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कणिका पदार्थ प्रदूषण

  • 30 Jan 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कणकीय पदार्थ प्रदूषण

मेन्स के लिये:

लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ (Lancet Planetary Health) रिपोर्ट के अनुसार सूक्ष्म कणिका पदार्थ प्रदूषण (Low Particulate Matter Pollution) की मात्रा में हुई सूक्ष्म वृद्धि हृदय (Heart) के लिये हानिकारक/घातक हो सकती है।

मुख्य बिंदु:

  • लैंसेट द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, PM2.5 (Particulate Matter-PM) की मात्रा में प्रति 10,g/m3 सूक्ष्म कणिका पदार्थ की वृद्धि के साथ कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) का खतरा 1 से 4% तक बढ़ जाता है। सूक्ष्म कणिका पदार्थों में यह वृद्धि साँस एवं हृदय संबंधी बीमारियों से संबंधित है।
  • रिपोर्ट के अनुसार वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के बावजूद वायु प्रदूषण का कोई भी स्तर कार्डियक अरेस्ट के लिये सुरक्षित नहीं है।
  • लैंसेट द्वारा इस अध्ययन को जापान में किया गया क्योंकि जापान में इस तरह के अध्ययन के लिये सबसे बड़ा अनुसंधान केंद्र है।
  • अध्ययन के लिये कार्डियक अरेस्ट और PM 2.5, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड(NO2) और सल्फर डाइऑक्साइड(SO2) एक्सपोज़र को एक साथ सहसंबद्ध किया गया था।
  • रिपोर्ट जारी किये जाने से एक दिन पहले और तीन दिन बाद तक के प्रदूषण के स्तर को अध्ययन में शामिल किया गया।

इस संदर्भ में WHO के मानक:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) द्वारा कार्डियक ईवेंट के संबंध में 1 जनवरी, 2014 से 31 दिसंबर, 2015 के मध्य एक विश्लेषण किया गया।
  • अध्ययन हेतु वैज्ञानिकों द्वारा जापान को चुना गया और यहाँ हृदय आघातों (कार्डियक अरेस्ट) एवं प्रदूषक के स्तर की निरंतर एवं विस्तृत माप एक साथ की गई थी।
  • इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों के भीतर या निर्धारित मानकों से कम स्तर पर हृदय रोगों के मामलों और प्रदूषण स्तर के बीच संबंध का पता लगाना था।
  • रिपोर्ट में 90% से अधिक हृदय आघात का कारण PM 2.5 का कम स्तर था। रिपोर्ट के अनुसार, वृद्ध लोग ह्रदय आघात के प्रति अधिक संवेदनशील थे।
  • हृदय आघात से प्रभावित लोगों की औसत आयु 74 वर्ष थी जिनमे 57% पुरुष शामिल थे।

भारत के संदर्भ में:

  • स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान (HEI) द्वारा प्रकाशित स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 के अनुसार भारत में वर्ष 2017 में 1.2 मिलियन से अधिक मौतों का कारण आउटडोर और इनडोर वायु प्रदूषण है।
  • भारत में वायु प्रदूषण सभी स्वास्थ्य जोखिमों में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है जिसका स्थान धूम्रपान से ठीक पहले है।

कणकीय पदार्थ प्रदूषण-

ये अपने आकार के आधार पर कई प्रकार के होते है जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं-

  • एरोसोल (Aerosole)
  • धूम्र एवं कालिख (Fume and Soots)
  • धूलि/PM (Particulate Matter)
  • फ्लाई ऐश (Fly Ash)
  • निलंबित कणकीय पदार्थ (Suspended Particulate Matter-SPM) इत्यादि

स्रोत: द हिंदू

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