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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक प्रसन्नता रिपोर्ट में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन

  • 17 Apr 2017
  • 9 min read

संदर्भ
हाल ही में जारी हुए विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट (World Happiness Report), 2017 में लोगों के जीवन की गुणवत्ता के मामले में भारत की स्थिति पर प्रकाश डाला गया| स्पष्ट रूप से यह देश के नीति निर्माताओं को राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय को अधिकतम करने के अतिरिक्त अन्य उपायों के विषय में विचार करने तथा लोगों को उन्नत जीवन यापन करने हेतु प्रसन्नता के पथ पर अग्रसर होने के लिये प्रेरित करने का कार्य करेगा|

मुख्य कारक

  • गौरतलब है कि प्रसन्नता के प्रमुख निर्धारक आर्थिक चर (आय और रोज़गार), सामाजिक कारक (शिक्षा और पारिवारिक जीवन) और स्वास्थ्य (मानसिक और शारीरिक) हैं|
  • इस रिपोर्ट में लोगों के अनुभव को वैद्यता प्रदान करने के लिये निम्नलिखित छह सूचकों का प्रयोग किया गया- प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, जीवन प्रत्याशा के स्वस्थ वर्ष, सामाजिक समर्थन, विश्वास, जीवन में निर्णय लेने की स्वतंत्रता और उदारता| 

भारत का स्थान 

  • भारत को 155 देशों की सूची में 122वाँ स्थान प्राप्त हुआ है| इस प्रकार यह केवल चीन (79) ही नहीं बल्कि पाकिस्तान (80), भूटान (97), नेपाल (99), बांग्लादेश (110) और श्रीलंका (120) से भी काफी पीछे है|
  • यदि रिपोर्ट के विषय में गंभीरता से विचार किया जाए तो स्पष्ट होता है कि दक्षिण-एशियाई क्षेत्र में भारत एक अप्रसन्न राष्ट्र है|

वैश्विक परिदृश्य 

  • गौरतलब है कि विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट में प्रमुख 10 स्थानों पर आने वाले राष्ट्र कई वर्षों से अपने-अपने स्थानों पर यथावत बने हुए हैं| इन राष्ट्रों में अधिकांशतः छोटे और मध्यम पश्चिम यूरोपीय लोकतंत्र शामिल हैं|
  • रिपोर्ट में प्रमुख 10 स्थानों में शामिल होने वाले राष्ट्रों में नॉर्वे, डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन आदि राष्ट्र शामिल हैं|
  • उल्लेखनीय है कि इन सभी राष्ट्रों में कई मुक्त बाज़ार व्यवस्था के साथ-साथ उच्च सामाजिक व्यय और कर की दरें भी काफी उच्च हैं| इतना ही नहीं इन राष्ट्रों को शासन व्यवस्था में भी अच्छा स्थान प्राप्त हुआ है|
  • इस अध्ययन में यह भी देखा गया कि वर्ष 2005-07 से 2014-16 के दौरान रिपोर्ट में शामिल देशों ने विकास के हर पथ पर कैसा प्रदर्शन किया? इस मामले में भी भारत की स्थिति खराब रही|
  • चूँकि ये सभी रेंकिंग सार्वभौमिक कारकों पर आधारित हैं इसलिये इस रिपोर्ट में शामिल देशों के मध्य विद्यमान विभिन्न परिवर्तनों के विषय में भी अध्ययन किया गया| 
  • अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और इंडोनेशिया के संबंध में किये गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि पश्चिमी समाजों में आय, रोज़गार और शारीरिक अस्वस्थता की तुलना में मानसिक अस्वस्थता अधिक महत्त्वपूर्ण घटक हैं| 
  • इंडोनेशिया में, मानसिक स्वास्थ्य बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है परन्तु आय से अधिक नहीं| वहीं दूसरी ओर पश्चिमी देशों में लोगों के पास जीवनसाथी का होना प्रसन्न होने के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण घटक है|
  • इन सबके विपरीत ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर शिक्षा का सभी देशों में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है| 
  • इसके अतिरिक्त ब्रिटेन पर किये गए एक अध्ययन से ज्ञात होता है कि बच्चों पर अधिक ध्यान देकर ही नीतियों को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है| किसी बच्चे का भावनात्मक स्वास्थ्य और व्यवहार उसके वयस्क होने के अवसरों को दर्शाता है| 

विकास के सार्वभौमिक तत्त्व

  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि बच्चे के स्वास्थ्य का सबसे अच्छा भविष्यवक्ता उसकी माता का मानसिक स्वास्थ्य होता है| इसके साथ-साथ एक बच्चे की प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयी शिक्षा पर सामाजिक परिवेश का भी प्रभाव पड़ता है जो उसके मानसिक विकास में एक अहम भूमिका का निर्वाह करती है|
  • कार्य और प्रसन्नता एक-दूसरे से संबंधित होते है| यही करण है कि संपूर्ण विश्व में रोज़गार करने वाले व्यक्ति अपने जीवन की गुणवत्ता को बेरोज़गार व्यक्तियों की तुलना में कई अधिक महत्त्व देते हैं|
  • इसका कारण यह है कि बेरोज़गारी के दौर में नकारात्मक वृद्धि से प्रत्येक व्यक्ति (वह भी जिसके पास रोज़गार है) प्रभावित होता है| 
  • इन सबके विपरीत अच्छा वेतन प्रदान करने वाले रोज़गार के अवसर प्रसन्नता के लिये दूसरे तत्त्वों की तुलना में कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं|
  • हालाँकि, प्रसन्नता के लिये इसके अतिरिक्त भी बहुत सी अन्य चीजें महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं जैसे - कार्य और जीवन के मध्य संतुलन, स्वायत्ता, विविधता, रोज़गार सुरक्षा, सामाजिक पूंजी, स्वास्थ्य और सुरक्षात्मक जोखिम इत्यादि|
  • किसी भी देश के विकास के पथ पर ये सभी कारक इसलिये भी महत्त्वपूर्ण होते है क्योंकि ये कामगारों को बेहतर जीवन जीने के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ उनसे उच्च स्तर की उत्पादकता लेने और उसके बलबूते फर्म के बेहतर प्रदर्शन में भी लाभकरी सिद्ध होते हैं|

उक्त रिपोर्ट में चीन का प्रदर्शन 

  • उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट में एक अध्ययन चीन के विषय में भी प्रस्तुत गया है| चीन ने 90 के दशक से 2000 की मध्यावधि तक प्रसन्नता के मामले में निराशाजनक प्रदर्शन किया है हालाँकि वर्ष 2000 के बाद से इसमें निरंतर सुधार दर्ज किया गया है|
  • परन्तु, वर्तमान में इसकी प्रसन्नता दर में पिछले दशकों की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है| हालाँकि, इस समयावधि के दौरान इसके प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में ज़बरदस्त प्रगति देखने को मिली है|

अन्य महत्त्वपूर्ण पक्ष

  • चीन के अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि यदि किसी देश की नीति का प्रमुख उद्देश्य ही लोगों के स्वास्थ्य के स्तर में सुधार करना है तो उस देश की जीडीपी की तुलना में सामाजिक स्वास्थ्य कई ज्यादा महत्वपूर्ण घटक हो जाता है| 
  • वहीं दूसरी ओर अमेरिका की प्रसन्नता दर में हुई कमी के सन्दर्भ में अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि अमेरिका का संकट सामजिक संकट है, जो बढ़ती असमानता, भ्रष्टाचार, अलगाव और अविश्वास के कारण उभरा है| स्पष्ट रूप से यह कोई आर्थिक संकट नहीं है| अत: इस संकट से उबरने के लिये अमेरिकी रणनीतिकारों को इस विषय में और अधिक गंभीरता से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है|
  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि राजनीतिज्ञ केवल आर्थिक वृद्धि की दर को बढ़ाने पर ही अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं| जबकि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर को तीव्र करने के उपाय के रूप में विनियमन हटाना अथवा कर की दरों में कमी करना; ये सभी कारक विकास को गति प्रदान नहीं करते है वरन् सामाजिक तनाव की स्थिति को और अधिक गंभीर स्थिति में पहुँचा देते हैं|
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