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भारतीय अर्थव्यवस्था

दूरसंचार क्षेत्र में सुधार

  • 17 Sep 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

समायोजित सकल राजस्व, एमसीएलआर, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, डिजिटल इंडिया

मेन्स के लिये:

दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न सुधार एवं इनका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों को मंज़ूरी दी है।

  • इन सुधारों में समायोजित सकल राजस्व (AGR) की बहुप्रचारित अवधारणा को फिर से परिभाषित करना, संचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को सरकार के बकाया चुकाने पर चार वर्ष की मोहलत देना शामिल है।

Relief-and-reforms

प्रमुख बिंदु

  • सुधारों के बारे में:
    • स्पेक्ट्रम संबंधी सुधार: स्पेक्ट्रम की नीलामी सामान्यत: प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही (फिक्स्ड कैलेंडर) में आयोजित की जाएगी।
      • भविष्य में स्पेक्ट्रम की नीलामी मौजूदा 20 वर्ष के बजाय 30 वर्ष की अवधि हेतु की जाएगी।
      • एक टेल्को को खरीद की तारीख से 10 वर्ष की लॉक-इन अवधि पूरी करने के बाद अपना स्पेक्ट्रम सरेंडर करने की अनुमति होगी।
      • स्पेक्ट्रम साझाकरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है और स्पेक्ट्रम साझा करने हेतु 0.5% के अतिरिक्त SUC (स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क) को हटा दिया गया है।
      • स्पेक्ट्रम मोबाइल उद्योग और अन्य क्षेत्रों को एयरवेव्स पर संचार के लिये आवंटित रेडियो फ्रीक्वेंसी से संबंधित है।
    • AGR का युक्तिकरण:
      • AGR को पहले कंपनी के मुख्य दूरसंचार व्यवसाय से जुड़े होने के बजाय सभी राजस्व पर आधारित होने के रूप में व्याख्यायित किया गया था।
      • सरकार ने स्वीकार किया है कि यह व्याख्या समस्याग्रस्त थी, जिससे कंपनियों पर भविष्य का वित्तीय बोझ कम होगा।
      • दूरसंचार कंपनियों को सरकार को वैधानिक शुल्क के रूप में AGR (गैर-दूरसंचार राजस्व को छोड़कर) का एक पूर्व-निर्धारित प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है।
    • बकाया समायोजित सकल (AGR) राजस्व पर प्रतिबंध: दूरसंचार विभाग द्वारा समर्थित और वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार AGR की पूर्व परिभाषा ने दूरसंचार कंपनियों को 1.6 लाख करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी बनाया था।
      • इस भुगतान ने दूरसंचार क्षेत्र में नकदी की कमी कर दी है, जिसके कारण वोडाफोन जैसी दूरसंचार कंपनियों को व्यापार में  नुकसान हुआ और एक एकाधिकार (रिलायंस जियो और भारती एयरटेल) की स्थापना हुई।
      • दूरसंचार क्षेत्र को पुनर्जीवित करने हेतु सभी स्पेक्ट्रम और बकाया समायोजित सकल बकाया पर चार वर्ष की मोहलत को मंज़ूरी दी गई है।
      • हालांकि स्थगन (Moratorium) का विकल्प चुनने वाले टीएसपी को लाभ के तहत ली गई राशि पर ब्याज का भुगतान करना होगा।
  • ब्याज दरों को युक्तिसंगत बनाया गया और ज़ुर्माना हटाना:
    • मासिक चक्रवृद्धि ब्याज जो कि अब तक स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) पर लागू किया जाता था, को अब वार्षिक रूप लागू किया जाएगा तथा MCLR + 4% के बजाय MCLR+2% के आधार पर ब्याज की गणना करके इसकी दर कम हो जाएगी।
      • MCLR सबसे कम उधार दर को संदर्भित करता है जो उधार दर (Lending Rate) पर आधारित  फंड/निधि की सीमांत लागत (Marginal Cost of Funds) है।
    • इसके अतिरिक्त ज़ुर्माने पर लगने वाला ज़ुर्माना और ब्याज हटा दिया गया है।
  • FDI सुधार: इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को 49% की मौजूदा सीमा को  स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक की अनुमति दी गई है।

समायोजित सकल राजस्व

  • समायोजित सकल राजस्व (AGR) सरकार और दूरसंचार कंपनियों के बीच एक शुल्क-साझाकरण तंत्र है, जो वर्ष 1999 में 'निश्चित लाइसेंस शुल्क' मॉडल से 'राजस्व-साझाकरण शुल्क' मॉडल में स्थानांतरित हो गया था।
    • इस क्रम में दूरसंचार कंपनियों को सरकार के साथ AGR का एक प्रतिशत साझा करना होता है।
  • इसके तहत मोबाइल टेलीफोन ऑपरेटरों को अपने AGR का एक प्रतिशत वार्षिक लाइसेंस शुल्क (LF) और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) के रूप में सरकार के साथ साझा करना आवश्यक था।
  • वर्ष 2005 में सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने सरकार द्वारा दी गई AGR की परिभाषा को चुनौती दी।
    • वर्ष 2015 में ‘दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील प्राधिकरण’ (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT) ने दूरसंचार कंपनियों के पक्ष में अपना फैसला सुनाया और कहा कि पूंजीगत प्राप्तियों तथा गैर-प्रमुख स्रोतों से प्राप्त राजस्व जैसे- किराया, अचल संपत्तियों की बिक्री पर लाभ, लाभांश, ब्याज़ आदि को AGR से बाहर रखा जाएगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अक्तूबर 2019 में DoT (दूरसंचार और गैर-दूरसंचार सेवाओं दोनों से राजस्व) द्वारा निर्धारित AGR की परिभाषा को बरकरार रखा।
  • इन सुधारों का महत्त्व: 
    • प्रतिस्पर्द्धा को पुनर्जीवित करना: चार वर्ष की मोहलत कंपनियों को ग्राहक सेवा और नई तकनीक में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
    • ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को प्रोत्साहित करना: इस क्षेत्र में (स्वचालित मार्ग के माध्यम से) शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति का निर्णय सरकार द्वारा विवादास्पद पूर्वव्यापी कर व्यवस्था को समाप्त करने के निर्णय के तुरंत बाद लिया गया है।
      • संयुक्त तौर पर ये सभी निर्णय निवेशक-अनुकूल माहौल का निर्माण कर सकते हैं।
    • डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना: दूरसंचार क्षेत्र अर्थव्यवस्था के प्रमुख प्रेरकों में से एक है और सरकार द्वारा घोषित उपायों से उद्योग को डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
    • तकनीकी प्रगति: इन उपायों से इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा, जिसमें 5G प्रौद्योगिकी परिनियोजन भी शामिल है और साथ ही इससे रोज़गार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा।

आगे की राह

  • समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया और स्पेक्ट्रम बकाया पर अधिस्थगन केवल अस्थायी राहत ही प्रदान करेगा और अंततः ब्याज के साथ देय राशि का भुगतान करना होगा। ऐसे में इसमें शामिल सभी हितधारकों को एक स्थायी टैरिफ नीति विकसित करने का एक तरीका खोजने पर विचार करना होगा।

स्रोत: द हिंदू

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