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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण

  • 23 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण, Permanent Court of Arbitration, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग मध्यस्थता नियम, 1976

मेन्स के लिये:

भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून, PCA और अंतर्राष्ट्रीय विवाद से संबंधित मुद्दे, अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने अपनी हालिया प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की है कि अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (International Arbitration Tribunal) ने 2G सेवाएँ प्रदान करने के लिये आशय पत्र (Letter Of Intent- LOI) को रद्द करने से संबंधित भारत के खिलाफ सभी दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (United Nations Commission on International Trade Law- UNCITRAL) मध्यस्थता नियम, 1976 के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा इस पर जुलाई 2019 में फैसला सुनाया गया है।
  • ध्यातव्य है कि यह कार्यवाही मध्यस्थता के स्थायी न्यायालय (Permanent Court of Arbitration- PCA) द्वारा कार्यान्वित की गई है।

विवाद में शामिल पक्ष:

  • यह दावा टेनोक होल्डिंग्स लिमिटेड (साइप्रस) (Tenoch Holdings Limited), रूसी गणराज्य के मि. मेक्सिम नाउमचेन्कों (Mr. Maxim Naumchenko) तथा मि.आंद्रे पोल्यूकटोव (Mr. Andrey Poluektov) (रूसी गणराज्य) द्वारा भारत की साइप्रस एवं रूसी संघ के साथ द्विपक्षीय निवेश संधियों (Bilateral Investment Treaties) के संदर्भ में भारत गणराज्य के खिलाफ किया गया था।
    • ध्यातव्य है कि दो देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संधियाँ एक निजी निवेशक को अपने निवेशों की सुरक्षा के लिये सरकार के खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देती हैं।

विवाद का कारण: यह विवाद भारत में पाँच दूरसंचार क्षेत्रों में 2G सेवा देने के संदर्भ में दूरसंचार लाइसेंस जारी करने संबंधी आशय पत्रों (Letter of Intent) को निरस्त किये जाने से उत्पन्न हुआ था।

  • गौरतलब है कि आशय पत्र (LOI) एक दस्तावेज़ होता है जो एक पार्टी की दूसरे के साथ व्यापार करने की प्रारंभिक प्रतिबद्धता की घोषणा करता है। व्यवसाय में इसे आमतौर पर अन्य पार्टी के लिये प्रारंभिक प्रस्ताव के रूप में उपयोग किया जाता है।

मध्यस्थता का आधार:

मध्यस्थता निम्नलिखित समझौतों को आधार बनाकर की गई थी:

  • रूसी संघ और भारत गणराज्य की सरकार के बीच निवेश और संवर्द्धन के पारस्परिक संरक्षण (Promotion and Mutual Protection of Investments) के लिये समझौता।
  • भारत सरकार और साइप्रस गणराज्य की सरकार के बीच पारस्परिक संवर्द्धन और निवेश संरक्षण (Mutual Promotion and Protection of Investments) के लिये समझौता।

अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण

  • यह स्वतंत्र और निष्पक्ष विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र गैर-सरकारी पैनल है।
  • इसमें कानूनी और व्यावहारिक विशेषज्ञता एवं ज्ञान के आधार पर नामित (अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान या एक राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा नियुक्त) तीन सदस्य शामिल होते हैं।

मध्यस्थता का स्थायी न्यायालय

(Permanent Court of Arbitration- PCA)

  • स्थापना: वर्ष 1899
  • इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में है।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो विवाद समाधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सेवा प्रदान करने और राज्यों के बीच मध्यस्थता एवं विवाद समाधान के लिये समर्पित है।
  • PCA की संगठनात्मक संरचना तीन-स्तरीय होती है जिसमें-
    • एक प्रशासनिक परिषद होती है जो नीतियों और बजट का प्रबंधन करती है।
    • एक स्वतंत्र संभावित मध्यस्थों का पैनल होता है जिसे न्यायालय के सदस्य के रूप में जाना जाता है।
    • इसके सचिवालय को अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो के रूप में जाना जाता है।)
  • PCA का एक वित्तीय सहायता कोष होता है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता या PCA द्वारा विवाद निपटान में शामिल साधनों की लागत को पूरा करने में मदद करना है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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