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डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर राज्यों द्वारा दंडात्मक कार्रवाई

  • 04 Apr 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के प्रभाव, COVID-19 पर नियंत्रण हेतु सरकार के प्रयास  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश सभी राज्यों को लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले लोगों पर भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) और आपदा प्रबंधन अधिनियम (Disaster Management Act), 2005 के तहत कार्रवाई करने को कहा है। 

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा यह फैसला देश के कई राज्यों में कोरोनावायरस की जाँच कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मार-पीट के मामलों को देखने के बाद लिया गया है।
  • केंद्रीय गृह सचिव द्वारा राज्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा कि 24 मार्च, 2020 को जारी लॉकडाउन निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि इन निर्देशों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 और 60 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
  • साथ ही नागरिकों तथा सरकारी अधिकारियों को इस संदर्भ में जानकारी देने के लिये इन कानूनों के तहत दंडात्मक प्रावधानों का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये। 
  • साथ ही केंद्रीय गृह सचिव ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana or PM-GKY) के तहत सहायता राशि के वितरण, भीड़ न लगने और सोशल डिसटेंसिंग(Social Distancing) बनाए रखने, बैंकों और व्यापारिक केंद्रों पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती आदि के संबंध में वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बारे में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में ज़िला एवं ज़मीनी स्तर पर कार्यरत संस्थाओं को विस्तृत जानकारी उपलब्ध करने को कहा। 
  • केंद्रीय गृह सचिव ने PM-GKY के तहत लाभार्तियों को निर्बाध रूप से सहायता राशि के वितरण के लिये ज़िला स्तरीय और अन्य अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने तथा इसके लिये की गई कार्रवाई की एक रिपोर्ट गृह-मंत्रालय को भेजने का निर्देश दिया।    
  • ध्यातव्य है कि 24 मार्च, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा देश में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिये देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। 

कानूनी प्रावधान:

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 188:  भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत में दो प्रकार के अपराधों और इस संबंध में दंडात्मक कार्रवाई की व्याख्या की गई है:
    1. किसी अधिकारी द्वारा लागू विधि पूर्वक आदेशों के उल्लंघन करना और यदि आदेश के उल्लंघन से सरकार द्वारा नियोजित अधिकारी को चोट पहुँचती है या उसके काम में बाधा आती है, तो ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ इस कानूनी प्रावधान के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
      सजा: ऐसे मामलों में अपराध सिद्ध होने पर अपराधी को 1 महीने का कारावास या 200 रुपए का ज़ुर्माना या दोनों हो सकता है।
    2. यदि आदेश के उल्लंघन से किसी व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य आदि को खतरा हो।
      सजा:  ऐसे मामलों में अपराध सिद्ध होने पर अपराधी को 6 महीने का कारावास या 1000 रुपए का ज़ुर्माना या दोनों हो सकता है।    

हालाँकि विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में तभी सजा दी जा सकती है जब यह प्रमाणित किया जा सके कि आरोपी ने जानबूझ कर आदेशों का उल्लंघन किया है।    

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 के तहत दो प्रकार के अपराधों और इस संबंध में दंडात्मक कार्रवाई की व्याख्या की गई है:

  1. इस अधिनियम के तहत कार्य कर रहे केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी अधिकारी या कर्मचारी अथवा राष्ट्रीय प्राधिकरण या राज्य प्राधिकरण अथवा ज़िला प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के कार्य में बाधा डालना।  
  2. इस अधिनियम के अधीन केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या ज़िला प्राधिकरण द्वारा या उसकी और से दिये गए किसी निर्देश का पालन करने से इनकार करना। 
    सजा: 
    • ऐसे मामलों में अपराध सिद्ध होने पर अपराधी को एक वर्ष का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है।    
    • यदि किसी आरोपी द्वारा निर्देशों के उल्लंघन या कार्य में बाधा डालने की कार्रवाई से किसी व्यक्ति के जीवन को खतरा हो या उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसे मामलों में अपराधी को दो वर्ष कारावास की सजा हो सकती है। 

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 52 के तहत:  यदि कोई व्यक्ति आपदा की स्थिति में सरकार की योजनाओं के तहत राहत, सहायता, मरम्मत या अन्य लाभ प्राप्त करने के लिये गलत सूचना देता है (जिसके गलत होने के बारे में उसे पता हो या उसके पास विश्वास करने के कारण हों कि सूचना गलत है)।  ऐसे मामलों में अपराध सिद्ध होने पर दो वर्ष तक का कारावास और जुर्माना हो सकता है।  

निष्कर्ष: 

वर्तमान में COVID-19 के किसी प्रमाणिक उपचार के अभाव में इस बीमारी के प्रसार को रोकना ही इससे निपटने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है, ऐसे में नागरिकों को सरकार के निर्देशों का पालन कर इस बीमारी से लड़ने में अपना योगदान देना चाहिये। COVID-19 के कारण विश्व भर में अर्तव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़े हैं और बेरोज़गारी में भी बड़ी मात्रा वृद्धि हुई है, सरकार द्वारा आर्थिक चुनौती का सामना कर रहे लोगों को PM-GKY के माध्यम से आवश्यक सहायता उपलब्ध कराना एक सराहनीय कदम है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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