लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भूगोल

तापी-पार-नर्मदा लिंक परियोजना

  • 12 Mar 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तापी-पार-नर्मदा लिंक परियोजना, केन-बेतवा।

मेन्स के लिये:

नदियों को जोड़ने का कार्यक्रम और संबंधित चुनौतियाँ, जल संसाधन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कुछ आदिवासियों ने पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना के खिलाफ विरोध तेज़ कर दिया है, जिसका उल्लेख वित्त मंत्री के बजट भाषण (2022-23) में किया गया था।

Tapi-Par-Narmada Link Project

पृष्ठभूमि:

  • इन परियोजनाओं को वर्ष 2010 में मंज़ूरी दी गई थी, जब केंद्र सरकार, गुजरात और महाराष्ट्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि राज्यों के बीच सहमति के बाद पाँच नदी जोड़ो परियोजनाएँ शुरू की जाएंगी।
    • ये परियोजनाएँ हैं- दमनगंगा-पिंजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी।
    • केन-बेतवा नदी को आपस में जोड़ने की सरकार की परियोजना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत पहली परियोजना है।
      • नेशनल रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट (NRLP) जिसे औपचारिक रूप से राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के रूप में जाना जाता है, का उद्देश्य देश की ‘जल अधिशेष' वाली नदी घाटियों (जहाँ बाढ़ की स्थिति रहती है) से जल की ‘कमी’ वाली नदी घाटियों (जहाँ जल के अभाव या सूखे की स्थिति रहती है) को जोड़ना है ताकि अधिशेष क्षेत्रों से अतिरिक्त जल को कम जल वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा सके।

पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना:

  • पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना पश्चिमी घाट के जल अधिशेष क्षेत्रों से सौराष्ट्र और कच्छ (गुजरात) के पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी स्थानांतरित करने का प्रस्ताव करती है।
  • इस लिंक परियोजना में उत्तरी महाराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात में प्रस्तावित सात जलाशय शामिल हैं।
  • सात प्रस्तावित जलाशयों का जल 395 किमी. लंबी नहर के माध्यम से संचालित सरदार सरोवर परियोजना (नर्मदा पर) से छोटे रास्ते के क्षेत्रों की सिंचाई करते हुए लिया जाएगा।
    • योजना में प्रस्तावित सात बाँध झेरी, मोहनकवचली, पाइखेड़, चसमांडवा, चिक्कर, डाबदार और केलवान हैं।
  • इससे सरदार सरोवर का पानी बचेगा जिसका उपयोग सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में सिंचाई के लिये किया जाएगा।
  • इस लिंक में मुख्य रूप से सात बाँधों तीन डायवर्ज़न वियर, दो सुरंगों, 395 किमी. लंबी नहर, 6 बिजली घरों और कई क्रॉस-ड्रेनेज कार्यों के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

परियोजना के लाभ:

  • सिंचाई लाभ प्रदान करने के अलावा यह परियोजना चार बाँध स्थलों पर स्थापित बिजलीघरों के माध्यम से 93.00 MkWh जलविद्युत उत्पन्न करेगी।
  • जलाशयों से निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को बाढ़ से राहत भी मिलेगी।

नर्मदा नदी के बारे में:

  • नर्मदा प्रायद्वीपीय क्षेत्र में पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लंबी नदी है। यह उत्तर में विंध्य श्रेणी तथा दक्षिण में सतपुड़ा श्रेणी के मध्य भ्रंश घाटी से होकर बहती है।
  • इसका उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकंटक के निकट मैकाल श्रेणी से होता है।
  • इसके अपवाह क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में तथा इसके अलावा महाराष्ट्र और गुजरात में है।
  • जबलपुर (मध्य प्रदेश) के निकट यह नदी ‘धुँआधार प्रपात' का निर्माण करती है।
  • नर्मदा नदी के मुहाने में कई द्वीप हैं जिनमें से अलियाबेट सबसे बड़ा है।
  • प्रमुख सहायक नदियाँ: हिरन, ओरसंग, बरना तथा कोलार आदि।
  • इंदिरा सागर, सरदार सरोवर आदि इस नदी के बेसिन में स्थित में प्रमुख जल-विद्युत परियोजनाएँ हैं।

तापी/ताप्ती नदी:

  • पश्चिम की ओर बहने वाली एक अन्य महत्त्वपूर्ण नदी मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के सतपुड़ा पर्वतमाला से निकलती है।
  • यह नर्मदा के समानांतर एक भ्रंश घाटी में बहती है लेकिन इसकी लंबाई बहुत कम है।
  • इसका बेसिन मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को कवर करता है।

पार नदी:

  • यह गुजरात में बहने वाली एक नदी है जिसका उद्गम नासिक,महाराष्ट्र के वडपाड़ा गांँव के पास होता है।
  • यह अरब सागर में गिरती है।

विगत वर्षों के प्रश्न: 

हाल ही में निम्नलिखित में से किन नदियों को आपस में जोड़ने का कार्य शुरू किया गया है? (2016) 

(a)  कावेरी और तुंगभद्रा
(b)  गोदावरी और कृष्णा
(c)  महानदी और सोन
(d)  नर्मदा और ताप्ती

उत्तर: (b)

नदी जोड़ो परियोजना (ILR):

  • उद्देश्य:
    •  देश की ‘जल अधिशेष' वाली नदी घाटियों (जहाँ बाढ़ की स्थिति रहती है) से जल की ‘कमी’ वाली नदी घाटियों (जहाँ जल के अभाव या सूखे की स्थिति रहती है) को जोड़ना है ताकि अधिशेष क्षेत्रों से अतिरिक्त जल को जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा सके।
  • आवश्यकता:
    • क्षेत्रीय असंतुलन को कम करना: भारत मानसून की वर्षा पर निर्भर है जो अनियमित होने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर असंतुलित भी है। नदियों को आपस में जोड़ने से अतिरिक्त वर्षा और समुद्र में नदी के जल प्रवाह की मात्रा में कमी आएगी।
    • कृषि सिंचाई: इंटरलिंकिंग द्वारा अतिरिक्त जल को न्यून वर्षा वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करके न्यून वर्षा आधारित भारतीय कृषि क्षेत्रों में सिंचाई संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
    • जल संकट को कम करना: यह सूखे और बाढ़ के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकती है।
    • अन्य लाभ: इससे जलविद्युत उत्पादन, वर्ष भर नेविगेशन, रोज़गार सृजन, सूखे जंगलों और भूमि के रूप में पारिस्थितिक लाभ की भरपाई होगी।
  • चुनौतियाँ:
    • पर्यावरणीय लागत: परियोजना से नदियों की प्राकृतिक पारिस्थितिकी में बाधा उत्पन्न होने का खतरा है।
    • जलवायु परिवर्तन: इंटरलिंकिंग सिस्टम में जल अधिशेष' बेसिन (जहाँ जल की मात्रा अधिक है) से जल की कमी वाले 'बेसिन' में जल का हस्तांतरण किया जाता है
      • यदि जलवायु परिवर्तन के कारण किसी भी प्रणाली की मूल स्थिति में व्यवधान उत्पन्न होता है तो इसकी अवधारणा निरर्थक हो जाती है।
    • आर्थिक लागत: अनुमान है कि नदियों को आपस में जोड़ने से सरकार पर व्यापक वित्तीय बोझ पड़ेगा। 
    • सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 15000 किमी. तक फैले नहरों के नेटवर्क से लगभग 5.5 मिलियन लोग विस्थापित होंगे, इनमें ज़्यादातर आदिवासी और किसान वर्ग प्रभावित होंगे।

आगे की राह

  • भारत को पानी की एक-एक बूँद को संरक्षित करने, अपव्यय को कम करने, संसाधनों के समान वितरण के साथ ही भूजल को बढ़ाने की ज़रूरत है। 
  • स्थानीय समाधान (जैसे बेहतर सिंचाई पद्धति) और वाटरशेड प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • सरकार को वैकल्पिक रूप से राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजना (NWP) पर विचार करना चाहिये, जो नदी के पानी के बँटवारे को लेकर राज्यों के बीच संघर्ष को समाप्त कर सकता है, क्योंकि यह सिर्फ अतिरिक्त बाढ़ के पानी का उपयोग करता है जो बिना दोहन के समुद्र में चला जाता है।

विगत वर्षों प्रश्न

नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है, जबकि अधिकांश अन्य बड़ी प्रायद्वीपीय नदियाँ पूर्व की ओर बहती हैं, क्यों? (2013) 

  1. यह एक रेखीय भ्रंश घाटी में स्थित है।
  2. यह विंध्य और सतपुड़ा के बीच बहती है।
  3. भूमि का ढलान मध्य भारत से पश्चिम की ओर है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3 
(d) इनमें से कोई नहीं 

उत्तर: (a)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2