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डेली न्यूज़


भारतीय इतिहास

महावीर जयंती

  • 14 Apr 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भगवान महावीर, जैन धर्म।

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, प्राचीन भारतीय इतिहास।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भगवान महावीर के उपदेशों विशेष रूप से शांति, करुणा और भाईचारे पर ज़ोर देते हुए लोगों को महावीर जयंती की बधाई दी है।

महावीर जयंती:

  • महावीर जयंती के बारे में:
    • महावीर जयंती जैन धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है।
    • महावीर जयंती वर्धमान महावीर (Vardhamana Mahavira) के जन्म का प्रतीक है। वर्धमान महावीर जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर थे जो 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ (Parshvanatha) के उत्तराधिकारी थे।
    • जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म चैत्र महीने में अर्द्धचंद्र के 13वें दिन हुआ था।
      • ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन प्रायः मार्च या अप्रैल माह में आता है।
    • इस दिन भगवान महावीर की मूर्ति के साथ एक जुलूस यात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसे ‘रथ यात्रा’ (Rath Yatra) कहा जाता है।
    • स्तवन या जैन प्रार्थनाओं (Stavans or Jain Prayers) के साथ भगवान की प्रतिमाओं को औपचारिक स्नान कराया जाता है, जिसे ‘अभिषेक’ (Abhishek) कहा जाता है।
  • भगवान महावीर:
    • भगवान महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व में ‘वज्जि साम्राज्य’ में कुंडग्राम के राजा सिद्धार्थ और लिच्छवी राजकुमारी त्रिशला के यहाँ हुआ था। वज्जि संघ आधुनिक बिहार में वैशाली क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
    • भगवान महावीर ‘इक्ष्वाकु वंश’ (Ikshvaku dynasty) से संबंधित थे।
    • ऐसे कई इतिहासकार हैं जो मानते हैं कि उनका जन्म अहल्या भूमि नामक स्थान पर हुआ था।
    • बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान था यानी ‘जो बढ़ता है’।
    • उन्होंने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन को त्याग दिया और 42 वर्ष की आयु में उन्हें 'कैवल्य' यानी सर्वज्ञान की प्राप्ति हुई।
    • महावीर ने अपने शिष्यों को अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (शुद्धता) तथा अपरिग्रह (अनासक्ति) का पालन करने की शिक्षा दी और उनकी शिक्षाओं को ‘जैन आगम’ (Jain Agamas) कहा गया।
    • प्राकृत भाषा के प्रयोग के कारण प्रायः आम जनमानस भी महावीर और उनके अनुयायियों की शिक्षाओं एवं उपदेशों को समझने में समर्थ थे।
    • महावीर को बिहार में आधुनिक राजगीर के पास पावापुरी नामक स्थान पर 468 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में निर्वाण (जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) प्राप्त हुआ।

जैन धर्म:

  • जैन शब्द की उत्पत्ति ‘जिन’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ‘विजेता’।
  • ‘तीर्थंकर’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका प्रयोग संसार सागर से पार लगाने वाले ‘तीर्थ’ के प्रवर्तक के लिये किया जाता है।
  • जैन धर्म में अहिंसा को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।
  • यह 5 महाव्रतों (5 महान प्रतिज्ञाओं) का प्रचार करता है:
    • अहिंसा
    • सत्य
    • अस्तेय (चोरी न करना)
    • अपरिग्रह (अनासक्ति)
    • ब्रह्मचर्य (शुद्धता)
  • इन 5 शिक्षाओं में ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य/शुद्धता) को महावीर द्वारा जोड़ा गया था।
  • जैन धर्म के तीन रत्नों या त्रिरत्न में शामिल हैं:
    • सम्यक दर्शन (सही विश्वास)।
    • सम्यक ज्ञान (सही ज्ञान)।
    • सम्यक चरित्र (सही आचरण)।
  • जैन धर्म अपनी सहायता स्वयं ही करने पर बल देता है।
    • इसके अनुसार, कोई देवता या आध्यात्मिक प्राणी नहीं हैं, जो मनुष्य की सहायता करेंगे।
    • यह वर्ण व्यवस्था की निंदा नहीं करता है।
  • बाद के समय में यह दो संप्रदायों में विभाजित हो गया:
    • स्थलबाहु के नेतृत्व में ‘श्वेतांबर’ (श्वेत-पाद)।
    • भद्रबाहु के नेतृत्व में ‘दिगंबर’ (आकाश-मंडल)
  • जैन धर्म में महत्त्वपूर्ण विचार यह है कि संपूर्ण विश्व सजीव है: यहाँ तक कि पत्थरों, चट्टानों और जल में भी जीवन है।
  • जीवित प्राणियों, विशेष रूप से मनुष्यों, जानवरों, पौधों और कीटों के प्रति अहिंसा का भाव जैन दर्शन का केंद्र बिंदु है।
  • जैन शिक्षाओं के अनुसार, जन्म और पुनर्जन्म का चक्र कर्मों से निर्धारित होता है।
  • कर्म के चक्र से स्वयं और आत्मा की मुक्ति के लिये तपस्या एवं त्याग की आवश्यकता होती है।
  • ‘संथारा’ जैन धर्म का एक अभिन्न हिस्सा है।
  • यह आमरण अनशन की एक अनुष्ठान विधि है। श्वेतांबर जैन इसे ‘संथारा’ कहते हैं, जबकि दिगंबर इसे ‘सल्लेखना’ कहते हैं।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. भारत में धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में "स्थानकवासी" संप्रदाय का संबंध है: (2018)

(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) वैष्णववाद
(d) शैववाद

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. सौत्रन्तिक और सम्मितीय जैन मत के सम्प्रदाय थे।
  2. सर्वास्तिवादियों की मान्यता थी कि दृग्विषय (फिनोमिया) के अवश्व पूर्णतः क्षणिक नहीं हैं, अपितु अव्यक्त रूप में सदैव विद्यमान रहते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित मे से कौन-सा/से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे?

  1. तप और भोग की अति का पारिहार
  2. वेद-प्रमाण्य के प्रति अनास्था
  3. कर्मकाण्डों की फलवत्ता का निषेघ

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका एक प्रमुख सिद्धांत और दर्शन है? (2009)

(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) सिख धर्म
(d) वैष्णववाद

उत्तर: (b)

स्रोत: पी.आई.बी.

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