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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

116 बड़े शहरों में जीवन गुणवत्‍ता मूल्‍यांकन के लिये शहरी जीवन क्षमता सूचकांक की शुरुआत

  • 24 Jun 2017
  • 5 min read

संदर्भ
शहरों की जीवन गुणवत्‍ता का आकलन करके उसके अनुरूप उनको सूचीबद्ध करने के लिये केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 23 जून को एक बड़ी पहल करते हुए 116 बड़े शहरों में ‘शहरी जीवन क्षमता सूचकांक’ (City Livability Index) की शुरुआत की। इन शहरों में स्‍मार्ट सिटी, राजधानियां और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर शामिल हैं। यह सूचकांक इन शहरों के लिये उनकी स्थिति को जानने और उसे बेहतर करने के लिये आवश्‍यक हस्‍तक्षेप की सामान्‍य न्‍यूनतम संदर्भ रूपरेखा है।

प्रमुख विशेषताएं

  • शहरी जीवन क्षमता सूचकांक योग्यता मानकों का आकलन करने के लिए संकेतकों का एक सेट है। इस सूचकांक में शहरों का चार व्यापक मानदंडों—भौतिक (45 प्रतिशत), संस्थागत (25 प्रतिशत), सामाजिक (25 प्रतिशत) और आर्थिक (5 प्रतिशत) पर आकलन किया जाएगा। 
  • देश में अपनी तरह के इस पहले सूचकांक को लागू करके शहरों के आधारभूत ढांचे को  79 व्‍यापक मानदंडों पर मूल्‍यांकित किया जाएगा। 
  • इन मानदंडों में सड़कों की उपलब्‍धता, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख, गति‍शीलता, रोज़गार के अवसर, आपातकालीन अनुक्रिया, शिकायत निवारण, प्रदूषण, खुले और हरे-भरे वातावरण की उपलब्‍धता, सांस्‍कृतिक और मनोरंजन के अवसर इत्‍यादि शामिल हैं।
  • इनके अलावा, शासन, सामाजिक बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आर्थिक पहलुओं और भौतिक बुनियादी ढाँचे, जैसे-आवास, खुली जगह, भूमि उपयोग, ऊर्जा और पानी की उपलब्धता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण से संबंधित 15 प्रमुख मानदंडों पर प्रत्येक शहर का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • इस सूचकांक से शहरों को यह जानने में मदद मिलेगी कि वे जीवन की गुणवत्ता के मामले में कहाँ खड़े हैं और इसमें सुधार के लिये उन्हें क्या करना आवश्यक है।
  • शीघ्र ही इस कार्य को करने वाली एजेंसी का चुनाव करने के बाद लगभग अगले 6 महीने में आँकड़े संकलित करने का काम पूरा कर लिया जाएगा।
  • शहरी जीवन क्षमता सूचकांक की रैंकिंग 2018 में जारी की जाएगी|

पृष्ठभूमि
वैसे भी शहरी विकास मंत्रालय शहरी सुधारों के कार्यांवयन में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करता है| इस वर्ष मंत्रालय ने 2016-17 के दौरान 16 राज्‍यों को 500 करोड़ रुपए की प्रोत्‍साहन राशि वितरित की है। इसका निर्धारण ई-गवर्नेंस, लेखा परीक्षण, कर राजस्‍व संचयन और कर संशोधन नीति, ऊर्जा और जल लेखा परीक्षा, संसाधन गतिशीलता के लिये राज्‍यस्‍तरीय वित्‍तीय मध्‍यस्‍थ स्‍थापित करना, ऋण मूल्‍यांकन जैसे सुधारों की प्रगति के आधार पर किया जाता है। इन राज्‍यों द्वारा प्राप्‍त किये गए अंकों के आधार पर प्रोत्‍साहन राशि प्रदान की जाती है। अधिक अंक हासिल करने वाले राज्‍यों को अंकों के अनुरूप अधिक प्रोत्‍साहन राशि दी जाती है। भावी पी‍ढ़ी के सुधारों के लिये वर्तमान में आवंटित 900 करोड़ रुपए की सुधार प्रोत्‍साहन राशि को अगले 3 वित्‍तीय वर्षों में बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपए किया जाएगा। इससे शहरी निकायों के प्रशासन और सेवाओं के वितरण और संसाधनों की गतिशीलता  में वृद्धि होगी।

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