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पश्चिम बंगाल की नदियाँ स्नान योग्य भी नहीं

  • 18 Jan 2018
  • 4 min read

आमतौर पर कहा जाता है कि गंगा में एक डुबकी लगाना खुद को पवित्र करने के समान है। लेकिन, हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल की नदियाँ अब डुबकी लगाने के योग्य भी नहीं हैं। 17 नदियों के पानी में मानव मल में पाए जाने वाले जीवाणु काफी मात्रा में पाए गए हैं। नदियाँ इतनी ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हैं कि अब इन्हें अधिकारिक तौर पर स्नान के लिये अनुचित ठहरा दिया गया है। 

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (WBPCB) द्वारा पर्यावरण पर जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा समेत, राज्य की 17 प्रमुख नदियों में कॉलिफोर्म बैक्टीरिया (यह मुख्यतः मानव मल में पाया जाता है) का स्तर प्रति 100ml MPN (Most Probable Number) की अनुमत सीमा से काफी अधिक है।
  • केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के निर्देशानुसार यह अनुमत सीमा 500 है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में एकत्र किये गए आँकड़ों की नियमित निगरानी से पता चलता है कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के मुताबिक नदियाँ नहाने के लिये शायद ही उपयुक्त हैं।
  • उस इलाके में गंगा की सहायक नदियों भागीरथी और हुगली में टोटल कॉलिफोर्म काउंट(TCC) अनुमत सीमा 500 से काफी ज़्यादा है।
  • अक्टूबर 2015 में, मुर्शिदाबाद ज़िले के बहरामपुर के नज़दीक गंगा नदी में टोटल कॉलिफोर्म काउंट(TCC) 1.10 लाख था। उत्तर 24 परगना ज़िले के दखिनेस्वर में यह 4 लाख था और हावड़ा ज़िले के शिवपुर में 2.80 लाख, कोलकाता के दक्षिण-पश्चिमी भाग में गार्डन रीच पर यह आँकड़ा 2.40 लाख था।
  • बंगाल के उत्तरी भाग में भी नदियों की हालत कुछ खास ठीक नहीं है। सिलीगुड़ी के निकट महानंदा नदी में TCC 14,000 था। जबकि तीस्ता नदी में यह आँकड़ा 7,000 दर्ज किया किया गया। जलपाईगुड़ी के पास कोरोला और अलीपुरद्वार के पास कालजनी दोनों नदियों का TCC काउंट प्रति 100 मिलीलीटर 14,000 था।

उल्लेखनीय वृद्धि

  • पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (WBPCB) के अनुसार, 2014 की तुलना में, उत्तरी बंगाल की सभी चार प्रमुख नदियों के TCC काउंट में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है जबकि दक्षिणी बंगाल की एक नदी में यह वृद्धि दर्ज की गई है।
  • इनमें पश्चिम बंगाल के आसनसोल ज़िले में दामोदर नदी (90,000), बीरभूम ज़िले के तारापीठ में बरकार नदी (17,000), पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में कनसई नदी (17,000) और तरपीठ के द्वारका में (3,400) शामिल है।

कॉलिफोर्म बैक्टीरिया

कोलीफॉर्म बैक्टीरिया रॉड की आकृति, ग्राम-नेगेटिव गैर-बीजाणु वाले गतिशील या अगतिशील जीवाणु होते है जो 35–37°C के तापमान पर एसिड और गैस के उत्पादन के साथ लैक्टोज का किण्वन कर सकते हैं। आम तौर पर वे खाद्य पदार्थों और पानी की गुणवत्ता हेतु सूचक की तरह इस्तेमाल किये जाते हैं। कोलीफॉर्म जलीय वातावरण में, मिट्टी में और वनस्पतियों पर पाये जा सकतते हैं। वे सार्वभौमिक रूप से, गर्म रक्त वाले पशुओं के मल में बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं।

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