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डेली न्यूज़

भारतीय राजव्यवस्था

धन्यवाद प्रस्ताव

  • 04 Feb 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संसद में प्रस्ताव, पेगासस स्पाइवेयर, कोविड-19 महामारी।

मेन्स के लिये:

संसद, संसद में प्रस्ताव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति के अभिभाषण के ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ में संशोधन प्रस्तावित किये गए (हालाँकि वे पारित नहीं हुए)।

  • संशोधन प्रस्ताव के तहत सरकार द्वारा पेगासस स्पाइवेयर के कथित उपयोग और कोविड-19 महामारी से निपटने हेतु सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया गया था।

धन्यवाद प्रस्ताव:

  • अनुच्छेद 87 में राष्ट्रपति के लिये विशेष संबोधन का प्रावधान किया गया है।
  • इस अनुच्छेद में प्रावधान है कि लोकसभा के प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र के प्रारंभ में राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को एक साथ संबोधित करेगा और संसद को  सत्र आहूत करने के कारणों के बारे में सूचित करेगा।
  • इस तरह के संबोधन को 'विशेष संबोधन' कहा जाता है और यह एक वार्षिक विशेषता भी है।
  • इस संबोधन के लिये संसद के दोनों सदनों का एक साथ एकत्र होना आवश्यक है।

राष्ट्रपति का अभिभाषण:

  • राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की नीति का विवरण होता है और प्रायः इस अभिभाषण का प्रारूप सरकार द्वारा ही तैयार किया जाता है।
  • यह संबोधन पिछले वर्ष के दौरान सरकार की विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा प्रस्तुत करता है तथा उन नीतियों, परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों को निर्धारित किया जाता है जिन्हें सरकार महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के संबंध में आगे बढ़ाने की इच्छा रखती है।
  • यह अभिभाषण व्यापक रूप में उन विधायी कार्यों को भी इंगित करता है, जिन्हें उस विशिष्ट वर्ष में आयोजित होने वाले सत्रों के दौरान लाने का प्रस्ताव किया जाना है।
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण, जो 'ब्रिटेन राजशाही/राज-सिंहासन के भाषण' (Speech From The Throne in Britain) से मेल खाता है, पर संसद के दोनों सदनों में 'धन्यवाद प्रस्ताव' (Motion of Thanks) पर चर्चा की जाती है।
  • यदि किसी भी संशोधन को सदन के समक्ष रखा जाता है तथा स्वीकार किया जाता है तो धन्यवाद प्रस्ताव संशोधित रूप में स्वीकार किया जाता है।
    • संशोधन अभिभाषण में निहित मामलों के साथ-साथ उन मामलों को भी संदर्भित कर सकते हैं जिनका सदस्य की राय में अभिभाषण उल्लेख करने में विफल रहा है।
  • चर्चा के अंत में प्रस्ताव को मतदान के लिये रखा जाता है।

धन्यवाद प्रस्ताव का महत्त्व:

  • धन्यवाद प्रस्ताव सदन में पारित होना चाहिये, नहीं तो यह सरकार की हार मानी जाएगी। यह उन तरीकों में से एक है जिसके माध्यम से लोकसभा में सरकार अविश्वास में आ सकती है। अन्य तरीके हैं:
    • धन विधेयक की अस्वीकृति।
    • निंदा प्रस्ताव या स्थगन प्रस्ताव पारित करना।
    • एक अहम मुद्दे पर सरकार की हार।
    • कटौती प्रस्ताव पारित करना।

भारतीय संसद में अन्य प्रस्ताव:

विशेषाधिकार प्रस्ताव:

  • इसे एक सदस्य द्वारा तब पेश किया जाता है जब उसे लगता है कि किसी मंत्री ने किसी मामले के तथ्यों को रोककर या गलत या विकृत तथ्य देकर सदन या उसके एक या अधिक सदस्यों के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य संबंधित मंत्री की निंदा करना है।
  • इसे राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

निंदा प्रस्ताव:

  • लोकसभा में इसे स्वीकार करने का कारण बताना अनिवार्य है। इसे एक मंत्री या मंत्रियों के समूह या पूरी मंत्रिपरिषद के खिलाफ प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • इसे विशिष्ट नीतियों और कार्यों के लिये मंत्रिपरिषद की निंदा करने हेतु स्थानांतरित किया जाता है। इसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव:

  • यह संसद में किसी सदस्य द्वारा तत्काल सार्वजनिक महत्त्व के मामले पर एक मंत्री का ध्यान आकर्षित करने और उस मामले पर एक आधिकारिक बयान के लिये प्रस्तुत किया जाता है।
  • इसे राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

स्थगन प्रस्ताव:  

  • इसे लोकसभा में हाल के किसी अविलंबनीय लोक महत्त्व के परिभाषित मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रस्तुत किया जाता है। इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का एक तत्त्व शामिल होता है।
  • इसे केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

अनियत दिवस प्रस्ताव:

  • यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया हो लेकिन इस पर चर्चा के लिये कोई तारीख तय नहीं की गई हो।
  • इसे राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जा सकता है। 

अविश्वास प्रस्ताव:

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-75 में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है, अर्थात् इस सदन में बहुमत हासिल होने पर ही मंत्रिपरिषद बनी रह सकती है। इसके खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिये 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। 
  • इसे केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

कटौती प्रस्ताव:

  • कटौती प्रस्ताव लोकसभा के सदस्यों को प्राप्त एक विशेष शक्ति है जो अनुदान मांग के हिस्से के रूप में वित्त विधेयक में सरकार द्वारा विशिष्ट आवंटन के लिये चर्चा की जा रही मांग का विरोध करती है।
  • यदि प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह अविश्वास प्रस्ताव के समान होगा और यदि सरकार निम्न सदन में बहुमत सिद्ध करने में विफल रहती है, तो वह सदन के मानदंडों के अनुसार इस्तीफा देने के लिये बाध्य होगी।
  • निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से मांग में कटौती करने के लिये एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है:
    • नीति कटौती प्रस्ताव: इसके अंतर्गत बजट में मंत्रालय के लिये प्रस्तावित अनुदान को घटाकर एक रुपए करने की मांग की जाती है।
    • अर्थव्यवस्था में कटौती का प्रस्ताव: इसे इस तरह से पेश किया जाता है कि मांग की राशि एक निर्दिष्ट राशि से कम हो।
    • टोकन कटौती प्रस्ताव: इसके अंतर्गत सदस्य किसी मंत्रालय की अनुदान मांगों में से 100 रुपए की टोकन कटौती का प्रस्ताव करते हैं। सरकार से कोई विशेष शिकायत होने पर भी सदस्य ऐसा करते हैं।
  • इसे केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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