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सामाजिक न्याय

गर्भपात

  • 14 Mar 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये

 गर्भपात, फ्रांसीसी संविधान का अनुच्छेद 34, गर्भ का चिकित्सीय समापन (MTP) अधिनियम, 1971, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21

मेन्स के लिये:

भारत में गर्भपात कानून, भारत में गर्भपात से संबंधित कानूनी प्रावधान।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फ्रांसीसी सांसदों ने फ्रांस के संविधान में गर्भपात के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिये एक विधेयक को बहुमत से मंजूरी दे दी है, जिससे यह स्पष्ट रूप से एक महिला को स्वेच्छा से अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने के अधिकार की गारंटी देने वाला एकमात्र देश बन गया है।

  • स्वीकृत विधेयक के तहत फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद 34 में संशोधन हुआ है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि "कानून में उन शर्तों को निर्धारित किया गया है जिनके द्वारा महिलाओं को गर्भपात का सहारा लेने की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है।" 

नोट: 

  • यह विधेयक वैश्विक स्तर पर गर्भपात के अधिकारों के हनन के बारे में चिंताओं की प्रतिक्रया में लाया गया था, इससे विशेष रूप से लंबे समय से चले आ रहे गर्भपात अधिकारों के संबंध में वर्ष 2022 के फैसला पलटने के रो वी वेड मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रकाश पड़ा था।

गर्भपात:

  • परिचय:
    • गर्भपात का आशय जानबूझकर गर्भ की समाप्ति से है, जिसे आमतौर पर गर्भधारण के शुरुआती 28 सप्ताह के दौरान किया जाता है। ऐसा गर्भावस्था के चरण एवं गर्भपात चाहने वाले व्यक्ति की प्राथमिकताओं के आधार पर विभिन्न चिकित्सा प्रक्रियाओं या दवाओं के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
    • गर्भपात एक अत्यधिक विवादास्पद और बहस का विषय हो सकता है, जिसमें अक्सर नैतिक, धार्मिक और कानूनी विचार शामिल होते हैं।
  • समर्थक:
    • गर्भपात अधिकार के समर्थकों का तर्क है कि यह एक मौलिक प्रजनन अधिकार है जो व्यक्तियों को अपने शरीर, स्वास्थ्य और भविष्य के बारे में विकल्प चुनने की अनुमति देता है।
    • वे अवांछित गर्भधारण को रोकने, महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने और प्रजनन स्वायत्तता का समर्थन करने के लिये सुरक्षित और कानूनी गर्भपात सेवाओं तक पहुँच के महत्त्व पर ज़ोर देते हैं।
  • विरोध:
    • गर्भपात के विरोधियों, जिन्हें अक्सर "जीवन के समर्थक (Pro-Life)" कहा जाता है, का मानना है कि गर्भपात नैतिक रूप से गलत है और इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।
    • वे आम तौर पर तर्क देते हैं कि जीवन गर्भधारण से शुरू होता है और गर्भावस्था को समाप्त करना मानव जीवन लेने के बराबर है, इस प्रकार अजन्मे भ्रूण के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
  • भारत में गर्भपात से संबंधित कानूनी प्रावधान:
    • 1960 के दशक तक, भारत में गर्भपात प्रतिबंधित था और इसका उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के तहत कारावास या ज़ुर्माना लगाया जाता था।
      • शांतिलाल शाह समिति की स्थापना वर्ष 1960 के दशक के मध्य में गर्भपात नियमों की आवश्यकता की जाँच के लिये की गई थी।
      • इसके निष्कर्षों के आधार पर, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम, 1971 अधिनियमित किया गया, जिससे सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की अनुमति मिली, महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा हुई और मातृ मृत्यु दर में कमी आई।
      • उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के लिये एक प्रगतिशील कदम में, वैवाहिक बलात्कार को गर्भपात के लिये एक आधार के रूप में मान्यता दी, हालाँकि वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं दी गई है।
    • MTP अधिनियम, 1971, महिला की सहमति से और एक पंजीकृत चिकित्सक (RMP) की सिफारिश  पर, गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति देता है। हालाँकि, कानून को वर्ष  2002 और वर्ष 2021 में अद्यतन किया गया था।
      • MTP संशोधन अधिनियम, 2021 बलात्कार पीड़िताओं जैसे विशिष्ट मामलों में दो डॉक्टरों की मंजूरी से 20 से 24 सप्ताह के गर्भ में गर्भपात की अनुमति देता है
      • यह तय करने के लिये राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन करता है, कि भ्रूण में पर्याप्त असामान्यताओं के मामलों में 24 सप्ताह के बाद गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है या नहीं।
      • यह अविवाहित महिलाओं (शुरुआत में केवल विवाहित महिलाओं) के लिये गर्भनिरोधक प्रावधानों की विफलता को बढ़ाता है, जिससे उन्हें अपनी वैवाहिक स्थिति के बावजूद, अपनी पसंद के आधार पर गर्भपात सेवाएँ लेने की अनुमति मिलती है।
    • उम्र और मानसिक स्थिति के आधार पर सहमति की आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं, जिससे चिकित्सक की निगरानी सुनिश्चित होती है।
  • भारत का संविधान, जो अनुच्छेद 21 के तहत सभी नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। इस अधिकार की व्याख्या भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा महिलाओं के लिये प्रजनन विकल्प और स्वायत्तता के अधिकार को शामिल करने के लिये की गई है।

नोट:

गर्भपात से जुड़ी चिंताएँ क्या हैं?

  • असुरक्षित गर्भपात के मामले:
    • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 के अनुसार असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, तथा प्रतिदिन असुरक्षित गर्भपात से संबंधित कारणों से लगभग 8 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।
    • विवाहेतर तथा गरीब परिवारों की महिलाओं के पास अवांछित गर्भधारण को समाप्त करने के लिये असुरक्षित अथवा अवैध तरीकों का उपयोग करने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है।
  • पुरुष संतान को प्राथमिकता:
    • कन्या भ्रूण का चयनात्मक गर्भपात सबसे आम है जहाँ पुरुष बच्चें को कन्या बच्चें से अधिक महत्त्व दिया जाता है, विशेष रूप से पूर्वी एशिया तथा दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में (विशेषकर चीन, भारत तथा पाकिस्तान जैसे देशों में)।
  • ग्रामीण भारत में चिकित्सा विशेषज्ञ की कमी:
    • लैंसेट में वर्ष 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2015 तक भारत में प्रतिवर्ष 15.6 मिलियन गर्भपात हुए।
    • MTP अधिनियम के अनुसार गर्भपात केवल स्त्री रोग या प्रसूति विज्ञान में विशेषज्ञता वाले डॉक्टरों द्वारा ही किया जाना आवश्यक है।
      • हालाँकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2019-20 की रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत में प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञों की 70% कमी है।

आगे की राह

  • महिलाओं को अनावश्यक बाधाओं अथवा पूर्वधारणा का सामना किये बिना सुरक्षित और विधिपूर्ण गर्भपात सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिये।
    • इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गर्भपात सेवाओं की उपलब्धता का विस्तार करना, व्यापक प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षण देना और MTP अधिनियम के तहत महिलाओं के अधिकारों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
  • महिलाओं की सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने में चिकित्सा व्यवसायी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • गर्भपात सेवाओं की मांग करने वाली महिलाओं को उच्च-गुणवत्ता तथा पूर्वधारणा रहित देखभाल प्रदान करने में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का समर्थन करने के साथ-साथ उनकी अन्य नैतिक अथवा कानूनी चिंताओं का समाधान करने के लिये नीतियाँ तैयार की जानी चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019)

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