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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अभी तक के सबसे गर्म वर्षों में से एक रहा वर्ष 2017

  • 07 Nov 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों 

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization - WMO) द्वारा जलवायु की स्थिति के संबंध में जारी एक बयान में कहा गया है कि बहुत सी उच्च प्रभाव वाली घटनाओं, जिनमें तूफान एवं बाढ़, निरंतर गर्म हवाओं और सूखे के साथ वर्ष 2017 तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा। 

प्रमुख बिंदु

  • जनवरी से सितंबर 2017 तक औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक युग से लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा है।
  • एक शक्तिशाली एल-नीनो के परिणामस्वरूप वर्ष 2016 सबसे अधिक गर्म वर्ष रहा है। इसके पश्चात् दूसरा एवं तीसरा स्थान क्रमशः 2017 और 2015 का है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 1981-2010 को आधार रेखा मानते हुए इस रिकॉर्ड का निर्धारण किया गया।
  • गौर करने वाली बात यह है कि पिछले तीन वर्षों से लगातार तापमान का उच्च स्तर बना हुआ है। 
  • यह मौसम की एक असाधारण स्थिति को इंगित करता है जिसके कारण न केवल एशिया क्षेत्र में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक पहुँच गया है, बल्कि कैरीबियन और अटलांटिक क्षेत्र में निरंतर आ रहे शक्तिशाली तूफान जो कि आयरलैंड की सीमा तक पहुँच रहे हैं तथा विनाशकारी मानसूनी बाढ़ एवं पूर्वी अफ्रीका में बने हुए सतत् सूखे ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।
  • इन सभी स्थितियों पर गंभीरता से विचार करने के उपरांत ही पेरिस समझौते में निहित निर्धारित लक्ष्यों एवं महत्त्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किये जा सकते हैं।

चरम घटनाएँ

  • हाल ही में जारी एक बयान में कहा गया है कि एफ.ए.ओ. (Food and Agriculture Organization – FAO) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली चरम घटनाओं के परिणामस्वरूप लाखों लोगों के खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ा है।
  • उल्लेखनीय है कि मध्यम पैमाने से बड़े पैमाने पर आने वाले तूफान तथा बाढ़ और सूखे के कारण कृषि क्षेत्र को तकरीबन 26% के नुकसान का सामना करना पड़ा है।
  • वर्ष 2016 में तकरीबन 23.5 मिलियन लोगों को मौसम से संबंधित आपदाओं के दौरान विस्थापित होना पड़ा। 
  • इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा प्रदत्त सूचना के अनुसार, सोमालिया में लगभग 7,60,000 से अधिक लोग आंतरिक विस्थापन के शिकार हुए।

भारतीय परिदृश्य में बात करें तो

  • वर्ष 2017 के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में पूरे भारत वर्ष में औसतन वर्षा 5% वर्षा दर्ज़ की गई। हालाँकि, पूर्वोत्तर भारत और आसन्न देशों में औसत वर्षा के परिणामस्वरूप बाढ़ की घटनाएँ दर्ज़ की गईं। 
  • इसके अतिरिक्त भारतीय उपमहाद्वीप के भी कई हिस्से मानसूनी बाढ़ से प्रभावित रहे। अगस्त माह के मध्य में पूर्वी नेपाल, उत्तरी बांग्लादेश और उत्तरी भारत के आस-पास के क्षेत्र में गंभीर बाढ़ की घटनाएँ दर्ज़ की गईं। 
  • इसके अलावा उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में तीन प्रमुख एवं उच्च प्रभाव वाले तूफानों हार्वे, इरमा एवं मारिया ने इस स्थिति को और भी अधिक भयावह रूप प्रदान किया।

समुद्र के जल स्तर की स्थिति

  • वर्ष 2017 में वैश्विक औसत समुद्र स्तर (Global Mean Sea Level - GMSL) अपेक्षाकृत स्थिर रहा। वर्ष 2015-16 के एल-नीनो के अस्थायी प्रभाव तथा जी.एम.एस.एल. की लंबी अवधि की प्रवृत्ति के कारण ऐसा हुआ।
  • हालाँकि, प्रारंभिक आँकड़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जुलाई-अगस्त 2017 से जी.एम.एस.एल. में फिर से वृद्धि शुरू होने की संभावना व्यक्त की गई है।
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