लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

प्रौद्योगिकी

चाँद का एटकेन क्रेटर

  • 14 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में एक विसंगति की खोज की है, जिसकी वजह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एटकेन (पूरे सौर मंडल में मौजूद सबसे बड़ा संरक्षित क्रेटर) के नीचे मैन्टल (Mantle) में भारी मात्रा में धातु की मौजूदगी 

विसंगति की संभावित व्याख्या:  

  • इस क्रेटर का निर्माण करने वाले क्षुद्रग्रह से निष्काषित धातुएँ अभी भी चंद्रमा की सतह में गहराई में प्रवेश करने के बजाय चंद्रमा के मेंटल में अंतर्निहित है। इसमें एस्टेरॉयड के धात्विक तत्त्व हो सकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा ऐसी आंशका व्यक्त की जा रही हैं कि यह एस्टेरॉयड अथवा क्षुद्रग्रह कभी चंद्रमा से टकराया होगा जिसके कारण इस क्रेटर का निर्माण हुआ।
  • एक अन्य संभावना यह भी हो सकती है कि यह घने ऑक्साइड के साथ चंद्रमा के मैग्मा की जमी हुई अंतिम अ‍व‍स्था का एक महासागर हो जिसके सम्मिश्रण से इस विशाल पिंड का निर्माण हुआ होगा। यह चंद्रमा का सबसे बड़ा संरक्षित क्रेटर है।
  • यह नई परिकल्पना नासा के ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) और लूनर रिकॉनेनेस ऑर्बिटर मिशन (Lunar Reconnaissance Orbiter missions) के डेटा पर आधारित है।

ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी

Gravity Recovery and Interior Laboratory (GRAIL)

ग्रेविटी रिकवरी और इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) एक दोहरा अंतरिक्ष यान मिशन था, जिसमें चंद्रमा की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिये इसके चारों ओर की कक्षा में दो समान स्पेसक्राफ्ट (क्रमशः "Ebb" और "Flow" को GRAIL-A और GRAIL-B के नाम से) शामिल किया गया था।

  • नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम (NASA’s Discovery Program) के तहत वर्ष 2011 में इस मिशन को लॉन्च किया गया था।
  • वर्ष 1992 में शुरू हुए नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम का लक्ष्य कम संसाधनों और कम विकास के समय का उपयोग करके छोटे मिशन को शुरू करके उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करना है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य ग्रहों, उनके चंद्रमाओं और छोटे पिंडों जैसे धूमकेतु एवं क्षुद्रग्रहों की खोज करके सौर प्रणाली की हमारी समझ को बढ़ाना है।

लूनर रेकांनैस्संस ऑर्बिटर  (Lunar Reconnaissance Orbitor-LRO)

LRO भविष्य में चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मानवयुक्त मिशन की तैयारी की दिशा में लूनर प्रीकर्सर एंड रोबोटिक प्रोग्राम (Lunar precursor and Robotic program-LPRP) के अंतर्गत चंद्रमा के लिये शुरू किया नासा का एक मिशन है।

उद्देश्य:

  • चंद्रमा पर संभावित संसाधनों की पहचान करना।
  • चन्द्र की सतह के विस्तृत नक्शे एकत्र करना।
  • चंद्रमा के विकिरण स्तरों पर आँकड़े एकत्र करना।
  • उन संसाधनों के लिये चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों (Polar regions) का अध्ययन करना जो भविष्य के मानवयुक्त मिशन या रोबोटिक सैंपल रिटर्न मिशन (Robotic Sample Return Mission) में इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
  • भविष्य के रोबोटिक एक्सप्लोरर्स (Robotic Explorers), ह्यूमन लूनर लैंडिंग साइटों (Human Lunar Landing Sites) को चिह्नित करने तथा भविष्य की  चन्द्र मानव अन्वेषण प्रणाली (human exploration of the Moon) हेतु उपयोग किये जा सकने वाले उपायों/तकनीकियों को ग्रहण करने के लिये मानक तय करना।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2