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सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट आवंटन में 12.10% की वृद्धि

  • 16 Feb 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ विद्यालयों और कॉलेजों को दिव्यांगजनों के समेकित बनाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। विभिन्न सरकारी व निजी संस्थानों के सहयोग से शिक्षण संस्थानों में आधारभूत ढाँचे को उपयोगी और समेकित बनाने के लिये ज़रूरी साधन, उपयोगी उपकरण, जरूरी सूचना और सामाजिक सहयोग को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। वर्ष 2018-19 के लिये केंद्रीय बजट में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट प्रावधान में 12.10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। मंत्रालय को वर्ष 2017-18 में 6908.00 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था, जबकि वर्ष 2018-19 के लिये यह राशि बढ़ाकर 7750.00 करोड़ रुपए कर दी गई है। 

  • इसके साथ ही वर्ष 2017-18 के अनुपात में वर्ष 2018-19 में योजनाओं के लिये बजट आवंटन में 11.57 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। वर्ष 2017-18 के मुकाबले वर्ष 2018-19 में अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिये बजट आवंटन में 41.03 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

मुख्य बिंदु

  • अनुसूचित जातियों के लिये वेंचर कैपिटल निधि के समान अन्य पिछड़े वर्गों हेतु भी एक नई योजना वेंचर कैपिटल निधि की शुरूआत की जाएगी। इसके लिये प्रारंभिक तौर पर 200 करोड़ रुपए की निधि बनाई गई है। वर्ष 2018-19 में इसके लिये 140 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएगें। 
  • हाथ से मैला ढोने वाले 13,587 व्यक्तियों और उन पर निर्भर व्यक्तियो को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। हाथ से मैला ढोने वाले 809 व्यक्तियों और उन पर निर्भर व्यक्तियो को आश्रितों को बैंक द्वारा ऋण प्रदान किये जाएगें।
  • पहली बार नशे से पीड़ित व्यक्तियों की पहचान के लिये राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया जा रहा है। यह सर्वेक्षण 185 ज़िलों, 1.5 लाख घरों और 6 लाख व्यक्तियों पर किया जाएगा। इस सर्वेक्षण की शुरूआत हो चुकी है और इसके मार्च-अप्रैल, 2018 तक पूरा होने की संभावना है।
  • पहली बार नशे से पीड़ित व्यक्तियों के पुर्नवास के लिये 200 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएगें। देशभर में 15 ज़िलों में विशेष गहन कार्यक्रम आयोजित किये जाएगें।
  • नशे से पीड़ित व्यक्तियों के पुर्नवास की योजना के अंतर्गत विभाग द्वारा सभी केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाएगी। 
  • नशा छुड़ाने वाले केंद्रों का नाम बदलकर उपचार चिकित्सालय किया जाएगा।
  • इस प्रकार के उपचार चिकित्सालय राज्यों की प्रमुख जेलों, बाल सुधार गृहों और प्रमुख सरकारी अस्पतालों में स्थापित किये जाएगें।
  • अन्य पिछडे वर्गों के लिये मैट्रिक पूर्व छात्रवृति में आय की सीमा 44,500 रुपए बढ़ाकर 2.5 लाख प्रतिवर्ष की गई है।
  • अनुसूचित जाति के लिये मैट्रिक पूर्व छात्रवृति में आय की सीमा 2 लाख रुपए बढ़ाकर 2.5 लाख प्रतिवर्ष की गई है।
  • आवासी विद्यार्थियों के लिये वृत्तिका 150 रुपए से बढ़ाकर 225 रुपए और छात्रावास में रहने वाले के लिये 350 रुपए से बढ़ाकर 525 रुपए की गई है।
  • अनुसूचित जाति और अन्य पिछडे वर्ग के लिये निशुल्क कोचिंग के लिये आय की सीमा 4.5 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपए की गई है।
  • स्थानीय छात्रों के लिये वृत्तिका 1500 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए और दूसरे शहरों से आए विद्यार्थियों के लिये 3000 रुपए से बढ़ाकर 6000 रुपए की गई है।
  • अन्य पिछडे वर्गों के लिये मैट्रिक पूर्व छात्रवृति में भी वृद्धि की गई है। पूर्व में कक्षा 1 से 5, कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 10 के लिये आवासी विद्यार्थियों को 10 माह तक क्रमशः 25, 40 और 50 रुपए प्रदान किये जाते थे।
  • अब कक्षा 1 से 10 के लिये इसे बढ़ाकर 100 रूपए प्रतिमाह किया गया है। पूर्व में कक्षा 3 से 8 और 9 से 10 के छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों दी जाने वाली छात्रवृत्ति को क्रमशः 200 और 250 को बढ़ाकर 500 रुपए प्रतिमाह किया गया हैं। इस योजना के अंतर्गत सभी विद्यर्थियों को वर्ष में एक बार 500 रुपए तदर्थ राशि के रूप में प्रदान किये जाते हैं।
  • अनुसूचित जातियों के लिये राष्ट्रीय अध्येतावृति के अंतर्गत प्रत्येक छात्र को दी जाने सहायता राशि 25,000 रुपए से बढ़ाकर 28,000 रुपए की गई हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय

  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन ‘राष्ट्रीय न्यास’ एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना ‘स्वलीनता (Autism), सेरेब्रल पाल्सी, मंदबुद्धि और बहुदिव्यांगजनों के कल्याण हेतु राष्ट्रीय न्यास’ अधिनियम (वर्ष 1999 में 44वाँ अधिनियम) द्वारा की गई थी।
  • राष्ट्रीय न्यास की परिकल्पना का आधार दिव्यांगजनों और उनके परिवारों की क्षमता विकास, उन्हें समान अवसर प्रदान कराना, उनको उनके अधिकारों की प्राप्ति करना, बेहतर माहौल उपलब्ध कराना और एक दिव्यांगजन समेकित समाज का निर्माण था। 
  • हाल ही में इस राष्ट्रीय न्यास ने ‘समावेशी भारत अभियान’ की शुरुआत की है।
  • यह अभियान विशेष रूप से बौद्धिक व विकास संबंधी दिव्यांगों (Persons with intellectual and developmental disabilities) के लिये है।
  • इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को मुख्य धारा में शामिल कराना और सामाजिक जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं- शिक्षा, रोज़गार और इस समुदाय के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव लाना है।
  • इस अभियान के तहत तीन प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया जा रहा है- समावेशी शिक्षा, समावेशी रोज़गार और समावेशी सामुदायिक जीवन।
  • स्पष्ट है कि जब दिव्यांगजन, उनके परिवार, सिविल सोसाइटी संस्थाएँ और राज्य सरकार के मध्य आपसी सामंजस्य होगा तभी समेकित सामुदायिक जीवन के प्रयास को सफल बनाया जा सकेगा।
  • इस समावेशी भारत अभियान की शुरुआत दिव्यांगजनों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने के लिये हुई है और आशा है कि राष्ट्रीय न्यास अपने उद्देश्य में अपने प्रयासों की बदौलत ज़रूर सफल होगा।
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