), GAIL और FCIL के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है।

संयंत्रों के पुनः प्रारंभ होने से लाभ:

  • उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में स्थित तीन इकाइयों (गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी) में परिचालन प्रारंभ होने से देश के पूर्वी क्षेत्र में आर्थिक व व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार होगा।
  • इससे देश के पूर्वी भाग में आय और रोज़गार सृजन के नए मार्ग खुलेंगे।
  • भारत का औसत यूरिया आयात 63.12 लाख मीट्रिक टन है क्योंकि देश में यूरिया का औसत उत्पादन लगभग 241 लाख मीट्रिक टन है और कुल खपत (बिक्री) लगभग 305.48 लाख मीट्रिक टन है।
  • उत्पादन और खपत के बीच के इस अंतर की पूर्ति आयात के माध्यम से पूर्ण की जाती है। इन पाँच इकाइयों के प्रारंभ होने के बाद यूरिया का कुल उत्पादन प्रतिवर्ष लगभग 63.5 लाख मीट्रिक टन बढ़ जाएगा और भारत यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।

स्रोत- पीआईबी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow