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टीबी के उपचार हेतु: नई एंटी-ट्यूबरकुलोसिस दवा

  • 21 Aug 2019
  • 4 min read

संदर्भ

हाल ही में US FDA द्वारा एंटी-ट्यूबरकुलोसिस ड्रग प्रीटोमेनीड (anti-tuberculosis drug pretomanid) को अनुमोदित किया गया। यह दवा प्रतिरोधी टीबी (XDR-TB) से पीड़ित लोगों के इलाज के लिये एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

टीबी का परिदृश्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वर्ष 2017 में दुनिया भर में अनुमानित 4.5 लाख लोग MDR-TB (Multidrug-Resistant TB) से (भारत में इनकी संख्या 24% थी) तथा लगभग 37,500 लोग XDR-TB से ग्रसित थे।

नई दवा की पृष्ठभूमि

  • प्रीटोमेनीड (Pretomanid), पिछले 40 वर्षों में FDA द्वारा अनुमोदित की जाने वाली एक मात्र दवा है।
  • इसमें तीन दवाएँ बेडैकिलिन (Bedaquiline), प्रीटोमेनीड (Pretomanid) और लाइनज़ोलिड (linezolid) अर्थात् BPaL निहित है।
  • उच्च सफलता दर- दक्षिण अफ्रीका में परीक्षण के तीसरे चरण में इसकी सफलता दर 90% थी, जबकि XDR-TB और MDR-TB के लिये वर्तमान उपचार सफलता दर क्रमशः 34% और 55% है।
  • HIV- HIV और TB से ग्रसित लोगों के लिये इस दवा को काफी प्रभावी और सुरक्षित पाया गया।
  • कम अवधि- उच्च प्रतिरोधी टीबी का इलाज करने के लिये लगभग 20 दवाओं का 18-24 महीनों तक उपयोग किया जाता था जबकि इसके विपरीत BPaL रेजिमेन का सेवन सिर्फ छह महीने तक करना होगा।
  • प्रभावी और बेहतर बर्दाश्त योग्य- यह बैक्टीरिया को नष्ट करने में अधिक प्रभावी और शक्तिशाली है।
  • समय की आवश्यकता- दवाओं के बढ़ते प्रतिरोध के कारण जिन लोगों को प्रीटोमेनिड-आधारित आहार की आवश्यकता होती है, उनकी संख्या बढ़ रही है। ऐसे में यह दवा प्रभावी साबित हो सकती है।

चुनौतियाँ

  • MDR-TB से पीड़ित केवल कुछ प्रतिशत लोगों को इलाज मिल रहा है जबकि उपलब्ध MDR-TB दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करने वाले लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है।
    • वहनीय क्षमता- इस दवा के निर्माण में इस बात पर गौर की जानी चाहिये कि क्या इसे और सस्ता बनाया जा सकता है अथवा विकासशील देशों में कम कीमतों पर उपलब्ध कराया जा सकता हैं ताकि XDR-TB और MDR-TB के सबसे अधिक बोझ से पीड़ित देशों पर इसका भार कुछ कम हो सकें।

न्यूयॉर्क स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (NGO) TB अलायन्स, जिसने दवा का विकास और परीक्षण किया है, ने उच्च आय वाले बाज़ारों के लिये एक जेनेरिक-दवा निर्माता के साथ एक विशेष लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। भारत सहित लगभग 140 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कई निर्माताओं को इस दवा का लाइसेंस दिया जाएगा।

स्रोत: द हिंदू

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