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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

2030 तक भारत की हरित निवेश क्षमता $3 ट्रिलियन होने की संभावना

  • 06 Dec 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि भारत में 2018 से 2030 तक जलवायु के क्षेत्र में 3 ट्रिलियन डॉलर निवेश प्राप्त करने की क्षमता है। 

प्रमुख बिंदु

  • भारत में हरित इमारत (Green Buildings) निर्माण एक ऐसा क्षेत्र साबित हो सकता है, जो सर्वाधिक निवेश को आकर्षित कर सकता है।
  • इसका कारण यह है कि 2030 तक हमें जिस प्रकार की हरित इमारतों की आवश्यकता होगी, उनमें से 70% का निर्माण किया जाना अभी शेष है। 
  • इस क्षेत्र में 20 मिलियन घर शहरी क्षेत्रों में तथा 10 मिलियन घर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए जाने की आवश्यकता है, तब जाकर सरकार के ‘2022 तक सभी के लिये घर’ के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है।
  • IFC ने यह अनुमान लगाया है कि भारत में हरित इमारत निर्माण में 1.4 ट्रिलियन डॉलर के निवेश प्राप्त करने की क्षमता विद्यमान है, जिसमें से 1.25 ट्रिलियन डॉलर का निवेश आवासीय निर्माण में तथा 228 बिलियन डॉलर का निवेश वाणिज्यिक इमारतों के निर्माण में संभावित है।
  • हरित इमारतों के अतिरिक्त इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण एक अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जो निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। 
  • हाल ही में सरकार ने भी संभावना जताई है कि 2030 में विक्रय की जाने वाली सभी नई कारें इलेक्ट्रिक होनी चाहिये।

विभिन्न क्षेत्रों में हरित निवेश की संभावना

बाधाएँ-

IFC की रिपोर्ट भारत के नवीकरणीय ऊर्जा के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की प्राप्ति में कुछ बाधाओं की भी बात करती है, जिसे नीचे दर्शाए गए रेखाचित्र से समझ सकते हैं-

तुलनात्मक अध्ययन- 

पाकिस्तान को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य देश भी हरित निवेश की संभावनाओं को प्रदर्शित कर रहे हैं।

  • बांग्लादेश- $ 172 बिलियन 
  • नेपाल -     $ 46 बिलियन
  • भूटान-      $ 42 बिलियन
  • श्रीलंका-    $ 18 बिलियन
  • मालदीव-   $ 2 बिलियन

निष्कर्ष

भारत ने पेरिस जलवायु समझौते के अंतर्गत 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को 2005 के उत्सर्जन की तुलना में 35% घटाने का संकल्प लिया है।  अतःभारत को अपने इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति के लिये विभिन्न क्षेत्रों जैसे-कृषि, ऊर्जा, अवसंरचना तथा परिवहन में बड़े निवेश की आवश्यकता होगी।

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