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जैव विविधता और पर्यावरण

‘वेट-बल्ब’ तापमान

  • 03 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

‘वेट-बल्ब’ तापमान, ‘ड्राई-बल्ब’ तापमान, ‘ओसांक बिंदु’ तापमान, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज, समुद्र स्तर में बढ़ोतरी।

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, संरक्षण, बढ़ते ‘वेट-बल्ब’ तापमान का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (IPCC) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट के भाग 2 ने दक्षिण एशिया में 'वेट बल्ब' तापमान की प्रवृत्ति पर ज़ोर दिया।

  • यह गर्मी और आर्द्रता के संयुक्त प्रभाव एवं स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का एक सूचकांक प्रदान करेगी।

‘वेट-बल्ब’ तापमान क्या है?

  • ‘वेट-बल्ब’ तापमान सबसे कम तापमान होता है, जिससे हवा में पानी के वाष्पीकरण द्वारा निरंतर दबाव में हवा को ठंडा किया जा सकता है।
  • ‘वेट-बल्ब’ तापमान गर्मी एवं आर्द्रता की वह सीमा है, जिसके आगे मनुष्य उच्च तापमान को सहन नहीं कर सकता है।
  • ‘वेट बल्ब’ तापमान रुद्धोष्म संतृप्ति का तापमान है। यह हवा के प्रवाह के संपर्क में आने वाले एक नम थर्मामीटर बल्ब द्वारा इंगित तापमान है।
    • रुद्धोष्म प्रक्रम वह है, जिसमें न तो कोई ऊष्मा प्राप्त की जाती है और न ही खोई जाती है।
  • गीले मलमल में लिपटे बल्ब के साथ थर्मामीटर का उपयोग करके ‘वेट बल्ब’ तापमान मापा जा सकता है।

  • थर्मामीटर से पानी का एडियाबेटिक वाष्पीकरण और शीतलन प्रभाव हवा में ‘ड्राई-बल्ब’ तापमान ‘वेट-बल्ब’ तापमान से कम इंगित किया जाता है।
  • बल्ब पर गीली पट्टी से वाष्पीकरण की दर और सूखे बल्ब तथा गीले बल्ब के बीच तापमान का अंतर हवा की नमी पर निर्भर करता है।
    • वायु में जलवाष्प की मात्रा अधिक होने पर वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है।
  • वेट बल्ब का तापमान हमेशा ड्राइ बल्ब के तापमान से कम होता है लेकिन यह 100% सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्ति रेखा पर हो) के समान होगा।
  • 31 डिग्री सेल्सियस पर वेट-बल्ब का तापमान मनुष्यों के लिये अत्यधिक हानिकारक होता है, जबकि 35 डिग्री सेल्सियस पर तापमान 6 घंटे से अधिक समय तक सहनीय नहीं हो सकता है।

ओसांक बिंदु और वेट-बल्ब तापमान:

  • ड्राई-बल्ब तापमान:
    • ड्राई बल्ब तापमान, जिसे आमतौर पर "हवा का तापमान" (Air Temperature) भी कहा जाता है, वायु का वह गुण है जिसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। जब लोग हवा के तापमान का उल्लेख करते हैं तो वे आमतौर पर ड्राई बल्ब के तापमान (Dry Bulb Temperature) की बात करते हैं।
    • ड्राई बल्ब तापमान मूल रूप से परिवेशी वायु तापमान को संदर्भित करता है। इसे "ड्राई बल्ब" कहा जाता है क्योंकि हवा का तापमान एक थर्मामीटर द्वारा इंगित किया जाता है जो हवा की नमी से प्रभावित नहीं होता है।
    • ड्राई बल्ब तापमान को एक सामान्य थर्मामीटर का उपयोग करके मापा जा सकता है जो स्वतंत्र रूप से हवा के संपर्क में आता है लेकिन विकिरण और नमी से परिरक्षित (Shielded) होता है।
    • ड्राई बल्ब तापमान ऊष्मा की मात्रा का सूचक है।
  • ओसांक बिंदु तापमान:
    • ओसांक बिंदु वह तापमान है जिस पर जल वाष्प संघनित होने लगता है (वह तापमान जिस पर हवा पूरी तरह से संतृप्त हो जाती है)।
      • इस तापमान के ऊपर हवा में नमी बनी रहती है।
    • यदि ओसांक-बिंदु (Dew Point) तापमान शुष्क हवा के तापमान के लगभग बराबर है तो सापेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity) अधिक होती है।
    • यदि ओसांक बिंदु शुष्क हवा के तापमान से काफी नीचे है तो सापेक्षिक आर्द्रता कम होती है।
    • ओसांक बिंदु तापमान हमेशा ड्राइ-बल्ब तापमान से कम होता है तथा 100% सापेक्ष आर्द्रता (संतृप्त वायु पर) के समान होगा।

भारत पर प्रभाव:

  • यदि उत्सर्जन में वृद्धि जारी रही तो लखनऊ और पटना का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के वेट-बल्ब तापमान तक पहुँचने का पूर्वानुमान है, जबकि भुवनेश्वर, चेन्नई, मुंबई, इंदौर और अहमदाबाद में इसके 32-34°C के ‘वेट-बल्ब’ तापमान तक पहुँचने का खतरा है।
  • निरंतर उत्सर्जन के साथ विदर्भ सहित मध्य भारत के कुछ हिस्सों में वेट बल्ब तापमान 32-34 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने का खतरा है।
  • इसके साथ ही हीट-वेव से जुड़ी मौतों में वृद्धि या उत्पादकता में कमी देखने को मिलेगी।
  • बढ़ती गर्मी से निपटने के लिये कृत्रिम रूप से शीतलन पर निर्भर रहने से ऊर्जा की मांग बढ़ जाएगी जिससे कई लोग खतरनाक रूप से बिजली की विफलता के संपर्क में आ जाएंगे।
    • इससे समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग तथा बाहर कार्य करने वाले लोग प्रभावित होंगे।

स्रोत: द हिंदू

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