लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

वृद्ध कलाकारों को पेंशन और चिकित्सा सहायता

  • 06 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

वृद्ध कलाकारों को पेंशन और चिकित्सा सहायता हेतु योजनाएँ

मैन्स के लिये:

भारत में वृद्ध कलाकारों से संबंधित योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) द्वारा वृद्ध लोक कलाकारों की वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु “कलाकारों के लियेपेंशन और चिकित्सा सहायता के लिये योजना” नामक योजना प्रारंभ की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • संस्कृति मंत्रालय ने “कलाकारों के लिये पेंशन और चिकित्सा सहायता के लिये योजना” वृद्ध लोक कलाकारों और विद्वानों जिन्होंने कला, पत्र आदि क्षेत्रों में अपना विशिष्ट योगदान दिया है तथा ग़रीबी की स्थिति में हैं, की वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने हेतु यह योजना कार्यान्वित की गई।
  • नाटककार भी इस योजना के पात्र है।
  • प्रत्येक लाभार्थी को अधिकतम प्रति माह 4000/- रूपए दिया जाएगा, जिसमें से न्यूनतम 500/- रूपए राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार से वित्तीय सहायता शामिल है।
  • लाभार्थी की मृत्यु होने पर वित्तीय सहायता को लाभार्थी के पति/पत्नी के नाम पर हस्तांतरित किया जा सकता है। इस प्रकार के अनुरोध हेतु लाभार्थी के पति/पत्नी द्वारा मंत्रालय में मृत्यु की तारीख से छह माह के भीतर अपेक्षित दस्तावेजों को प्रस्तुत करना होगा।

आदिवासियों की भाषाओं, लोक नृत्य, कला और संस्कृति को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने हेतु योजनाएँ :

  • प्रतिभाशाली युवा कलाकारों को पुरस्कार (Award to Young Talented Artists): “युवा प्रतिभाशाली कलाकार” योजना विशेष रूप से दुर्लभ कला के क्षेत्रों में युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और पहचान दिलाने हेतु शुरू किया गया है जिसमे 18-30 वर्ष की आयु वर्ग के प्रतिभाशाली युवाओं को चुनकर 10,000/- रूपए नकद पुरस्कार देने का प्रावधान है।
  • गुरु शिष्य परंम्परा (Guru Shishya Parampara): यह योजना आने वाली पीढ़ियों के लिये हमारी मूल्यवान परंपराओं को प्रसारित करने की परिकल्पना करती है एवं शिष्यों को कला के उन स्वरूपों में प्रशिक्षित किया जाता है जो दुर्लभ और लुप्त हैं। क्षेत्र के दुर्लभ और लुप्त हो रहे कला की पहचान तथा गुरुकुलों की परंपरा में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूरा करने के लिये प्रख्यात प्रशिक्षकों का चयन किया जाता है। गुरु को 7500/- रूपए, सहयोगी को 3,750/- रूपए और शिष्य को 1,500/- रूपए मासिक पारिश्रमिक के तौर पर छह महीने से लेकर अधिकतम 1 वर्ष की अवधि तक दिये जाएंगे।
  • रंगमंच कायाकल्प (Theatre Rejuvenation): स्टेज शो और प्रोडक्शन आधारित वर्कशॉप सहित थिएटर गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये TA और DA को छोड़कर प्रति शो 30,000/- रूपए का भुगतान किया जाता है एवं समूहों ने अपनी साख के साथ-साथ उनके द्वारा प्रस्तुत परियोजना की योग्यता के आधार पर अंतिम रूप दिया।
  • अनुसंधान और प्रलेखन (Research & Documentation): संगीत, नृत्य, रंगमंच, साहित्य, ललित कला इत्यादि लोक, जनजातीय और शास्त्रीय क्षेत्रों में लुप्त हो रहे दृश्य और प्रदर्शन कला रूपों को बढ़ावा देने तथा प्रचारित करने हेतु इस योजना को प्रारंभ किया गया।
  • शिल्पग्राम (Shilpgram): ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कारीगरों को डिजाइन के विकास और विपणन सहायता हेतु संगोष्ठी, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, शिल्प मेलों का आयोजन करके क्षेत्र की लोक, आदिवासी कला एवं शिल्प को बढ़ावा देना इस योजना का मुख्य लक्ष्य है।
  • ऑक्टेव (सप्तक) (Octave): उत्तर पूर्व क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और प्रचार-प्रसार करने हेतु (जिसमें आठ राज्य हैं-अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा शामिल है) इस पहल को प्रारंभ किया गया।
  • राष्ट्रीय सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम (National Cultural Exchange Programme-NCEP): इसे क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों की जीवन रेखा कहा जा सकता है। इस योजना के तहत सदस्य राज्यों में प्रदर्शन कला, प्रदर्शनियाँ, यात्रा आदि से संबंधित विभिन्न उत्सव आयोजित किए जाते हैं। अन्य क्षेत्रों/राज्यों के कलाकारों को इन कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया जाता है। देश के अन्य हिस्सों में आयोजित होने वाले समारोहों में कलाकारों की भागीदारी के प्रावधान है। ये त्यौहार हमारे देश की विभिन्न संस्कृतियों को जानने-समझने का अवसर प्रदान करते हैं।

स्रोत: पीआईबी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2