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लोकसभा ने मणिपुर में खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये विधेयक पारित किया

  • 04 Aug 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

खेल शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित एक विधेयक हाल ही में लोकसभा में ध्वनि-मत से पारित कर दिया गया। राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक (SPORTS BILL) , 2018, 31 मई को जारी एक अध्यादेश को प्रतिस्थापित करेगा। यह विधेयक पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था  लेकिन इसे पारित नहीं किया जा सका था।

प्रमुख बिंदु  

  • खेल प्रशिक्षण और शोध को बढ़ावा देने के लिये 524 करोड़ रुपए की लागत से मणिपुर में खेल विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।
  • विधेयक को इससे पहले लोकसभा में अगस्त 2017 में पेश किया गया था, लेकिन इसे पारित नहीं किया जा सका था। इसलिये सरकार को एक अन्य अध्यादेश जारी करना पड़ा था|
  • प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद देश में खेल के विभिन्न क्षेत्रों जैसे – खेल विज्ञान, खेल प्रौद्योगिकी, उच्च प्रदर्शन प्रशिक्षण आदि में व्याप्त अंतर को समाप्त करने में सहायता मिलेगी।
  • राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक, 2018 के तहत मणिपुर खेल विश्वविद्यालय के पास संबंधित क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण-पत्र जारी करने की शक्ति होगी।

विधेयक के मुख्य प्रावधान 

  • विश्वविद्यालय का कुलपति एक खिलाड़ी को बनाया जाएगा जबकि इसकी अकादमिक परिषद में खेल से जुड़े लोग शामिल होंगे|
  • यह विधेयक मणिपुर में एक विशेष विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये लाया गया है, जो खेल विज्ञान, खेल प्रौद्योगिकी, खेल प्रबंधन और खेल प्रशिक्षण के क्षेत्रों में खेल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय होगा।
  • इसके अलावा, प्रस्तावित विश्वविद्यालय सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाकर चुनिंदा खेल विषयों के लिये राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा।
  • अन्य प्रावधानों के अलावा यह विधेयक देश भर में 'बाह्य कैंपस' स्थापित करने के लिये विश्वविद्यालय को सशक्त बनाने का प्रस्ताव करता है।
  • विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि ‘अकादमिक कार्यक्रमों और शोध के अलावा  विश्वविद्यालय और इसके बाहरी कैंपस भी उच्च श्रेणी के एथलीटों, खेल अधिकारियों, रेफरी तथा अंपायरों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे और खेल की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित होंगे|’
  • विश्वविद्यालय को विश्व स्तरीय संस्थान बनाने तथा पाठ्यक्रम, अनुसंधान सुविधाओं और प्रयोगशालाओं के विकास के लिये सरकार ने दो ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों- कैनबरा विश्वविद्यालय और विक्टोरिया विश्वविद्यालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं|

खिलाड़ियों को दी जाएगी सभी प्रकार की मदद

  • देश के सभी पदक विजेताओं को राष्ट्रीय खेल विकास कोष से आर्थिक मदद प्रदान की गई है, इस कोष में सभी नागरिक योगदान दे सकते हैं।
  • सरकार द्वारा खिलाड़ियों के भोजन और अन्य विभिन्न खर्चों के लिये भत्ते के अलावा मासिक वेतन भी प्रदान किया गया है। सरकार ने खेल प्रशिक्षकों के वेतन में भी वृद्धि की है।
  • खेल टूर्नामेंट द्वारा युवा प्रतिभाओं का पता लगाने के लिये एक मंच प्रदान किया गया है और ऐसे कार्यक्रमों को व्यवस्थित करने हेतु सांसदों के लिये एक विशेष निधि तय होनी चाहिये।

खेल क्षेत्र में काफी कुछ किये जाने की ज़रूरत 

  • 1928 से लेकर 1980 के बीच  भारत को केवल आठ पदक मिले और ये सभी पदक हॉकी में प्राप्त हुए थे। ऐसा इसलिये है कि खेल संघों को आवंटित धन का उचित उपयोग नहीं किया जाता है।
  • स्कूल से ही खेल शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिये। यदि आवश्यक हो  तो चुनाव खर्चों से धन कम किया जाए और खेल पर अधिक खर्च हो क्योंकि हमारे खिलाड़ी तब तक विश्व कप नहीं जीत सकते जब तक उन्हें पर्याप्त आधारभूत संरचना नहीं मिलती|
  • भारत के पूर्वी हिस्से को सरकार ने उपेक्षित कर दिया है। खेल बजट में बड़ी वृद्धि की आवश्यकता है| भारत का खेल बजट 2,000 करोड़ रुपए का है, जबकि ब्रिटेन का खेल बजट 9,000 करोड़ रुपए तथा अमेरिका का 12,000 करोड़ रुपए का है।
  • दूरदर्शन ने केवल दो या तीन खेलों पर ध्यान केंद्रित किया है और अन्य खेलों को उपेक्षित किया है| विज्ञापन की मांग सभी खेलों के लिये की जानी चाहिये।
  • चीन ने 1993 में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की थी और वर्तमान में यहाँ 20 शीर्ष श्रेणी के खेल विश्वविद्यालय हैं। इस लिहाज से हम चीन से 25 वर्ष पीछे हैं|
  • क्रोएशिया की आबादी 40 लाख है जो उन लोगों के बराबर है जिनका नाम असम के एनआरसी में नहीं है। लेकिन क्रोएशिया ने महान फुटबॉल खिलाड़ियों को उत्पन्न किया है और हम ऐसा करने में असफल रहे|
  • हमारे देश में कार रेसिंग के लिये भी आधारभूत संरचना होनी चाहिये। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) और सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MOLAD) के फंड को स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिये भी इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिये|
  • उम्मीद है कि निकट भविष्य में देश में अधिक खेल विश्वविद्यालय स्थापित किये जाएंगे। सरकार को नई खेल नीति तैयार करनी चाहिये क्योंकि 2001 में बनाई गई खेल नीति काफी पुरानी हो चुकी है|
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