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जैव विविधता और पर्यावरण

'सुजलम 2.0' धूसर जल पुनर्चक्रण परियोजना

  • 25 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

धूसर जल, SBM-G फेज II, MGNREGS, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल, जल जीवन मिशन, जल शक्ति अभियान।

मेन्स के लिये:

जल संकट का मुद्दा और उठाए जाने वाले कदम।

चर्चा में क्यों?

विश्व जल दिवस (22 मार्च) के अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय ने धूसर जल तथा रसोई, स्नान और कपड़े धोने से या अपवाह के जल के पुन: उपयोग के लिये एक देशव्यापी परियोजना शुरू की।

धूसर जल:

  • धूसर जल को घरेलू प्रक्रियाओं (जैसे बर्तन धोना, कपड़े धोना और स्नान करना) से उत्पन्न अपशिष्ट जल के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • धूसर जल में हानिकारक बैक्टीरिया और यहाँ तक ​​कि मृदा एवं भूजल को दूषित करने वाले अपशिष्ट भी हो सकते हैं।
  • अभी तक भारत के पास शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में धूसर जल के प्रबंधन एवं उपयोग के लिये एक केंद्रीयकृत नीतिगत ढाँचा नहीं है। हालाँकि अपशिष्ट जल के उपचार हेतु कुछ दिशा-निर्देश मौजूद हैं।
    • उदाहरण के लिये- केंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण इंजीनियरिंग संगठन (CPHEEO) ने उपचारित पानी के लिये अनुमत निर्वहन मानकों को निर्दिष्ट किया है; जैसे- कृषि एवं बागवानी में उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग (एमओएचयूए, 2012)।
    • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) निर्देश देता है कि उपचारित अपशिष्ट जल को मानकों को पूरा करने और मौजूदा भूजल के अनुकूल होने के बाद कृत्रिम भूजल पुनर्भरण के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

'सुजलम 2.0' ग्रे-वाटर रिसाइकलिंग प्रोजेक्ट:

  • परिचय:
    • यह परियोजना पंचायतघर, स्वास्थ्य सुविधाओं, स्कूलों, आँगनवाड़ी केंद्रों (AWCs), सामुदायिक केंद्रों और अन्य सरकारी संस्थानों में संस्थागत स्तर के ग्रे-वाटर प्रबंधन परिसंपत्तियों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगी।
    • व्यक्तिगत एवं सामुदायिक ग्रे-वाटर प्रबंधन परिसंपत्तियों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
    • अगस्त 2021 में शुरू किये गए ‘सुजलम 1.0’ अभियान के तहत सभी राज्यों एवं स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से बड़ी सफलता हासिल की गई।
      • पूरे देश में घरेलू और सामुदायिक स्तर पर 10 लाख से अधिक सोख्ता गड्ढे बनाए गए।
  • परियोजना हेतु वित्तपोषण:

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‘ग्रे-वाटर’ संकट को संबोधित करने की आवश्यकता:

  • ताज़े पानी की बचत से घरेलू पानी के बिलों को काफी कम किया जा सकता है, साथ ही इससे सार्वजनिक जल आपूर्ति को कम करने में भी मदद मिलेगी।
  • सीवर या साइट पर उपचार प्रणालियों में प्रवेश करने वाले अपशिष्ट जल की मात्रा को कम करना।
  • विश्व भर में 2.2 अरब लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं।
    • सतत् विकास लक्ष्य 6 का उद्देश्य सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के लिये सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना है।
  • अनुमान है कि भारत में प्रतिदिन 31 अरब लीटर ग्रे-वाटर उत्पन्न होता है।
  • सुजलम 2.0 अभियान के तहत 6 लाख से अधिक गाँवों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर ज़ोर दिया जाएगा।
  • वर्तमान के संदर्भ में ग्रामीण घरों से बहुत अधिक पानी का प्रवाह होगा।
    • अगस्त, 2019 में शुरू होने के बाद से जल जीवन मिशन के तहत 6 करोड़ नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किये गए हैं।
    • देश में कुल 9.24 करोड़ घरों में नल के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जाता है।

संबंधित पहल:

  • भारत:
    • जल शक्ति अभियान:
      • इसे पानी की कमी वाले ज़िलों को शामिल करने के लिये वर्ष 2019 में शुरू किया गया है, वर्ष 2021 में इसका विस्तार ग्रामीण और शहरी ज़िलों तक किया गया है।
    • अटल भुजल योजना:
      • इसे वर्ष 2019 में शुरू किया गया है जिसे 7 राज्यों के चुनिंदा क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, इसके तहत लोग अपनी जल सुरक्षा योजना तैयार करते हैं जिसमें यह विवरण दिया जाता है कि उन्हें पानी कैसे मिल रहा है, कितना पानी खर्च किया जा रहा है, किस प्रकार की जल संरक्षण पद्धति लागू की गई है और कोई इसका उपयोग कैसे नियंत्रित कर सकता है।
  • वैश्विक स्तर पर:
    • ग्लोबल वाटर सिस्टम प्रोजेक्ट, जिसे वर्ष 2003 में अर्थ सिस्टम साइंस पार्टनरशिप (Earth System Science Partnership- ESSP) और ग्लोबल एन्वायरनमेंटल चेंज (Global Environmental Change- GEC) कार्यक्रम की संयुक्त पहल के रूप में लॉन्च किया गया था, ताज़े जल के मानव-प्रेरित परिवर्तन और इसके प्रभाव के बारे में वैश्विक चिंता का प्रतीक है।

आगे की राह

  • जल संरक्षण हेतु सतत् व्यवहार प्रथाओं को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • केंद्र सरकार को पेयजल के दूषित होने की समस्या से निपटने हेतु तत्काल आधार पर जल शोधन या रिवर्स ऑस्मोसिस (Reverse Osmosis- RO) सयंत्रों की स्थापना के लिये उपाय करना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी.

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