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डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन

  • 24 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

परम प्रवेग, सुपरकंप्यूटर, नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन, नेशनल नॉलेज नेटवर्क (NKN)।

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन, सूचना प्रोद्योगिकी और कंप्यूटर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) ने सुपरकंप्यूटर 'परम प्रवेग' स्थापित किया। इसकी सुपरकंप्यूटिंग क्षमता 3.3 पेटाफ्लॉप्स है।

  • इसे सरकार के राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत स्थापित किया गया है।
  • राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन का उद्देश्य शक्तिशाली कंप्यूटरों के विकास और निर्माण का स्वदेशीकरण करना है।

सुपरकंप्यूटर क्या है?

  • सुपरकंप्यूटर एक ऐसा कंप्यूटर है, जो वर्तमान में किसी भी कंप्यूटर की उच्चतम परिचालन दर के आसपास या उससे अधिक गति से कार्य करता है।
  • ‘पेटाफ्लॉप्स’ (PETAFLOP) एक सुपरकंप्यूटर की प्रसंस्करण गति का माप है और इसे प्रति सेकंड एक हज़ार ट्रिलिय’न फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशन के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
    • FLOPS (फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकंड) का उपयोग आमतौर पर कंप्यूटर के प्रोसेसर के प्रदर्शन को मापने के लिये किया जाता है।
    • फ्लोटिंग-पॉइंट एन्कोडिंग का उपयोग करके बहुत लंबी संख्याओं को अपेक्षाकृत आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • इसका उपयोग सामान्यत: ऐसे वैज्ञानिक तथा अभियांत्रिकी अनुप्रयोगों हेतु किया जाता है जो वृहद डेटाबेस के नियंत्रण अथवा बड़ी मात्रा में संगणात्मक (या दोनों) कार्यों में संलग्न होते हैं। 
    • जैसे- मौसम पूर्वानुमान, जलवायु मोडलिंग, बायोलॉजी, परमाणु ऊर्जा सिमुलेशन, बिग डेटा विश्लेषण, आपदा सिमुलेशन और प्रबंधन आदि।
  • विश्व स्तर पर चीन के पास सर्वाधिक सुपरकंप्यूटर हैं और यह दुनिया में शीर्ष स्थान पर है, इसके बाद अमेरिका, जापान, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड और यूनाइटेड किंगडम का स्थान है।
  • भारत का पहला सुपरकंप्यूटर परम 8000 था।
  • परम शिवाय, स्वदेशी रूप से असेंबल किया गया पहला सुपरकंप्यूटर, IIT (BHU) में स्थापित किया गया था, इसके बाद IIT-खड़गपुर, IISER, पुणे, JNCASR, बंगलूरू और IIT कानपुर में क्रमशः परम शक्ति, परम ब्रह्मा, परम युक्ति, परम संगणक को स्थापित किया गया था।
  • वर्ष 2020 में परम सिद्धि, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (HPC-AI) सुपरकंप्यूटर ने दुनिया के शीर्ष 500 सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर सिस्टम में 62वें स्थान पर वैश्विक रैंकिंग हासिल की।

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन:

  • मार्च 2015 में सात वर्षों की अवधि (वर्ष 2015-2022) के लिये 4,500 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से ‘राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ की घोषणा की गई थी। इस मिशन के अंतर्गत 70 से अधिक उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटरस के माध्यम से एक विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड स्थापित कर देश भर के राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों और R&D संस्थाओं को सशक्त बनाने की परिकल्पना की गई है।
    • NKN परियोजना का उद्देश्य एक मज़बूत भारतीय नेटवर्क स्थापित करना है जो सुरक्षित और विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करने में सक्षम होगा।
  • यह मिशन सरकार के 'डिजिटल इंडिया' और 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
  • मिशन को संयुक्त रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
    • इसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC), पुणे और आईआईएससी, बंगलूरू द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • मिशन की योजना तीन चरणों में बनाई गई थी:
    • चरण I- इसमें सुपर कंप्यूटरों को असेंबल करना शामिल है।
    • चरण II- देश के भीतर कुछ घटकों के निर्माण पर विचार करना।
    • चरण III- इसके अंतर्गत सुपरकंप्यूटर भारत द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
  • इस पायलट सिस्टम में 'रुद्र' नामक एक स्वदेशी रूप से विकसित सर्वर प्लेटफॉर्म का परीक्षण किया जा रहा है, जिसमें त्रिनेत्र नामक इंटर-नोड संचार भी विकसित किया गया है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस



डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन

  • 17 Dec 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


तीन वर्षों से अधिक की देरी के बाद हाल ही में भारत ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission) के तहत 70 से अधिक सुपर कंप्यूटर बनाने के लिये फ्रांसीसी प्रौद्योगिकी फर्म अटोस (Atos)के साथ 4,500 करोड़ रूपए का अनुबंध किया है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस अनुबंध को प्राप्त करने के लिये अटोस, लेनोवो, एचपी और नेटवेब टेक्नोलॉज़ी के मध्य प्रतिस्पर्द्धा थी।
  • इस अनुबंध द्वारा भारत में 73 सुपर कंप्यूटर डिज़ाइन और निर्मित किये जाने की संभावना है जिसकी बदौलत भारत की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
  • इस अनुबंध के तहत फ्राँस की कंपनी अटोस भारत में सुपर कंप्यूटर निर्माण की दिशा में काम करेगी।
  • गौरतलब है कि देश में उच्च क्षमता वाली 70 से भी अधिक सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं से युक्त विभिन्न शैक्षणिक और शोध संस्थानों का नेटवर्क बनाया जाएगा।

क्या है राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन?

  • 25 मार्च, 2015 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को मंज़ूरी दी थी।
  • संचार और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास, वैश्विक प्रौद्योगिकी के रुझानों और बढ़ती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को मंज़ूरी दी थी।
  • इस मिशन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग कार्यान्वित कर रहे हैं।
  • सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में कार्यकलापों को शुरु करने के लिये 2014-15 में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के लिये 42.50 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया था।
  • ये नए सुपर कंप्यूटर न केवल सरकार की ई-प्रशासन नीति को बेहतर बनाएंगे बल्कि यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को भी आम जनता तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • ये सुपर कंप्यूटर विभिन्न मंत्रालयों, वैज्ञानिकों व शोध करने वाले संस्थानों के काम आएंगे। इनका उपयोग वाहन बनाने से लेकर नई दवाओं के निर्माण, ऊर्जा के स्रोत तलाशने व जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों में किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम के तहत भारत को विश्व स्तरीय कम्प्यूटिंग शक्ति बनाना है।
  • भारत के पास लगभग 30 सुपर कंप्यूटर हैं जिनमें से अधिकांश उच्च अधिगम वाले संस्थानों, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, आईआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं जैसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, सी-डैक सीएआईआर-चतुर्थ प्रतिमान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम रेंज मौसम पूर्वानुमान केंद्र आदि में स्थित हैं।
  • सुपरकंप्यूटिंग मिशन के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भारत की गिनती अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे सुपरकंप्यूटर से संपन्न देशों में होगी।

परियोजना में देरी क्यों?

  • अलग-अलग मंत्रालयों की मिलकर काम करने में उत्पन्न चुनौतियों के साथ-साथ वित्त की कमी, इस परियोजना के शुरू होने में तीन साल की देरी की वज़ह रही।

कहाँ लगेंगे ये सुपर कंप्यूटर?

  • पहले तीन सुपर कंप्यूटर आईआईटी बीएचयू, आईआईटी खड़गपुर और आईआईआईटीएम पुणे में स्थापित किये जाएंगे। आईआईटी बीएचयू को एक पेटा फ्लॉप सुपर कंप्यूटर मिलेगा, जबकि अन्य दो संस्थानों को 650 टेरा फ्लॉप सुपर कंप्यूटर मिलेंगे।
  • C-DAC सभी सुपर कंप्यूटर को एक सामान्य ग्रिड से जोड़ने की योजना बना रहा है, जो किसी भी संस्थान को सुपरकंप्यूटिंग पावर तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करेगा जिससे यह दुनिया की सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटिंग प्रणाली बन जाएगी।

स्रोत- बिज़नेस लाइन

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