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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ज़िका और डेंगू के निदान हेतु एक त्वरित परीक्षण

  • 03 Oct 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम (भारतीय शोधकर्त्ताओं सहित) द्वारा ज़िका और डेंगू के वायरस के निदान के लिये एक कम लागत वाला तीव्र नैदानिक परीक्षण विकसित किया गया है। इसके साथ-साथ वैज्ञानिकों द्वारा डेंगू के चार सीरोटाइप वायरसों को भी विभेदित किया गया है। 

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि वर्तमान में उपलब्ध कोई भी तीव्र परीक्षण डेंगू के चारों सीरोटाइप वायरसों के मध्य विभेदन करने में सक्षम नहीं है।
  • डेंगू के मामले में डायग्नोस्टिक टेस्ट लगभग 76-100% संवेदनशील और विशिष्ट होते हैं, जबकि ज़िका के मामले में इनकी संवेदनशीलता 81% और विशिष्टता 86% होती है।
  • ऐसे बहुत से नैदानिक परीक्षण हैं जो ज़िका और डेंगू संक्रमण के बीच स्पष्ट विभेदन नहीं कर सकते हैं, परंतु यह नया परीक्षण इन दोनों प्रकार के वायरसों के संक्रमण के बीच भेद करने की लगभग 100% क्षमता रखता है। 
  • उल्लेखनीय है कि इस परीक्षण से संबंधित परिणामों को साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन (Science Translational Medicine) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

शोध से संबंधित कुछ विशेष बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं द्वारा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उत्पन्न करने के लिये चूहों में ज़िका और डेंगू वायरस द्वारा उत्पादित विशिष्ट फ्लैविवायरस नॉनस्ट्रक्चरल-1 (एनएस-1) प्रोटीन को इंजेक्ट किया गया। 
  • इसके  पश्चात् उनके द्वारा एंटीबॉडी के जोड़े की पहचान की गई, जो न केवल डेंगू के सेरोटाइप एनएस-1 प्रोटीन के साथ-साथ ज़िका एनएस-1 प्रोटीन के विषय में पता लगा सकता है, बल्कि दोनों के मध्य अंतर भी कर सकता है। 
  • वैज्ञानिकों द्वारा प्रत्येक एंटीबॉडी को दो अलग-अलग जगहों पर क्रोमैटोग्राफी पेपर की एक पट्टी पर लेपित किया गया। तत्पश्चात् इन एंटीबॉडीज़ में से एक को सोने के नैनोकणों से संबद्ध किया गया। 
  • जब किसी रोगी के सीरम के नमूने को (जहाँ एंटीबॉडी चिन्हित होती है) क्रोमैटोग्राफी पेपर से संबद्ध किया जाता है, तो सीरम में मौजूद एंटीजेन पहले एंटीबॉडी से बंध जाता है।
  • चूँकि यह क्रोमैटोग्राफी पेपर होता है, इसलिये एंटीबॉडी  से संबद्ध एंटीजेन फैल जाता है और दूसरे एंटीबॉडी के संपर्क में आ जाता है। 
  • दूसरा एंटीबॉडी भी कोलोडायल समुच्चय (Collodial Aggregates) के निर्माण हेतु अग्रणी एंटीजन को बांधने का काम करता है तथा एक गुलाबी स्थान का निर्माण करता है। जैसे ही दूसरा एंटीबॉडी अधिकृत एंटीजन के साथ बंधता है, उसके 20 से 30 मिनट के भीतर पट्टी पर एक गुलाबी स्थान दिखाई देने लगता है।
  • वस्तुतः इस गुलाबी स्थान की उपस्थिति या तो ज़िका वायरस या डेंगू वायरस की उपस्थिति के संबंध में सकारात्मक चिन्ह दर्शाती है। जबकि एक सीरोटाइप परीक्षण के मामले में यह संबंधित डेंगू सीरोटाइप वायरस को इंगित करती है।
  • चूँकि प्रत्येक जोड़ी एक विशिष्ट सीरोटाइप को प्रदर्शित करती है, इसलिये डेंगू सेरोटाइप के परीक्षण के लिये चार स्ट्रिप्स तथा ज़िका के परीक्षण के नमूने के लिये एक स्ट्रिप की आवश्यकता है।
  • इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों द्वारा एक पैन-डेंगू स्ट्रिप को भी विकसित किया गया, जो मौजूदा परीक्षण किटों के विपरीत ज़िका एनएस-1 के साथ क्रॉस-रिएक्शन किये बिना डेंगू वायरस की सकारात्मकता को इंगित करती है। हालाँकि यह स्ट्रिप चार सीरोटाइपस के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं है।
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