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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता

  • 16 May 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नाटो, ईयू, बाल्टिक सागर, रूस की अवस्थिति।

मेन्स के लिये:

रूस-यूक्रेन संकट, नाटो, नाटो-रूस डायनेमिक्स।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फिनलैंड और स्वीडन ने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिये रुचि दिखाई है।

Finland

स्वीडन और फिनलैंड नाटो के सदस्य क्यों नहीं हैं?

  • फिनलैंड: 
    • यह इस तरह के गठबंधनों से दूर रहा है क्योंकि हमेशा अपने पड़ोसी रूस के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता था।
    • लंबे समय तक नाटो में शामिल न होने या पश्चिम के बहुत करीब आने का विचार फ़िनलैंड के लिये अस्तित्व की बात थी।
    • हालाँकि धारणा में बदलाव और नाटो में शामिल होने के लिये भारी समर्थन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद आया।
  • स्वीडन: 
    • फिनलैंड जिसके नीतिगत स्वरूप में अस्तित्व का मामला था, के विपरीत स्वीडन वैचारिक कारणों से संगठन में शामिल होने का विरोध करता रहा है।
    • नाटो का सदस्य होने से इन राष्ट्रों को "अनुच्छेद 5" के तहत सुरक्षा गारंटी मिलेगी।

सदस्यता का अर्थ और नाटो को लाभ:

सुरक्षा की गारंटी:

  • नाटो सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका तात्पर्य ‘एक या अधिक सदस्यों पर आक्रमण सभी सदस्य देशों पर आक्रमण माना जाता है। ज्ञातव्य है कि यह नाटो के अनुच्छेद 5 में निहित है।
  • नाटो का सदस्य होने से इन राष्ट्रों को "अनुच्छेद 5" के तहत सुरक्षा गारंटी मिलेगी।
  • गठबंधन की स्थिति को मज़बूत करना:
    • फिनलैंड की भौगोलिक स्थिति उसके पक्ष में है यदि एक बार यह नाटो का सदस्य बन जाता है तो नाटो और रूस की साझा सीमाओं की लंबाई दोगुनी हो जाएगी और यह बाल्टिक सागर में नाटो के गठबंधन की स्थिति को भी मज़बूती प्रदान करेगा।
  • रूस कीआक्रामकता का विरोध:
    • अधिक संप्रभु शक्तियों द्वारा पश्चिम का पक्ष लेना और उसकी ताकत बढ़ाना रूस के लिये  प्रतिकूल साबित हो सकता है।
    • यदि स्वीडन और फिनलैंड नाटो में शामिल होते हैं, विशेषकर इन परिस्थितियों में "इस कदम  से रूस को इस बात आभास होगा कि युद्ध उसके लिये प्रतिकूल परिस्थिति पैदा कर सकता है और यह कदम पश्चिमी एकता, संकल्प व सैन्य तैयारियों को और मज़बूती प्रदान  कर सकता है"।

रूस और अन्य देशों की प्रतिक्रिया:

  • रूस:
    • रूस ने स्वीडन और फिनलैंड द्वारा नाटो की सदस्यता ग्रहण करने की घोषणा करने पर सैन्य शक्ति के इस्तेमाल की धमकी दी और उसके इस कदम के परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी।
  • यूरोपीय देश और अमेरिका:
    • यूरोपीय राष्ट्रों और संयुक्त राज्य अमेरिका ने फिनलैंड के इस कदम का स्वागत किया है।
    • नॉर्वे और डेनमार्क ने कहा है कि वे नाटो की सदस्यता जल्द ही ग्रहण कर सकते हैं।
    • अमेरिका ने कहा कि सदस्यता को औपचारिक रूप से स्वीकार किये जाने तक वह किसी भी आवश्यक रक्षा सहायता प्रदान करने या किसी भी चिंता को दूर करने के लिये तैयार है।
  • तुर्की:
    • तुर्की ने फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने का विरोध किया है।
    • तुर्की सरकार ने दावा किया कि वह पश्चिमी गठबंधन में अपनी सदस्यता का इस्तेमाल दोनों देशों द्वारा सदस्यता स्वीकार करने के कदमों को वीटो करने के लिये कर सकता है।
    • तुर्की सरकार ने कुर्द आतंकवादियों और अन्य समूहों जिन्हें आतंकवादी समूह के रूप में घोषित किया गया है,स्वीडन और अन्य स्कैंडिनेवियाई देशों द्वारा इस समूहों को समर्थन प्रदान करने का आरोप लगाते हुए इस कदम की आलोचना की है।

NATO क्या है?

  • यह सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा अप्रैल 1949 की उत्तरी अटलांटिक संधि (जिसे वाशिंगटन संधि भी कहा जाता है) द्वारा स्थापित एक सैन्य गठबंधन है।
  • वर्तमान में इसमें 30 सदस्य देश शामिल हैं।
    • इसके मूल सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्राँस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे।
    • मूल हस्ताक्षरकर्त्ताओं में शामिल थे- ग्रीस और तुर्की (1952), पश्चिम जर्मनी (1955, 1990 से जर्मनी के रूप में), स्पेन (1982), चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड (1999), बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया तथा स्लोवेनिया (2004), अल्बानिया एवं क्रोएशिया (2009), मोंटेनेग्रो (2017) व नॉर्थ मैसेडोनिया (2020)।
    • फ्राँस वर्ष 1966 में नाटो की एकीकृत सैन्य कमान से अलग हो गया लेकिन संगठन का सदस्य बना रहा, इसने वर्ष 2009 में नाटो की सैन्य कमान में अपनी स्थिति पुनः दर्ज की।
  • मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
  • एलाइड कमांड ऑपरेशंस का मुख्यालय: मॉन्स, बेल्जियम। 

NATO के उद्देश्य: 

  • नाटो का मूल और स्थायी उद्देश्य राजनीतिक एवं सैन्य साधनों द्वारा अपने सभी सदस्यों की स्वतंत्रता तथा सुरक्षा की गारंटी प्रदान करना है।
    • राजनीतिक उद्देश्य: नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है और सदस्य देशों को समस्याओं को हल करने, आपसी विश्वास कायम करने तथा दीर्घावधि में संघर्ष को रोकने के लिये रक्षा एवं सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर परामर्श व सहयोग करने में सक्षम बनाता है।
    • सैन्य उद्देश्य: नाटो विवादों के शांतिपूर्ण समाधान हेतु प्रतिबद्ध है। राजनयिक प्रयास विफल होने की स्थिति में इसके पास संकट-प्रबंधन हेतु अभियान चलाने के लिये सैन्य शक्ति मौजूद है।
      • ये ऑपरेशन नाटो की संस्थापक संधि के सामूहिक रक्षा खंड- वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 या संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत अकेले या अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किये जाते हैं।
      • अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए 9/11 के हमलों के बाद नाटो ने अनुच्छेद 5 को केवल एक बार 12 सितंबर, 2001 को लागू किया है।

आगे की राह 

  • जैसे ही फिनलैंड नाटो में शामिल होता है, रूस-फिनलैंड सीमा पर और अधिक संख्या में रूसी सैनिकों की तैनाती करनी पड़ सकती है।
  • फिनलैंड और रूस 1,300 किमी. की सीमा साझा करते हैं तथा फिनलैंड (और संभावित रूप से स्वीडन की भी) की नाटो सदस्यता के खिलाफ रूस की कार्रवाई फिनलैंड तथा संभावित रूप से स्वीडन की सीमा पर सैन्य तैनाती पर निर्भर हो सकती है।
  • हो सकता है फिनलैंड के लोग तत्काल सैन्य नियोजन का विकल्प न चुनें और अपनी नाटो सदस्यता का उपयोग वे संभवतः रूस के लिये एक संकेत के रूप में करना चाहते हैं, लेकिन यदि वे लगातार खतरा महसूस करते हैं, तो संपूर्ण सैन्य नियोजन का विकल्प भी चुन सकते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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