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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय और अमेरिका

  • 16 Jun 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय तथा इसकी भूमिका, वैश्विक स्तर पर अमेरिका-ICC संबंधों का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court-ICC) के कुछ कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस आदेश से ICC के कर्मचारियों की वित्तीय संपत्ति अवरुद्ध हो जाएगी, साथ ही इन अधिकारियों और इनके निकट रिश्तेदारों को संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा।

प्रतिबंध का कारण

  • ICC के ये अधिकारी इस बात की जाँच कर रहे थे कि क्या अफगानिस्तान तथा अन्य स्थानों पर हुए कथित युद्ध अपराधों में अमेरिकी सेना और इसके सहयोगी शामिल थे।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी-जनरल के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग (US Justice Department) को पर्याप्त विश्वसनीय जानकारी मिली है जो अभियोजन पक्ष के कार्यालय में उच्चतम स्तर पर वित्तीय भ्रष्टाचार और दुर्भावना के लंबे इतिहास के बारे में गंभीर चिंताओं को उजागर करती है। 
  • उपरोक्त के अलावा अमेरिकी अधिकारियों ने ICC में अपने पक्ष में हेर-फेर करने के लिये रूस को भी ज़िम्मेदार ठहराया है।
  • अमेरिका मानना है कि इसका अधिकार क्षेत्र केवल तभी लागू होता है जब कोई सदस्य राज्य अत्याचारों के खिलाफ मुकदमा चलाने में असमर्थ या अनिच्छुक हो।

अमेरिका के फैसले की आलोचना

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने अमेरिका के इस फैसले की निंदा यह कहते हुए की है कि अमेरिका का फैसला “विधि के शासन और न्यायालय की न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का अस्वीकार्य प्रयास है”
  • इज़राइल को छोड़कर, कई अन्य देशों ने हेग स्थित न्यायाधिकरण का समर्थन किया है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने भी अमेरिका द्वारा दिये गए आदेशों की रिपोर्ट पर ध्यान दिया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय NGO ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) के अनुसार, संपत्ति ज़ब्त करने और यात्रा प्रतिबंध लगाने जैसे निर्णय मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिये हैं, न कि पीड़ितों के लिये न्याय की मांग करने वाले अभियोजन पक्ष तथा न्यायाधीश के लिये।

अमेरिका तथा ICC संबंधों की पृष्ठभूमि

  • क्लिंटन प्रशासन (1993-2001) रोम संविधि (Rome Statute) की वार्ताओं में शामिल था और वर्ष 2000 में उसने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये। लेकिन अगले राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने वर्ष 2002 में अमेरिका को रोम संविधि से अलग कर दिया और ICC की पहुँच से अमेरिकी नागरिकों की रक्षा के लिये अमेरिकन सर्विस-मेंबर्स प्रोटेक्शन एक्ट (American Service-Members’ Protection Act) कानून पर हस्ताक्षर किये।
  • ICC के साथ मतभेदों के बावजूद, कई ऐसे उदाहरण हैं जिसमें वाशिंगटन ने इस मंच के प्रति सकारात्मक रुख अपनाया-
    • वर्ष 2005 में जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दारफुर संकट (Darfur crisis) के दौरान अपराधों की जाँच करने के लिये ICC को अनुरोध किया उस पर अमेरिका ने वीटो नहीं किया।
    • वर्ष 2011 में जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लीबिया मामला ICC को स्थानांतरित किया तो अमेरिका ने इसके समर्थन में वोट किया। 
  • अमेरिका ने मुकदमों के लिये संदिग्धों को अफ्रीका से ICC तक स्थानांतरित करने में भी महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान की।
  • डोनाल्ड ट्रम्प के राष्टपति बनने के बाद अमेरिका तथा ICC के संबंधों में फिर से मतभेद उत्पन्न हुए। 
    • ट्रम्प ने वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में घोषणा करते हुए कहा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका ICC को किसी भी प्रकार का समर्थन या मान्यता प्रदान नहीं करेगा। ICC का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, कोई वैधता नहीं है और कोई अधिकार नहीं है।
  • वर्ष 2019 में ICC की मुख्य अभियोजक फतौ बेन्सौडा (Fatou Bensouda) ने वर्ष 2003 से 2014 के बीच अफगानिस्तान युद्ध के दौरान हुए कथित अत्याचारों की औपचारिक जाँच के लिये कहा, इस जाँच के तहत संभवतः अमेरिकी सेना और CIA अधिकारियों के युद्ध अपराधों में शामिल होने की जाँच की जानी थी। उस समय ट्रम्प प्रशासन ने फतौ बेन्सौडा के अमेरिकी वीज़ा को रद्द कर प्रतिक्रिया व्यक्त की। मार्च 2020 में, ICC के न्यायाधीशों ने बेन्सौडा के अनुरोध को मंज़ूरी दी थी।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय 

(International Criminal Court-ICC)

  • ICC, हेग (नीदरलैंड्स) में स्थित एक स्थायी न्यायिक निकाय है, जिसका सृजन वर्ष 1998 के अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर रोम संविधि (इसकी स्थापना और संचालन संबंधी दस्तावेज़़) द्वारा किया गया था और 1 जुलाई, 2002 इस संविधि के लागू होने के साथ इसने कार्य करना प्रारंभ किया।
  • मंच की स्थापना विभिन्न अपराधों के खिलाफ अभियोजन के लिये अंतिम उपाय के रूप में की गई थी ताकि उन अपराधों के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके जो अन्यथा अदंडित रह जाएंगे। ICC का क्षेत्राधिकार मुख्यतः चार प्रकार के अपराधों पर होगाः
    1. नरसंहार (Genocide)
    2. मानवता के खिलाफ अपराध (Crimes Against Humanity)
    3. युद्ध अपराध (War Crimes)
    4. अतिक्रमण का अपराध (Crime of Aggression)
  • 123 राष्ट्र रोम संविधि के पक्षकार हैं तथा ICC के अधिकार को मान्यता देते हैं लेकिन अमेरिका, चीन, रूस और भारत इसके प्रमुख अपवाद हैं।
  • उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice-ICJ) संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा है जबकि ICC संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा नहीं है बल्कि UN-ICC संबंध एक अलग समझौते द्वारा शासित है।
  • ICJ जो संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है, यह मुख्य रूप से राष्ट्रों के बीच विवादों पर सुनवाई करता है। जबकि ICC व्यक्तियों पर मुकदमा चलाती है क्योंकि इसका अधिकार क्षेत्र किसी सदस्य राज्य में हुए अपराध या ऐसे राज्य के किसी नागरिक द्वारा किये गए अपराधों तक विस्तारित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस एवं द हिंदू

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