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एवरेस्ट पर लंबी कतार: पर्वतारोहियों के लिये नई चुनौती

  • 25 May 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में माउंट एवरेस्ट पर तीन और भारतीय पर्वतारोहियों की मौत की खबर सामने आई। पर्वतारोहण के दौरान शीत-लहर एवं ऑक्सीजन की कमी की समस्या के साथ-साथ पर्वतारोहियों को लंबी कतार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जिसने यात्रा की कठिनाइयों और बढ़ा दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • अत्यधिक ऊँचाई (High Altitude) पर ऑक्सीजन की कमी के कारण बेहोश हो जाना और लंबी कतार के कारण अपने शिविर में लौटने के लिये घंटों प्रतीक्षा करना मृत्यु की मुख्य वज़ह है। लंबी प्रतीक्षा अवधि के दौरान पर्वतारोहियों के समक्ष अपने ऊर्जा स्तर (Energy Level) को बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।
  • वर्ष 2017 में भी इसी प्रकार के जाम की घटना के कारण यात्रियों को अपने कैंप में वापस लौटने में करीब 3 घंटे की देरी हुई। इस विलंब की वज़ह से कुछ यात्रियों की मृत्यु की घटना भी सामने आई।
  • माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) नेपाल और चीन के स्वायत्त क्षेत्र (Autonomous Region of China) तिब्बत की सीमा पर स्थित है। 8,850 मीटर की ऊँचाई के साथ यह दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है।
  • दक्षिणी नेपाल की ओर अंतिम पर्वत श्रृंखला पर केवल एक स्थायी रस्सी है, प्रत्येक पर्वतारोही इसी रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ता है। जब यहाँ भीड़ ज़्यादा हो जाती है, तो लोगों की दो लाइनें तैयार की जाती हैं- एक ऊपर की ओर और दूसरी शिखर से नीचे की ओर।
  • 'ट्रैफिक जाम' (Traffic jam) की स्थिति उस समय उत्पन्न होती है जब कई पर्वतारोही एक ही समय में शिखर की चढ़ाई कर रहे होते है, विशेष रूप से 8,000 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर यह और भी खतरनाक हो सकता हैं, इसे 'मृत्यु क्षेत्र' (Death Zone) के रूप में जाना जाता है।
  • थके हुए पर्वतारोहियों को अक्सर एक ही रस्सी पर चढ़ने या उतरने के लिये कई घंटों तक अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है, जिससे थकावट, शीतदंश या ऊँचाई पर कमज़ोरी (Altitude Sickness) आदि की समस्या बढ़ जाती है। कई बार यात्रा के अंतिम चरण में पर्वतारोहियों को ऑक्सीजन सिलिंडर खत्म होने जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता हैं।

एवरेस्ट पर अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या

  • एवरेस्ट के शिखर तक पहुँचने का मार्ग दुरूह एवं जोखिम भरा है परंतु लंबी कतार की इस समस्या ने मार्ग की कठिनाइयों में अतिरिक्त वृद्धि कर दी है। हालाँकि कठिनाइयों में वृद्धि के बावजूद पर्वतारोहियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और एवरेस्ट पर बढ़ती इस भीड़ के कारण अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या उत्पन्न हो गई है।
  • वर्ष के जिस समय में पर्वतारोहियों की आवाज़ाही अपने चरम पर होती है उस समय वहाँ अपशिष्ट पदार्थों जैसे-ऑक्सीजन के खाली सिलिंडर, खाने के खाली पैकेट, टूटे हुए तंबू/शिविर (Tent), बैट्री इत्यादि बड़ी मात्रा में एकत्र हो जाते हैं जो निरंतर चलने वाले इन अभियानों के लिये खतरों में वृद्धि कर देते हैं।
  • नेपाल की सरकार ने कुछ गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर एवेरस्ट पर बढ़ती अपशिष्ट समस्या के निपटान हेतु कदम भी उठाए हैं। इन संगठनों की सहायता से अभी तक लगभग 1.5 टन अपशिष्ट का निपटान किया गया है।

स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स

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