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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 6 दिसंबर, 2017

  • 06 Dec 2017
  • 8 min read

‘आकाश’ मिसाइल

ज़मीन से हवा में मार करने में सक्षम स्‍वदेशी तकनीक से युक्‍त ‘आकाश’ मिसाइल का आई.टी.आर. (एकीकृत टेस्ट रेंज) चांदीपुर में सफल परीक्षण किया गया। इस मिसाइल का रडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल प्रणाली के ज़रिये सभी स्‍तरों पर परीक्षण किया गया।

  • इसे डी.आर.डी.ओ. द्वारा तैयार किया गया है। 
  • इस मिसाइल को सेना में ज़मीन से हवा में कम दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल के तौर पर शामिल किया गया है। 
  • यह पहली ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसमें रेडियो तरंगों के आधार पर अपने लक्ष्य को भेदने के लिये स्वदेशी तकनीक युक्त प्रणाली का प्रयोग किया गया है। 
  • इसके सफल परीक्षण के बाद भारत ने किसी भी तरह की ज़मीन से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल बनाने की क्षमता हासिल कर ली है।

मुख्य विशेषताएँ

  • इसकी स्ट्राइक रेंज 25 किमी. है। 
  • वॉरहेड ले जाने की क्षमता 55 किलोग्राम है।
  • इससे लो, मीडियम तथा हाई एलटीट्युड पर मौजूद टारगेट पर भी निशाना साधा जा सकता है। 

आई.एस.ए. अब बना संधि आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन

गिनी द्वारा प्रस्तुत अनुमोदन के पश्चात् अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन को संधि आधारित अंतर्राष्‍ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन के रूप में परिवर्तित कर दिया है। इसका मुख्‍यालय हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा संस्‍थान के परिसर में स्‍थापित किया गया है।

  • आई.एस.ए. को भारत की पहल के बाद स्थापित किया गया था। 
  • इसकी शुरुआत पेरिस में संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु सम्‍मेलन के दौरान भारत द्वारा की गई थी। 
  • इस संगठन का उद्देश्‍य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना है। 
  • साथ ही ऐसे देश जो पूरी तरह या आंशिक तौर पर कर्क रेखा और मकर रेखा के मार्ग में अवस्थित  हैं एवं सौर ऊर्जा के मामले में समृ‍द्ध हैं, उनसे बेहतर तालमेल के ज़रिये सौर ऊर्जा की मांग पूरी करने हेतु बढ़ावा प्रदान करना है। 
  • आई.एस.ए. के समझौता प्रारूप पर अब तक 46 देशों द्वारा हस्‍ताक्षर किये जा चुके हैं, जबकि 20 देशों द्वारा अभी तक इसका अनुमोदन किया जा चुका है।

अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन

  • आई.एस.ए. के अंतरिम सचिवालय ने 25 जनवरी, 2016 से ही काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग, व्‍यापक स्‍तर पर किफायती ऋण, सौर मिनी ग्रिड की स्‍थापना, ये तीन कार्यक्रम प्रारंभ किये गए हैं। 
  • इन कार्यक्रमों का उद्देश्य सदस्‍य देशों में सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करना एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। 
  • उपरोक्त तीन मौजूदा कार्यक्रमों के अलावा आई.एस.ए. की योजना दो अन्य कार्यक्रमों को भी प्रारंभ करने की है। ये कार्यक्रम हैं- 
    ⇒ छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित किये जाने को बढ़ावा देना। 
    ⇒ सौर ऊर्जा का भंडारण
    ⇒ ई-गतिशीलता।

उद्देश्य

  • आई.एस.ए. की सदस्यता वाले देशों में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मौजूदा कार्यक्रमों और परियोजनाओं के बीच तालमेल का विकास। 
  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय प्रयासों के साथ पूर्ण सामंज्स का निर्माण।  
  • कार्यक्रम और तकनीकी विशेषज्ञता के क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग और आई.एस.ए. की सदस्यता वाले देशों के बीच तकनीकी हस्तांतरण और नवाचार हब बनाने की दिशा में यू.एन. की व्यवस्था में भागीदारी को सुगम करना।  
  • सौर ऊर्जा पर ज्ञान प्रबंधन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क और ई-पोर्टल के ज़रिये ज्ञान वितरण, सृजन और प्रबंधन के लिये समर्थन।  
  • आई.एस.ए. के संस्थागत ढाँचे के विकास को मज़बूत करने और इसकी क्षमता निर्माण के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम।

‘इंटरनेट साथी’ कार्यक्रम का होगा प्रसार

गूगल और टाटा ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से भारत में जारी ‘इंटरनेट साथी’ कार्यक्रम का विस्तार होने जा रहा है। अब गूगल भारत की ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के साथ-साथ उन्हें इंटरनेट आधारित आजीविका अथवा रोज़गार उपलब्ध करवाने की ओर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

  • गूगल इंडिया अब टाटा ट्रस्ट द्वारा निर्मित फाउंडेशन फॉर रूरल एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (फ्रेंड) के साथ मिलकर इंटरनेट साथी कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने पर काम करेगा।
  • विभिन्न कंपनियाँ और संस्थान फ्रेंड के माध्यम से इंटरनेट साथियों का प्रयोग सूचना और सेवाओं के प्रसार के लिये करेंगे।
  • इससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट साथी की आय के नए अवसर पैदा होंगे।
  • पूरे भारत में 12,000 से अधिक इंटरनेट साथियों ने स्वेच्छा से अपने गाँवों में इंटरनेट साथी कार्यक्रम के इस अगले चरण में भाग लेने के लिये हस्ताक्षर किये हैं।
  • इस कार्यक्रम की शुरुआत 2015 में हुई और इसका उद्देश्य भारत की ग्रामीण महिलाओं में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना है। 
  • साथ ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूरे भारत में 3,00,000 गाँवों तक पहुंचने और गाँवों की महिलाओं को इंटरनेट का लाभ उठाने के लिए सक्षम बनाना है।
  • कंपनी ने इस कार्यक्रम के तहत अब तक 30,000 इंटरनेट साथियों को प्रशिक्षण दिया है, जिसका प्रभाव देश में 1.2 करोड़ महिलाओं पर पड़ा है।
  • इंटरनेट साथी कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाओं का मानना है कि प्रशिक्षण के बाद उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आया है।
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