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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कोविड -19 के दौरान महासागरीय ध्वनिक

  • 12 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

कोविड -19 महामारी के दौरान लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों (जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार) के रुकने की वजह से पृथ्वी की सतह पर ध्वनि प्रदूषण कम हो गया था।

  • महासागरों में पिछले कई महीनों से मानव निर्मित ध्वनि प्रदूषण (एन्थ्रोफोनी) काफी हद तक कम हो गया है।

प्रमुख बिंदु:

महासागरों में ध्वनिक:

  • महासागरीय  ध्वनिक के तीन व्यापक घटक हैं:
    • जियोफोनी (Geophony) : गैर-जैविक प्राकृतिक घटनाओं (जैसे: भूकंप, लहरों और बुदबुदाहट) से उत्पन्न ध्वनियाँ।
    • बायोफोनी(Biophony): समुद्री जीवों द्वारा उत्पन्न ध्वनियाँ ।
    • एंथ्रोफोनी(Anthrophony): मानव द्वारा उत्पन्न ध्वनियाँ (प्रमुख रूप से समुद्री जहाज़ों से होने वाली ध्वनि )।
  • वर्ष 2021 में साइंस जर्नल में प्रकाशित ‘द साउंडस्केप ऑफ एंथ्रोपोसीन ओशन रिपोर्ट’ के अनुसार, औद्योगिक युग से पहले जियोफोनी और बायोफोनी महासागरों के साउंडस्केप पर हावी थे।
    • हालाँकि अब एंथ्रोफोनी इन प्राकृतिक घटकों के साथ हस्तक्षेप करती है और इन्हें बदल देती  है।

आधुनिक समय में ध्वनि का स्तर:

  • वर्तमान भूगर्भीय युग के महासागर (एंथ्रोपोसीन युग , जब मानव निर्मित व्यवधान काफी हद तक पर्यावरण को प्रभावित करते हैं) पूर्व-औद्योगिक समय के महासागरों की  तुलना में अधिक प्रदूषणकारी(ध्वनि) हैं।  
  • महामारी के शुरूआती दौर में, समुद्री ध्वनियों की निगरानी के समय कई स्थानों पर एक डेसीबल (डीबी) की गिरावट दर्ज की गई। 
  • कनाडा के ‘नेपच्यून ओशन ऑब्ज़र्वेटरी’ के एंडेवर नोड के हाइड्रोफोंस में  प्रतिवर्ष औसतन 1.5dB  की कमी परिलक्षित हुई, जिसका अभिप्राय 100 हर्ट्ज पर साप्ताहिक शोर शक्ति का वर्णक्रमीय घनत्व।

एंथ्रोफोनी का प्रभाव

  • एंथ्रोफोनी का अल्पावधि उपयोग समुद्री जीवों द्वारा उत्पन्न श्रवण संकेतकों की पहचान करने, खाद्य सामग्री में उनकी क्षमता को कमज़ोर करने, अन्य शिकारी जीवों से बचने के लिये किया जाता है|
  • लंबे समय तक इसका उपयोग, समुद्री प्रजातियों की आबादी को कम कर सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय शांत महासागर प्रयोग (IQOE)

  • यह अनुसंधान, निरीक्षण और प्रसारण  गतिविधियों के जरिये समुद्री जीवों और समुद्री जीवों पर पड़ने वाले ध्वनि के प्रभावों को समझने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यक्रम है।
  • इस कार्यक्रम की अवधि 2015-2025 तक निर्धारित है I IQOE टीम ने कोविड -19 महामारी के दौरान बड़ी मात्रा में आँकडों को एकत्रित किया है।
  • IQOE महासागर ध्वनिक डेटा को अधिक तुलनीय बनाने की विधियाँ विकसित कर रहा है। इन आँकडों से  महासागरीय ध्वनि का आकलन करके और उन पर COVID-19 महामारी के प्रभावों की तलाश करने के लिये एक वैश्विक डेटा सेट में संकलित किया जाएगा।
  • IQOE ने दुनिया भर के महासागरों में 200 से अधिक गैर-सैन्य हाइड्रोफोन (समुद्री सतह के माइक्रोफोन) के एक नेटवर्क की पहचान की है।
    • इस परियोजना के नेटवर्क में अधिकांश हाइड्रोफोन संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के तटों पर स्थित हैं । अब दुनिया के कई अन्य हिस्सों (विशेष रूप से यूरोप में) में इनकी उपस्थिति बढ़ रही है।
  • इन हाइड्रोफोन (जो दूरस्थ आवृत्ति के संकेतों की भी पहचान करते है) में व्हेल और अन्य समुद्री जानवरों के साथ-साथ मानव गतिविधियों से उत्पन्न ध्वनियों को भी रिकॉर्ड किया गया है।

हाइड्रोफ़ोन

  • जिस तरह एक माइक्रोफोन हवा में उपस्थित ध्वनि को एकत्र करता है, उसी प्रकार से एक हाइड्रोफोन पानी के नीचे ध्वनिक संकेतों का पता लगाता है ।
  • अधिकांश हाइड्रोफोन सिरेमिक उत्पादों पर आधारित होते हैं जो जलदाब  परिवर्तन के कारण एक लघु विद्युत प्रवाह का उत्पादन करते हैं।
  • जब  एक सिरेमिक (चीनी मिटटी से निर्मित) हाइड्रोफोन समुद्र में डूबता है तो कई तरह की आवृत्तियों पर लघु विद्युत का  संकेत देता है क्योंकि यह चारों तरफ से पानी के नीचे उपस्थित ध्वनियों के संपर्क में होता है।
  • इन विद्युत संकेतों को परिवर्द्धित और रिकॉर्ड करके, हाइड्रोफोन बड़ी सटीकता के साथ महासागरीय ध्वनियों का मापन करते हैं।

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स्रोत- डाउन टू अर्थ

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