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यकृत के कार्यों को विनियमित करने में ग्लूकोज़ की भूमिका

  • 16 Mar 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ग्लूकोज़, यकृत, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च

मेन्स के लिये:

यकृत के कार्यों को विनियमित करने में ग्लूकोज़ की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research- TIFR) के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन में यकृत के कार्यों को विनियमित करने में ग्लूकोज़़ की भूमिका के बारे में बताया गया है। 

मुख्य बिंदु:

  • इस रिपोर्ट में SIRT1 नामक एक एंजाइम के बारे में चर्चा की गई है जिसे यकृत की गतिविधियों के विनियमन और आयु बढ़ने के एक कारण के रूप में देखा जाता है और इसलिये यह चिकित्साशास्त्र में शोध का केंद्र बन गया है

क्या है अध्ययन?

  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए इस अध्ययन से पता चलता है कि ग्लूकोज़ सीधे  SIRT1 के कार्य को नियंत्रित करता है।
  • SIRT1 की कमी या अनुपस्थिति मधुमेह जैसी स्थिति पैदा कर सकती है, जबकि SIRT1 का अत्यधिक और निरंतर घटता हुआ स्तर मोटापा और बढ़ती उम्र का कारण बन सकता है
  • शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि ग्लूकोज़ SIRT1  नामक प्रोटीन के कार्यों को नियंत्रित करता है जो बदले में प्रतिदिन फ़ीड-फास्ट साइकल (Feed-Fast cycle) को बनाए रखता है और दीर्घायु होने से भी जुड़ा हुआ है
  • सामान्यतः स्वस्थ व्यक्तियों में SIRT1 प्रोटीन के स्तर को उपवास के दौरान बढ़ने और खाने के दौरान कम होने के लिये जाना जाता है, जो ग्लूकोज़ और वसा चयापचय के बीच संतुलन बनाए रखने के लिये आवश्यक होता है

ग्लूकोज़़:

  • ग्लूकोज़़ सरल शर्करा श्रेणी का एक कार्बोहाइड्रेट है, जिसका रासायनिक सूत्र C6H12O6 है। 
  • यह एक मोनोसैकराइड (सरल कार्बोहाइड्रेट) है, जिसमें एक CHO ग्रुप (Aldehyde Group) का अणु भी होता है, इसी कारण इसे एल्डेहेक्सोज़ (Aldehexose) भी कहा जाता है।
  • ग्लूकोज़़ का प्रयोग हर जीवित प्राणी उर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में करता है। बैक्टीरिया से इंसानों तक हर प्राणी वायवीय श्वसन (Aerobic  Respiration) , अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration) या किण्वन (Fermentation) (बैक्टीरिया इस प्रक्रिया द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं) का उपयोग कर ग्लूकोज़़ से ऊर्जा निर्मित करके इससे अपने दैनंदिनी कार्यों को करते हैं।
  • मानव शरीर में ग्लूकोज़़ की मात्रा का नियंत्रण इंसुलिन द्वारा किया जाता है।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च:

  • 'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' की स्थापना भारत के ख्याति प्राप्त परमाणु वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा ने की थी। 
  • इस संस्थान की स्थापना 1 जून, 1945 को सर दोराबजी टाटा न्यास की सहायता से की गई। 
  • इस संस्थान ने सर्वप्रथम भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू के कैंपस में ब्रह्मांड किरण  के क्षेत्र में कार्य करना प्रारंभ किया था। तत्पश्चात् वर्ष 1945 में ही अक्तूबर माह में  संस्थान को मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।
  • वर्ष 1955-1956 में भारत सरकार, मुंबई सरकार व सर दोराबजी टाटा न्यास के मध्य एक ‘त्रिपक्षीय समझौता' हुआ।
  • इस समझौते के अनुसार संस्थान को भारत सरकार से बड़ी वित्तीय सहायता प्राप्त हुई व प्रबंध परिषद में सरकार का अधिक स्थायी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ।
  • 1960 के दशक में संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार करते हुए आण्विक जैव विज्ञान समूह (Molecular Biology Group) व रेडियो खगोल विज्ञान समूह (Radio Astronomy Group) प्रारंभ किया। 
  • अल्प तापमान सुविधा केंद्र व अर्द्धचालक समूह (A low Temperature Facility and a Semi Conductor Group) ने भी इसी समय अपना कार्य प्रारंभ किया। 
  • वर्ष 1964 में मूल दंत अनुसंधान समूह (Basic Dental Research Group) ने कार्य करना प्रारंभ किया, जो बाद में बंद हो गया। 
  • 1970 के दशक में संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्र में सैद्धांतिक खगोल भौतिकी व होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र को शामिल किया। 
  • अगले दो दशकों में संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्र को और अधिक विस्तृत रूप देकर नए राष्ट्रीय केंद्रों की स्थापना की। 
  • इन केंद्रों में पुणे में 'राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र', (The National Centre for Radio Astrophysics) बंगलूरु में 'अनुप्रयोज्य गणित केंद्र', (The Centre for Applicable Mathematics) बंगलूरु में 'राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र' (The National Centre for Biological Sciences) शामिल हैं। 
  • इस संस्थान का नवीनतम राष्ट्रीय केंद्र 'अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक विज्ञान केंद्र' (International Centre for Theoretical Sciences) है, जिसकी स्थापना वर्ष 2007 में हुई। 
  • TIFR का कार्य तीन स्कूलों के अंतर्गत किया जाता है-
    • गणित स्कूल
    • प्राकृतिक विज्ञान स्कूल
    • प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटर साइंस स्कूल
  • TIFR को वर्ष 2003 में मानद विश्वविद्यालय की मान्यता प्रदान की गई थी।

स्रोत- द हिंदू

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