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आंतरिक सुरक्षा

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भूमिका

  • 19 May 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

CDS, थियेटर कमांड। 

मेन्स के लिये:

CDS का महत्त्व, CDS सुधारों पर पुनर्विचार। 

चर्चा में क्यों? 

सरकार द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद तथा सैन्य मामलों के विभाग (DMA) की अवधारणा का पुनर्मूल्यांकन किये जाने के साथ ही इनकी स्थापना को कारगर बनाने पर विचार किया जा रहा है।

  • CDS एक ‘फोर स्टार जनरल/ऑफिसर’ है जो सभी तीनों सेवाओं (थल सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना) के मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करता है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भूमिका:

  • CDS ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है जिसमें तीनों सेवाओं के प्रमुख भी सदस्य होंगे। 
    • उसका मुख्य कार्य भारतीय सेना की त्रि-सेवाओं के बीच अधिक-से-अधिक परिचालन तालमेल को बढ़ावा देना और अंतर-सेवा विरोधाभास को कम-से-कम रखना है।
  • वह रक्षा मंत्रालय में नवनिर्मित सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का प्रमुख भी है।
    • वह सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेगा, लेकिन इसके साथ ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष रक्षा मंत्री को अपनी सेनाओं के संबंध में सलाह देना जारी रखेंगे।
    • DMA के प्रमुख के तौर पर CDS को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में अंतर-सेवा खरीद निर्णयों को प्राथमिकता देने का अधिकार प्राप्त है।
  • CDS को तीनों प्रमुखों को निर्देश देने का अधिकार भी दिया गया है।
    • हालाँकि उसे किसी भी सेना के कमांड का अधिकार प्राप्त नहीं है।
  • CDS का पद समकक्षों में प्रथम है, उसे DoD (रक्षा विभाग) के भीतर सचिव का पद प्राप्त है और उसकी शक्तियांँ केवल राजस्व बजट तक ही सीमित रहेंगी। 
  • वह परमाणु कमान प्राधिकरण (NCA) में सलाहकार की भूमिका भी निभाएगा।

CDS का महत्त्व:

  • सशस्त्र बलों और सरकार के बीच तालमेल: CDS की भूमिका केवल त्रि-सेवा सहयोग ही नहीं है, बल्कि रक्षा मंत्रालय, नौकरशाही और सशस्त्र सेवाओं के बीच बेहतर सहयोग को बढ़ावा देना है।
    • वर्ष 1947 से रक्षा विभाग (DoD) के "संलग्न कार्यालय" के रूप में नामित त्रि-सेवा मुख्यालय (SHQ) हैं।
    • इसके कारण SHQ और DoD के बीच संचार मुख्य रूप से फाइलों के माध्यम से होता है।
    • रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार (PMA) के रूप में CDS की नियुक्ति से निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी।
  • संचालन में संलग्नता: चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (CDS के पूर्ववर्ती), निष्क्रिय रहेगी, क्योंकि इसकी अध्यक्षता तीन प्रमुखों में से एक द्वारा अंशकालिक रोटेशन के आधार पर की जाती है।
    • ऐतिहासिक रूप से COSC के अध्यक्ष के पास अधिकार के साथ-साथ तीनों सेवाओं की भूमिका से संबंधित विवादों को निपटाने की क्षमता का अभाव था।
    • CDS को अब "COSC के स्थायी अध्यक्ष" के रूप में नामित किया गया है, वह त्रि-सेवा संगठनों के प्रशासन पर समान रूप से ध्यान देने में सक्षम होगा।
  • थियेटर कमांड का संचालन: DMA के निर्माण से संयुक्त/थियेटर कमांड के संचालन में आसानी होगी।
    • यद्यपि अंडमान और निकोबार कमान में संयुक्त संचालन के लिये एक सफल ढाँचा बनाया गया था, राजनीतिक दिशा की कमी और COSC की उदासीनता के कारण यह संयुक्त कमान निष्क्रिय बना हुआ है।
    • थियेटर कमांड को थल सेना, नौसेना और वायु सेना को तैनात करने के लिये ज्ञान और अनुभव से युक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। इन उपायों के अलाभकारी प्रभावों को देखते हुए उन्हें CDS द्वारा सर्वोत्तम रूप से लागू किया जाएगा।
  • CDS परमाणु कमांड शृंखला में एक प्रमुख अधिकारी के रूप में सामरिक बल कमांड को भी प्रशासित करेगा।
    • यह उपाय भारत के परमाणु निवारक विश्वसनीयता को बढ़ाने के क्रम में एक लंबा मार्ग तय करेगा।
    • CDS भारत की परमाणु नीति  की समीक्षा भी करेगा।
  • घटते रक्षा बजट के कारण आने वाले समय में CDS का एक महत्त्वपूर्ण कार्य व्यक्तिगत सेवाओं के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को "प्राथमिकता" देना होगा।
    • CDS को यह सुनिश्चित करना होगा कि "रक्षा व्यय" का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से राष्ट्रीय सैन्य शक्ति के लिये  महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली युद्ध-क्षमताओं को विकसित करने पर किया जाए; न कि सेवा मांगों की पूर्ति पर।

सीडीएस की भूमिका पर पुनर्विचार की आवश्यकता:

  • यह अनुभव किया गया है कि केवल CDS की नियुक्ति कर देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि इसमें भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों के संबंध में स्पष्टता व इनके मध्य समानता जैसे अन्य मुद्दे भी निहित हैं।
  • CDS द्वारा धारित किये जाने वाले कई पदों पर अस्पष्टता के साथ ही उनकी भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों को लेकर भी द्वंद्व की स्थिति विद्यमान है, साथ ही DMA एवं DoD के बीच ज़िम्मेदारियों के मामले में भी अतिव्याप्ति की स्थिति है।
  • थियेटर कमांड के गठन के लिये निर्धारित महत्त्वाकांक्षी समय-सीमा और कमांड की संख्या एवं उनके परिकल्पित प्रारूप पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है।

थियेटर कमांड पर प्रगति: 

  • CDS को भारतीय सशस्त्र बलों को एकीकृत थियेटर कमांड में पुनर्गठित करने का काम सौंपा गया है, यह 75 वर्षों में सबसे बड़ा सैन्य पुनर्गठन होगा जो तीनों सेवाओं के एक साथ काम करने के तरीके को मौलिक रूप से बदल देगा।
  • तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों ने थियेटर कमांड- भूमि आधारित पश्चिमी और पूर्वी थियेटर कमांड, समुद्री थियेटर कमांड तथा एकीकृत वायु रक्षा कमांड पर व्यापक अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि सेना की उत्तरी कमान को कुछ समय के लिये बाहर रखा जाएगा एवं बाद में एकीकृत कर लिया  जाएगा। 
  • हालांँकि कई मुद्दों पर असहमति की स्थिति बनी रहती है जिसमें वायु रक्षा कमान के बारे में वायु सेना के आरक्षण और थियेटर कमांड के नामकरण एवं रोटेशन सहित अन्य शामिल हैं।
  • इस संबंध में अतिरिक्त अध्ययन किये जाने का आदेश दिया गया था जो अभी भी जारी है लेकिन CDS की अनुपस्थिति में और असहमति के कारण समग्र प्रक्रिया रुक गई है।

आगे की राह 

  • CDS को संचालन शक्तियों के साथ नियुक्त किये जाने की आवश्यकता है ताकि उचित विधायी परिवर्तनों के बाद थियेटर कमांडर इसे रिपोर्ट करेंगे, जबकि सेवा प्रमुख संबंधित सेवाओं के उत्थान, प्रशिक्षण और कार्यों की देखरेख करेंगे।
  • केवल CDS की नियुक्ति कर देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि इसके साथ भारत को अपने सशस्त्र बलों को उन्नत करने के लिये व्यापक सुधार की ज़रूरत है ताकि वह 21वीं सदी की सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सके।

स्रोत: द हिंदू

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