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जैव विविधता और पर्यावरण

ओज़ोन का स्तर अनुमत स्तरों से अधिक

  • 02 Aug 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विज्ञान और पर्यावरण केंद्र, ओज़ोन, वायु गुणवत्ता सूचकांक

मेन्स के लिये:

ओज़ोन का स्तर अनुमत स्तरों से अधिक होने के  प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) के एक अध्ययन में पाया गया है कि ओज़ोन का स्तर दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान भी अनुमत स्तरों से अधिक है, जिससे स्मॉग/धुंध अधिक "विषाक्त" होता है।

  • महामारी और लॉकडाउन के बावजूद अधिक दिनों तथा स्थानों में ओज़ोन स्तर की उच्च एवं लंबी अवधि देखी गई।
  • CSE नई दिल्ली में स्थित एक सार्वजनिक ब्याज अनुसंधान और सलाहकारी संगठन है।

ओज़ोन

  • ओज़ोन (ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी) एक गैस है जो पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल और ज़मीनी स्तर दोनों में होती है। ओज़ोन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये "अच्छा" या "बुरा" हो सकती है, जो वायुमंडल में इसकी स्थिति पर निर्भर करती है।
  • पृथ्वी के समताप मंडल की परत में मौजूद 'अच्छी' ओज़ोन मानव को हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाती है, जबकि ज़मीनी स्तर का ओज़ोन अत्यधिक प्रतिक्रियाशील है और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
    • ज़मीनी स्तर की ओज़ोन श्वसन और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिये खतरनाक है।

स्मॉग

  • स्मॉग वायु प्रदूषण है जो दृश्यता को कम करता है।
  • धुंध और कोहरे के मिश्रण का वर्णन करने के लिये "स्मॉग" शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1900 के दशक की शुरुआत में किया गया था।
  • धुआँ सामान्यत: जलते कोयले से निकलता है। औद्योगिक क्षेत्रों में स्मॉग एक सामान्य घटना है जो आज भी शहरों में देखा जाती है।  वर्तमान स्मॉग में से अधिकांश में  फोटोकैमिकल स्मॉग है।
    • फोटोकैमिकल स्मॉग तब उत्पन्न होता है जब सूर्य का प्रकाश वातावरण में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और कम-से-कम एक वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) के साथ प्रतिक्रिया करता है।
    • नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कार के धुएँ, कोयला बिजली संयंत्रों तथा कारखाने से होता है। VOCs गैसोलीन, पेंट और कई सफाई सॉल्वैंट्स से जारी किये जाते हैं। जब सूरज की रोशनी इन रसायनों से टकराती है, तो वे हवा के कणों और निचले स्तर पर ओज़ोन या स्मॉग का निर्माण करते हैं।

प्रमुख बिंदु

अब वर्ष भर खतरा:

  • इस धारणा के विपरीत कि ओज़ोन केवल गर्मी के मौसम में होने वाली घटना है, यह पाया गया है कि सर्दियों के दौरान भी यह गैस एक विकराल चिंता के रूप में उभरी है।

समसामयिक अधिकता:

  • शहर-व्यापी औसत काफी हद तक मानक के भीतर रहता है, जिसमें कभी-कभार ही अधिकता होती है। लेकिन वर्ष 2020 में 'अच्छे' श्रेणी के दिन कम होकर 115 रह गए हैं, जो दिल्ली में 2019 की तुलना में 24 दिन कम है।
  • स्थान-वार विश्लेषण से पता चलता है कि यह शहर में आठ घंटे के औसत मानक से अधिक व्यापक रूप से वितरित होती है।
  • उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और हरियाणा के भिवानी सहित NCR के छोटे शहर भी ओज़ोन प्रभावित शहरों की शीर्ष 20 सूची में शामिल हैं। दक्षिण दिल्ली के चार स्थान शीर्ष 10 की सूची में हैं।

सलाह:

  • अध्ययन से पता चलता है कि परिवहन क्षेत्र NOx और VOCs में सर्वाधिक योगदानकर्त्ता है, इसलिये वाहनों तथा अन्य उद्योगों सहित एनओएक्स एवं वीओसी के इन उच्च उत्सर्जकों पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
  • ओज़ोन का स्तर सर्दियों के दौरान भी 100 μg/m3 के निशान से अधिक पाया जाता है और सौर विकिरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है। गैसों को कम करने से इन गैसों से बनने वाले द्वितीयक कण भी कम हो जाएंगे।
  • ओज़ोन वर्तमान समय की समस्या है और यह स्थिति वाहनों, उद्योग और अपशिष्ट जलाने पर मज़बूत कार्रवाई के साथ ओज़ोन शमन हेतु रणनीतियों को जोड़ने के लिये स्वच्छ वायु कार्ययोजना के संशोधन की मांग करती है।
  • दिन के सबसे प्रदूषित आठ घंटे के औसत की रिपोर्ट करने के लिये AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) को जाँचना महत्त्वपूर्ण है। केवल शहर के औसत की मौजूदा प्रथा को बदलने की ज़रूरत है ताकि सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र के आधार पर अलर्ट जारी किया जा सके।

सरकारी प्रयास:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के तत्त्वावधान में सार्वजनिक सूचना हेतु राष्ट्रीय AQI का विकास किया गया है। AQI को आठ प्रदूषकों की मात्रा के मापन हेतु विकसित किया गया है, इनमें PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं।
  • बीएस-VI वाहनों की शुरुआत, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के प्रयोग को बढ़ावा, एक आपातकालीन उपाय के रूप में ऑड-ईवन और वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिये पूर्वी व पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का निर्माण।
  • राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से निपटने हेतु ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान ((GRAP) का क्रियान्वयन। इसमें तापविद्युत संयंत्रों को बंद करने और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध जैसे उपाय शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का शुभारंभ: राष्ट्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण के मुद्दे से व्यापक तरीके से निपटने हेतु सरकार औसत परिवेशी वायु के लक्ष्य को पूरा करने के साथ ही देश के सभी स्थानों पर गुणवत्ता मानक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लेकर आई है। 

स्रोत: द हिंदू 

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