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GRAP स्टेज-IV के तहत एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में 8-सूत्रीय कार्य योजना

  • 09 Nov 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एन.सी.आर. एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग, ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान, PM2.5 उत्सर्जन, हल्के वाणिज्यिक वाहन, वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के चरण, वायु प्रदूषण से संबंधित भारत सरकार की पहल

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-IV के अनुरूप आठ-सूत्रीय कार्य योजना लागू की है, जिसका लक्ष्य संबद्ध क्षेत्र की वायु गुणवत्ता में होने वाली किसी भी अतिरिक्त गिरावट को नियंत्रित करना है।

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) क्या है? 

  • परिचय: 
    • GRAP के तहत दिल्ली-NCR क्षेत्र में निर्धारित सीमा के बाद वायु की गुणवत्ता में होने वाली गिरावट को रोकने के लिये डिज़ाइन किये गए आपातकालीन उपाय शामिल हैं।
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा वर्ष 2017 में GRAP को अधिसूचित किया।
    • NCR एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) GRAP लागू करता है।
  • कार्यान्वयन: इसे चार चरणों के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाता है: 

  • GRAP की प्रकृति वृद्धिशील है तथा इस प्रकार वायु गुणवत्ता के 'खराब' से 'बहुत खराब' होने पर दोनों वर्गों के तहत सूचीबद्ध उपायों का पालन करना पड़ता है।

GRAP के चरण-IV के अनुसार आठ सूत्रीय कार्य योजना क्या है?

  • आवश्यक सेवा वाहकों के अतिरिक्त गैर-दिल्ली-पंजीकृत हल्के वाणिज्यिक वाहनों (LCV) को दिल्ली में प्रवेश करने से प्रतिबंधित करना, जब तक कि वे EVs/CNG/BS-VI डीज़ल चालित वाहन न हों।
  • आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के अतिरिक्त दिल्ली-पंजीकृत डीज़ल चालित मध्यम माल वाहन (MGV) तथा भारी माल वाहन (HGV) की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाना
  • राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, बिजली ट्रांसमिशन व पाइपलाइन जैसी रैखिक सार्वजनिक परियोजनाओं के निर्माण के दौरान विध्वंस (C&D) गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना। 
  • NCR राज्य सरकारों व GNCTD को कक्षा VI से IX, कक्षा XI के लिये भौतिक कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में बदलने की सलाह देना।
  • NCR राज्य सरकारों/GNCTD को सरकारी, नगरपालिका एवं निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत क्षमता पर कार्य करने की अनुमति देने पर विचार करने का निर्देश देना और शेष को घर से कार्य करने की अनुमति देना।
  • केंद्र सरकार के कार्यालयों में कर्मचारियों को घर से कार्य करने की अनुमति देने पर केंद्र सरकार उचित निर्णय ले सकती है।
  • राज्य सरकारों को शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने, गैर-आवश्यक व्यावसायिक गतिविधियों और सम-विषम वाहन पंजीकरण संख्या योजना को लागू करने जैसे अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर विचार करने के लिये प्रोत्साहित करना।

दिल्ली-NCR क्षेत्र में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण और स्रोत: 

  • पराली जलाना: हालाँकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा फसल अवशेषों को जलाना काफी हद तक कम हो गया है, लेकिन अभी भी यह अक्तूबर और नवंबर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण बढ़े वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बना हुआ है।
    • SAFAR के अनुसार वर्ष 2021 में दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 25% था।
      • SAFAR का मतलब सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च है। यह वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता पर विशिष्ट जानकारी प्रदान करने के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है।
  • वाहन उत्सर्जन: दिल्ली और NCR की सड़कों पर बड़ी संख्या में चलने वाली कारों, ट्रकों, बसों तथा दोपहिया वाहनों से होने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का एक और मुख्य कारण है।
    • ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, परिवहन क्षेत्र दिल्ली में PM2.5 उत्सर्जन (सभी PM2.5 उत्सर्जन का 28%) का मुख्य स्रोत है।
  • औद्योगिक उत्सर्जन: NCR क्षेत्र में और उसके आसपास कई उद्योगों की उपस्थिति वातावरण में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करती है। उद्योग सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) और पार्टिकुलेट मैटर जैसे विभिन्न प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • निर्माण गतिविधियाँ: निर्माण स्थल, विशेष रूप से बाह्य इलाकों में मौजूद ईंट के भट्टे, उच्च स्तर के प्रदूषक उत्पन्न करते हैं।
    • पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन में कमी, अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन और निर्माण परियोजनाओं के लिये अपर्याप्त समयसीमा समस्या को बढ़ा देती है।
  • अपशिष्ट दहन और लैंडफिल: अपशिष्ट का अनुचित निपटान, जिसमें खुले में अपशिष्ट जलाना और लैंडफिल साइटें शामिल हैं, हवा में हानिकारक गैसों एवं कणों का उत्सर्जन करता है, जिससे वायु की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
    • उदाहरण: गाज़ीपुर लैंडफिल साइट।
  • भौगोलिक और मौसम संबंधी कारक: NCR क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति सर्दियों के दौरान व्युत्क्रमित तापमान जैसी विशिष्ट मौसम संबंधी स्थितियों के साथ प्रदूषकों के भूमि में अवशोषित होने में योगदान करती है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
    • अक्तूबर 2023 में दिल्ली-NCR में वर्ष 2020 के बाद से आंशिक रूप से न्यूनतम वर्षा के कारण सर्वाधिक प्रदूषण स्तर देखा गया।
      • बारिश आम तौर पर कणों और धूल को व्यवस्थित करने में सहायता करती है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक में वृद्धि होती है।

नोट: विश्व भर में किये गए विभिन्न शोधों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण, एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया और बच्चों में गैर-हॉजकिन लिंफोमा (एक शब्द है जिसका उपयोग 75 से अधिक विभिन्न प्रकार के कैंसर का वर्णन करने के लिये किया जाता है) आपस में संबंधित हैं। ये मुख्य रूप से बेंजीन, नाइट्रस ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे प्रदूषकों के कारण होता है। कम प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों की तुलना में दिल्ली में ल्यूकेमिया और लिम्फोमा से पीड़ित बच्चों की संख्या काफी अधिक है।

वायु प्रदूषण से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?

आगे की राह

  • उत्सर्जन नियंत्रण संबंधी सख्त नीतियाँ: वायुमंडल में मुक्त होने वाले प्रदूषकों को सीमित करने के लिये उद्योगों, वाहनों तथा विनिर्माण गतिविधियों के लिये उत्सर्जन मानदंडों को और सख्त बनाना।
  • सार्वजनिक परिवहन और यातायात प्रबंधन: वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिये सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करना। सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क का विस्तार व सुधार सड़क पर अतिरिक्त वाहनों की भीड़भाड़ तथा उत्सर्जन को नियंत्रित करने में सहायता कर सकता है।
    • दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या में वृद्धि और दिल्ली मेट्रो में यात्रियों की सुविधाओं को बेहतर बनाने जैसी हालिया पहल इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन और विनियमन: खुले में अपशिष्ट जलाने और लैंडफिल उत्सर्जन को कम करने के लिये अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी सख्त नियमों का निर्धारण एवं उनका प्रभावी क्रियान्वयन करना
    • खुले में जलाए जाने वाले अपशिष्ट की मात्रा को कम करने के लिये पुनर्चक्रण, खाद निर्माण और अपशिष्ट-से- ऊर्जा बनाने की पहल इत्यादि को प्रोत्साहित करना।
  • फसल अवशेष प्रबंधन: किसानों को हैप्पी सीडर जैसे वित्तीय रूप से व्यवहार्य और पर्यावरण के अनुकूल अवशेष प्रबंधन विकल्प प्रदान करके फसल अवशेषों को जलाने की समस्या का समाधान करना।
    • इन तरीकों को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने से अवशेषों को जलाने की अनिवार्यता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, वित्त वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) के परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2.  कार्बन मोनोक्साइड
  3.  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4.  सल्फर डाइऑक्साइड
  5.  मेथैन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021)

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