लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

तालिबान शासन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

  • 02 Jun 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अफगानिस्तान, तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अफगानिस्तान का स्थान। 

मेन्स के लिये:

भारत और उसके पड़ोसी, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, अफगानिस्तान संकट और इसके प्रभाव। 

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल के अनुसार, नए तालिबान शासन के तहत विदेशी आतंकवादी संगठन सुरक्षित स्थान पर रहने का लाभ उठा रहे हैं। 

Afghanistan

UNSC के निगरानी दल का मिशन: 

  • निगरानी दल UNSC प्रतिबंध समिति की सहायता करता है और इसकी रिपोर्ट समिति के सदस्यों के बीच परिचालित अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की रणनीति के निर्माण की सूचना देती है।  
  • भारत वर्तमान में प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष है, जिसमें सभी 15 UNSC सदस्य शामिल हैं। 
  • अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद यह पहली रिपोर्ट है। 
    • इसमें आधिकारिक अफगान ब्रीफिंग द्वारा सहायता नहीं दी गई यह इसकी पहली रिपोर्ट है। 
  • टीम ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों तथा अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन जैसे निकायों के साथ परामर्श करके डेटा एकत्र किया। 
    • UNAMA संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष राजनीतिक मिशन है जिसकी स्थापना स्थायी शांति और विकास की नींव रखने में राज्य व अफगानिस्तान के लोगों की सहायता के लिये की गई है। 

तालिबान शासन के बाद भारत द्वारा अफगानिस्तान के साथ संबंध स्थापित करने की पहल:  

  • संबंधों की प्रगाढ़ता बढ़ाने के उपाय:  
    • तालिबान के अधिग्रहण के बाद भारत अपनी नीति में एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में अफगानिस्तान से संबंध बहाल करने में व्यावहारिक बाधाओं के कारण दुविधा में है।  
    • वर्तमान में भारत अफगानिस्तान के साथ संभावित जुड़ाव के तीन व्यापक उपायों का आकलन कर रहा है: 
      • मानवीय सहायता प्रदान करना, अन्य भागीदारों के साथ संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रयासों की खोज करना और तालिबान के साथ बातचीत में शामिल होना। 
    • इन सभी का अंतिम लक्ष्य जनसंपर्क बहाल करना और पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में भारत द्वारा विकासात्मक परियोजनाओं के संभावित लाभ के अवसर को बनाए रखना है। 
    • भारत ने सभी 34 अफगान प्रांतों में 400 से अधिक प्रमुख बुनियादी ढाँचागत परियोजनाएँ शुरू की हैं तथा व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिये रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। 

आतंकवाद का दोनों देशों के मध्य संबंधों पर प्रभाव: 

  • अफगानिस्तान के प्रति भारत की नीतियों को पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से रेखांकित किया गया है। 
    • भारत एक आतंकवादी गलियारे की आशंका को लेकर सतर्क है जिसे पूर्वी अफगानिस्तान से कश्मीर क्षेत्र को जोड़ा जा सकता है, अतः भारत-अफगानिस्तान के मध्य इस मुद्दे पर ज़मीनी स्तर पर विचार किया जाना चाहिये। 
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव संख्या 2593 के लिये अपने समर्थन की लगातार पुष्टि की है और दृढ़ता से कहा कि भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों के लिये अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये। 
  • आतंकवाद का मुकाबला करने का प्रयास अफगानिस्तान के साथ भारत की नीतियों को आकार देने में एक प्रासंगिक भूमिका निभा सकता है, हालाँकि भारत अपने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दायित्वों और इसके तत्काल दक्षिण एशियाई लक्ष्यों में एकरूपता चाहता है। 
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और शंघाई सहयोग संगठन सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर अधिक मज़बूती से आतंकवाद रोधी दृष्टिकोण विकसित करने में बढ़ती रुचि का प्रदर्शन किया है। 

अफगानिस्तान का भारत के लिये महत्त्व: 

  • आर्थिक और रणनीतिक हित: अफगानिस्तान तेल और खनिज समृद्ध मध्य एशियाई गणराज्यों का प्रवेश द्वार है। 
    • अफगानिस्तान भू-रणनीतिक दृष्टि से भी भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान में जो भी सत्ता में रहता है, वह भारत को मध्य एशिया (अफगानिस्तान के माध्यम से) से जोड़ने वाले भू- मार्गों को नियंत्रित करता है।  
    • ऐतिहासिक सिल्क रोड के केंद्र में स्थित: अफगानिस्तान लंबे समय से एशियाई देशों के बीच वाणिज्य का केन्द्र था, जो उन्हें यूरोप से जोड़ता था तथा धार्मिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संपर्कों को बढ़ाव देता था। 
  • विकास परियोजनाएंँ: इस देश के लिये बड़ी निर्माण योजनाएँ भारतीय कंपनियों को बहुत सारे अवसर प्रदान करती हैं। 
  • तीन प्रमुख परियोजनाएंँ: अफगान संसद, जरंज-डेलाराम राजमार्ग और अफगानिस्तान-भारत मैत्री बांध (सलमा बांध) के साथ-साथ सैकड़ों छोटी विकास परियोजनाओं (स्कूलों, अस्पतालों और जल परियोजनाओं) में 3 बिलियन अमेरीकी डॅालर से अधिक की भारत की सहायता ने अफगानिस्तान में भारत की स्थिति को मज़बूत किया है।  
  • सुरक्षा हित: भारत इस क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह (जैसे हक्कानी नेटवर्क) से उत्पन्न राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार अफगानिस्तान में भारत की दो प्राथमिकताएंँ हैं: 
    • पाकिस्तान को अफगानिस्तान में मित्रवत सरकार बनाने से रोकने के लिये। 
    • अलकायदा जैसे जिहादी समूहों की वापसी से बचने के लिये, जो भारत में हमले कर सकता है। 

आगे की राह 

  • अधिकांश देश अफगानिस्तान में तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने के मामले में भारत की वेट एंड वाॅच नीति से सहमत हैं। 
  • भारत तालिबान शासन के तरीकों पर तीखी प्रतिक्रिया करने के प्रति अनिच्छुक है। 
    • हालांँकि भारत को प्रासंगिक बने रहने के लिये इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बनाए रखना चाहिये। 
  • जबकि दिल्ली ने तालिबान के लिये एकीकृत क्षेत्रीय प्रतिक्रिया हेतु महत्त्वपूर्ण हितधारकों को बुलाने और नया राजनीतिक रोडमैप तैयार करने की मांग की, इसने दक्षिण एशियाई देशों को अपने नेतृत्व के साथ शामिल करने के लिये कई बाधाओं का अनुभव किया। 
  • अफगानिस्तान के प्रति ये विरोधी दृष्टिकोण भविष्य में भी मौजूद रहेंगे। रणनीतिक रूप से स्थायी अफगानिस्तान नीति विकसित करने के लिये इसके दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्यों के साथ-साथ पुन: समायोजन की एक यथार्थवादी मूल्यांकन की आवश्यकता है। 

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2