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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

तुर्की द्वारा गैस भंडार की खोज और चोरा चर्च विवाद

  • 22 Aug 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये

ज़ोहर गैस भंडार, काला सागर, अपतटीय गैस क्षेत्र

मेन्स के लिये

मध्यपूर्व राजनीतिक अस्थिरता और तुर्की, वैश्विक राजनीति और प्राकृतिक ऊर्जा संसाधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति ने काला सागर (Black Sea) क्षेत्र में अब तक के सबसे प्राकृतिक बड़े गैस भंडार की खोज की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • तुर्की के राष्ट्रपति के अनुसार, काला सागर में ‘फ़तेह नामक ड्रिलिंग जहाज़’ द्वारा खोजा गया यह गैस भंडार 320 अरब क्यूबिक मीटर का है।

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  • तुर्की द्वारा वर्ष 2023 तक इस गैस भंडार से गैस निकालकर इसका प्रयोग प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा गया है।
    • ध्यातव्य है कि वर्ष 2023 में ही तुर्की एक गणतांत्रिक देश के रूप में अपने 100 वर्ष पूरे करेगा।
  • तुर्की द्वारा खोजा गया गैस का यह भंडार तुर्की के तट से लगभग 100 नॉटिकल मील उत्तर में काला सागर में स्थित है।
  • तुर्की के ऊर्जा मंत्री के अनुसार, गैस का यह भंडार पानी की सतह से 2100 मीटर की गहराई में स्थित है, इस भंडार से गैस निकालने के लिये समुद्र की तलहटी से 1400 मीटर नीचे तक ड्रिलिंग की जाएगी।
  • तुर्की के राष्ट्रपति के अनुसार, वे क्षेत्र में तेल और गैस की खोज को तब तक जारी रखेगा जब तक तुर्की ऊर्जा के मामले में पूर्णरूप से एक निर्यातक देश नहीं बन जाता है।

महत्त्व:

  • यह गैस भंडार तुर्की द्वारा खोजा गया और वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर अब तक का सबसे बड़ा गैस भंडार है।
  • यह गैस भंडार तुर्की की अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने और देश के चालू खाता घाटे को कम करने में बहुत ही सहायक होगा।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 में तुर्की का ऊर्जा आयात बिल 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था।
  • यदि तुर्की को मिले इस गैस भंडार से अनुमानित गैस को निकालने में सफलता प्राप्त होती है तो यह भविष्य में ऊर्जा ज़रूरतों के लिये तुर्की की रूस, ईरान और अज़रबैजान जैसे देशों पर निर्भरता को कम करेगा।
  • तुर्की की अर्थव्यवस्था की स्थिति COVID-19 महामारी से पहले ही अच्छी नहीं थी और इसी माह बढती महंगाई और चालू खाता घाटे तथा तुर्की की सरकार द्वारा सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध करने के प्रयासों के बीच तुर्की की आधिकारिक मुद्रा ‘लीरा’ (Lira) में बड़ी गिरावट देखी गई थी

क्षेत्रीय राजनीति पर प्रभाव:

  • तुर्की और ग्रीस:
    • तुर्की को ऐसे समय में यह सफलता प्राप्त हुई है जब पूर्वी भूमध्यसागर के विवादित जलक्षेत्र में तेल और गैस की खोज को लेकर तुर्की और ग्रीस के बीच तनाव काफी बढ़ गया है।
    • हाल ही में इस विवादित क्षेत्र में तुर्की द्वारा संभावित खनिज तेल और गैस भंडार की खोज के लिये एक जहाज़ भेजा गया था, जिसके बाद क्षेत्र में दोनों देशों के युद्धपोतों की सक्रियता बढ़ गई थी।
    • ग्रीस-तुर्की विवाद के बढ़ता हुआ देख फ्राँस ने क्षेत्र की निगरानी के लिये ग्रीस के समर्थन में पूर्वी भूमध्यसागर में अपना एक समुद्री जहाज़ भेजा था।
  • तुर्की और साइप्रस:
    • तुर्की द्वारा साइप्रस के तट के समीप ऊर्जा अन्वेषण की गतिविधियाँ दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बनी हुई हैं।
    • हाल ही में तुर्की ने साइप्रस के तट के नज़दीक गैस अन्वेषण के लिये युद्धपोतों की निगरानी में ड्रिलिंग जहाज़ भेजे थे।
    • तुर्की के अनुसार, उसके द्वारा इस क्षेत्र में ऊर्जा अन्वेषण का उद्देश्य अपने और साइप्रस में रहा रही तुर्की आबादी के हितों की रक्षा करना है।
    • साइप्रस की सरकार ने तुर्की पर साइप्रस के जल क्षेत्र और आर्थिक अधिकारों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है।


चुनौतियाँ:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, इस भंडार से गैस के उत्पादन और आपूर्ति के लिये आवश्यक अवसंरचना विकास में बहुत बड़े निवेश की आवश्यकता होगी।
  • साथ ही इस भंडार से सफलतापूर्वक गैस के निष्कासन में लगभग एक दशक का समय लग सकता है।
  • तुर्की को इस भंडार से सफलतापूर्वक गैस निकालने के लिये अन्य देशों से तकनीकी सहायता भी लेनी पड़ सकती है क्योंकि तुर्की को ‘अपतटीय गैस भंडार’ (Offshore Gas Field) विकसित करने कोई अनुभव नहीं है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान परिस्थिति में 320 अरब क्यूबिक मीटर का यह गैस भंडार तुर्की के लिये एक बड़ी उपलब्धि है, परंतु यह इतना भी बड़ा नहीं है कि यह तुर्की को क्षेत्र में ऊर्जा के केंद्र के रूप में स्थापित कर दे या तुर्की की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बदल दे।
  • तुर्की द्वारा खोजा गया यह गैस भंडार इसके निकट ही पूर्वी भूमध्यसागर में खोजे गए अन्य गैस भंडारों से काफी छोटा है।
    • यह गैस भंडार भूमध्यसागर के सबसे बड़े गैस भंडारों में से एक मिस्र (Egypt) के ‘ज़ोहर गैस भंडार’ (Zohr Gas Field) का एक-तिहाई (1/3) ही है।
    • एक अनुमान के अनुसार, ज़ोहर गैस भंडार में लगभग 850 अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस होने की संभावना है।

चोरा चर्च विवाद:

  • हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के निर्णय के लगभग एक माह बाद 21 अगस्त को तुर्की के राष्ट्रपति ‘रेसेप तईप एर्दोगन’ ने इस्तांबुल स्थित ऐतिहासिक ‘चोरा चर्च’ (Chora Church) को पुनः एक मस्जिद में बदलने का आदेश दिया है।

चोरा चर्च (Chora Church):

  • वर्तमान में यह चर्च जहाँ स्थित उस स्थान पर सबसे पहले चौथी शताब्दी के दौरान एक चर्च का निर्माण किया गया था।
  • वर्तमान भवन का निर्माण 11 शताब्दी में एक चर्च के रूप में किया गया था।
  • वर्ष 1453 में कस्तुनतुनिया या कॉन्सटेनटिनोपोल (Constantinople) पर ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) की विजय के बाद वर्ष 1511 में इस चर्च को ‘कारी मस्जिद’ (Kariye Mosque) में बदल दिया गया था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात धर्मनिरपेक्ष समर्थक गणराज्य के रूप में उभरते तुर्की में वर्ष 1945 में इसे एक संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया।
  • जिसके बाद वर्ष 1958 में इसे आम जनता के लिये खोल दिया गया।

कारण:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, इन दोनों संग्रहालयों को मस्जिद में बदलने के पीछे एर्दोगन का उद्देश्य वर्तमान में देश में बढ़ती हुई महंगाई और COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक अनिश्चितता के बीच देश में रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी खेमे का जनसमर्थन प्राप्त करना है।

वैश्विक प्रतिक्रिया:

  • तुर्की द्वारा हागिया सोफिया को एक मस्जिद के रूप में बदलने में विश्व के अधिकांश देशों ने इसका विरोध किया था।
  • ग्रीस के विदेश मंत्रालय ने तुर्की के इस निर्णय को धार्मिक उकसावे वाला कदम बताया है।

आगे की राह:

  • पिछले कुछ वर्षों में तुर्की मध्य पूर्व अपनी अपनी स्थिति मज़बूत करने और वैश्विक स्तर पर स्वयं को मुस्लिम देशों के लिये एक नए नेतृत्त्व के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करता रहा है।
  • हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के निर्णय के बाद इस गैस भंडार की खोज से तुर्की के राष्ट्रपति को मिलने वाला स्थानीय जन समर्थन बढ़ेगा, जिससे क्षेत्र में तेल की खोज से लेकर अन्य विवादित मुद्दों पर तुर्की की आक्रामकता में वृद्धि देखी जा सकती है।
  • फ्राँस सहित विश्व के अन्य देशों द्वारा भूमध्य सागर में क्षेत्राधिकार से जुड़े विवाद को सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिये।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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