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7 साल बाद आबादी में चीन को पछाड़ देगा भारत: यूएन रिपोर्ट

  • 24 Jun 2017
  • 8 min read

संदर्भ
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग के जनसंख्या प्रकोष्ठ (Department of Economic and Social Affairs’ Population Division) ने एक रिपोर्ट (The World Population Prospects: The 2017 Revision) जारी की है| इसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी लगभग सात वर्षों में चीन से अधिक हो जाएगी| इस रिपोर्ट में विश्व के 233 देशों या क्षेत्रों की आबादी के बारे में जानकारी दी गई है|

रिपोर्ट के प्रमुख बिंद

  • विश्व की मौजूदा जनसंख्या 7.6 अरब है, जो वर्ष 2030 तक बढ़कर 8.6 अरब और वर्ष 2050 तक 9.8 अरब हो जाएगी तथा शताब्दी के अंत तक इसके 11.2 अरब होने का अनुमान जताया गया है।
  • वर्ष 1960 के बाद प्रजनन स्तर में धीरे-धीरे कमी होने के बावजूद विश्व में हर साल 8.3 करोड़ आबादी बढ़ रही है और इसके लगातार बढ़ते रहने का अनुमान जताया गया है। हालिया वर्षों में पृथ्वी के लगभग सभी क्षेत्रों में प्रजनन स्तर में कमी हुई है।
  • वर्ष 2050 तक 60 वर्ष या इससे अधिक आयु के लोगों की वैश्विक जनसंख्या दोगुनी से भी अधिक हो जाएगी। ऐसे लोगों की संख्या फिलहाल 96.2 करोड़ है जो 2050 में 210 करोड़ और 2100 तक 310 करोड़ हो जाएगी।
  • यूरोप की कुल आबादी का 25% पहले से 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है  और वर्ष 2050 में इसके 35% तक पहुँचने का अनुमान है|
  • रिपोर्ट में यह अनुमान भी लगाया गया है कि आने वाले दशकों में यूरोप में स्थित देशों की जनसंख्या में कमी आएगी|
  • यूरोप का प्रजनन स्तर सबसे कम है, जहाँ हालिया अवधि में प्रति महिला में 1.6 जन्म का अनुमान है, जबकि अफ्रीका में प्रजनन स्तर सबसे अधिक है, जहाँ प्रति महिला 4.7 जन्म का अनुमान है|
  • वर्ष 2050 तक नाइजीरिया की आबादी अमेरिका से अधिक हो जाएगी और वह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। आबादी के मामले में नाइजीरिया वर्तमान में सातवें स्थान पर है|
  • अफ्रीका में जनसंख्या वृद्धि की तीव्र दर के मद्देनज़र यह अनुमान लगाया गया है कि अब और 2050 के बीच वैश्विक आबादी में आधे से अधिक आबादी उस क्षेत्र में होगी| 
  • 26 अफ्रीकी देशों की कुल आबादी वर्ष 2050 तक दोगुनी हो जाने का अनुमान रिपोर्ट में लगाया गया है।
  • वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या वृद्धि का आधा हिस्सा केवल 9 देशों—भारत, नाइजीरिया, कांगो, पाकिस्तान, इथियोपिया, तंजानिया, अमेरिका, युगांडा और इंडोनेशिया में केंद्रित होगा।
  • 47 अल्प-विकसित देशों में जन्म दर अपेक्षाकृत अधिक रहती है और इनमें वार्षिक जनसंख्या में वृद्धि दर 2.4% है।
  • कम प्रजनन के स्तर वाले 10 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में चीन, अमेरिका, ब्राज़ील, रूस, जापान, वियतनाम, जर्मनी, ईरान, थाईलैंड और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।

रिपोर्ट में भारत की स्थिति

  • भारत को इस समस्या के सबसे भीषण रूप का सामना करना है। चीन अभी आबादी में हमसे आगे है तो क्षेत्रफल में भी काफी बड़ा है। फिलहाल भारत की जनसंख्या 1.3 अरब और चीन की 1.4 अरब है। 
  • दोनों देशों के क्षेत्रफल में तो कोई बदलाव हो नहीं सकता, पर जनसंख्या के मामले में भारत सात वर्ष बाद चीन को पीछे छोड़ देगा।
  • इसके बाद, भारत की आबादी 2030 में करीब 1.5 अरब हो जाएगी और कई दशकों तक बढ़ती रहेगी| वर्ष  2050 में इसके 1.66 अरब तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि चीन की आबादी 2030 तक स्थिर रहने के बाद धीमी गति से कम होना शुरू हो जाएगी|
  • वर्ष 2050 के बाद  भारत की आबादी की रफ्तार स्थिर होने की संभावना है और वर्ष 2100 तक यह 1.5 अरब हो सकती है|
  • पिछले 40 वर्षों में 1975-80 के 4.7% से लगभग आधी कम होकर भारतीयों की प्रजनन दर 2015-20 में 2.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है| 2025-30 तक इसके 2.1% और 2045-50 तक 1.78% तथा 2095-2100 के बीच 1.78% रहने की संभावना है|
  • पिछले 25 वर्षों में भारतीयों की जीवन प्रत्याशा लगभग 10 साल बढ़ी है और यह 1990-1995 के 59.2 वर्ष से बढ़कर  2015-20 में 69 वर्ष हो गई है।

भारत द्वारा किये जा रहे नवीनतम प्रयास

  • जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिये भारत सरकार ने देश के सात प्रदेशों में 146 ज़िलों में नई पहल शुरू की है।
  • देश की 28% आबादी इन्हीं ज़िलों में रहती है, ऐसे में सरकार यहां परिवार नियोजन सेवाओं को उन्नत बनाने के लिये ‘मिशन परिवार विकास’ कार्यक्रम शुरू करने जा रही है| 
  • ये ज़िले उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम से हैं, जहाँ प्रति महिला जन्मे बच्चों की औसत संख्या (Total Fertility Rate-TFR) 3 या उससे अधिक है। 
  • टीएफआर का सीधा संबंध मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर से है। 
  • भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है, लेकिन यह गति राज्यों में असमान है। 

निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के नवीनतम आँकड़े बढ़ती वैश्विक जनसंख्या से जुड़े कई गंभीर पहलू उजागर करते हैं। भारत की जनसंख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। तेज़ी से बढ़ती इस आबादी के लिये भोजन, वस्त्र, आवास जैसी आवश्यक सुविधाएँ जुटाना एक बड़ी चुनौती है। देश की बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है| इससे न केवल सामाजिक, बल्कि आर्थिक समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं| सरकारी स्तर पर बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिये कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं| वर्तमान में देश की मौजूदा जनसंख्या को तुरंत कम नहीं किया गया, तो आने वाले समय में समस्या और विकट हो जाएगी| इसलिये देश में जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करने की ज़रूरत है|

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