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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भूटान और बांग्लादेश के मध्य भारतीय जलमार्ग से व्यापार

  • 13 Jul 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

भूटान और बांग्लादेश के मध्य व्यापार को सहज बनाने के उद्देश्य से भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी में आवागमन के लिये एक जलमार्ग खोला है।

प्रमुख बिंदु:

  • दोनों देशों के मध्य इस जलमार्गीय व्यापार को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India-IWAI) द्वारा पूरा किया जाएगा।
  • हाल ही में ऐसी पहली नौका इसी रास्ते से रवाना भी की गई है, जिसके माध्यम से भूटान से आए क्रश्ड स्टोन (Crushed Stone) को बांग्लादेश भेजा गया है और वापसी में बांग्लादेश से आने वाले जूट और चावल को भूटान को भेजा जाएगा। यह नौका असम के धुबरी रिवरपोर्ट से बांग्लादेश के नारायणगंज के लिये रवाना हुई है।
  • यह प्रथम अवसर है जब किसी भारतीय जलमार्ग का उपयोग दो देशों के बीच माल-परिवहन के लिये पारगमन के रूप में किया जा रहा है।

ब्रह्मपुत्र नदी

  • ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पूर्व तथा सिंधु एवं सतलुज के स्रोतों के काफी समीप से निकलती है। 
  • इसकी लंबाई सिंधु से कुछ अधिक है, परंतु इसका अधिकतर मार्ग भारत से बाहर स्थित है। 
  • यह हिमालय के समानांतर पूर्व की ओर बहती है। 
  • नामचा बारवा शिखर (7,757 मीटर) के पास पहुँचकर यह अंग्रेजी के यू (U) अक्षर जैसा मोड़ बनाकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है। 
  • यहाँ इसे दिहाँग के नाम से जाना जाता है तथा दिबांग, लोहित, केनुला एवं दूसरी सहायक नदियाँ इससे मिलकर असम में ब्रह्मपुत्र का निर्माण करती है।
  • ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में सांगपो एवं बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है।
  • भारतीय जहाज़रानी मंत्रालय के अनुसार, भारत के इस कदम से न केवल लगभग 30 प्रतिशत परिवहन लागत की बचत होगी, बल्कि 8-10 दिनों का समय भी बचेगा।
  • इससे पूर्व भूटान और बांग्लादेश के मध्य यह व्यापार ट्रकों के माध्यम से किया जाता था। भूटान/बांग्लादेश से आने वाले ट्रकों को एक दूसरे के बॉर्डर पर पुनः लोड किया जाता था जिसमें काफी समय लगता था। इसके अतिरिक्त ट्रकों को सीमा शुल्क निकासी की लंबी-लंबी कतारों में भी रुकना पड़ता था, जिससे विलंब की अवधि और अधिक बढ़ जाती थी।
  • IWAI को बांग्लादेश-भूटान के व्यापार से प्रति किलोमीटर प्रति टन 2 पैसे का उपयोगकर्त्ता शुल्क प्राप्त होगा।
  • इस व्‍यवस्‍था से नौवहन क्षेत्र में एक सुनिश्चित मसौदे को बनाए रखने के लिये पूंजी निकर्षण पर बल दिया गया है। 

Bhutan-Bangladesh

  • सरकार अंतर्देशीय जलमार्ग और तटीय नौवहन के माध्‍यम से अधिक मालवाहक पोत परिवहन के उपयोग को बढ़ाने के लिये विभिन्न पहल कर रही है। इन उपायों में जलमार्गों में पानी की सुनिश्चित गहराई, GPS और नदी सूचना प्रणाली जैसे नौवहन सहायक, नियमित अंतराल पर टर्मिनल पर आवश्‍यक मालवाहक सुविधाएँ प्रदान करना शामिल हैं।
  • प्रमुख बंदरगाहों पर स्थित तटवर्ती पोतों की बर्थिंग को न्यूनतम 40% छूट और प्राथमिकता दी जा रही है।
  • मर्चेंट शिपिंग एक्ट 1958 की धारा 406 और 407 के तहत उर्वरकों, कृषि उत्पादों, मत्स्य पालन, बागवानी और पशुपालन उत्पादों, खाली कंटेनरों एवं कंटेनरों को एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाह तक आवागमन के लिये लाइसेंस में छूट दी गई है।

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण

(Inland Waterways Authority of India-IWAI)

  • अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास और विनियमन हेतु भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) की स्थापना 27 अक्तूबर, 1986 को की गई।
  • IWAI जहाज़रानी मंत्रालय (Ministry of Shipping) के अधीन एक सांविधिक निकाय है।
  • यह जहाज़रानी मंत्रालय से प्राप्त अनुदान के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्गो पर अंतर्देशीय जल परिवहन अवसंरचना के विकास और अनुरक्षण का कार्य करता है।
  • प्राधिकरण का मुख्यालय नोएडा (New Okhla Industrial Development Authority-NOIDA) में, क्षेत्रीय कार्यालय पटना, कोलकाता, गुवाहाटी और कोची में तथा उप-कार्यालय प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद), वाराणसी, भागलपुर, रक्का और कोल्लम में हैं।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अनुसार अभी तक 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
  • वर्ष 2018 में IWAI ने कार्गो मालिकों एवं लॉजिस्टिक्स संचालकों को जोड़ने हेतु समर्पित पोर्टल ‘फोकल’ (Forum of Cargo Owners and Logistics Operators-FOCAL) लॉन्च किया था जो जहाज़ों की उपलब्धता के बारे में रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराता है।
  • 2018 में IWAI ने गंगा नदी पर जलमार्ग विकास परियोजना के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ एक परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसका उद्देश्य वाराणसी से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) पर नौवहन (Navigation) की क्षमता में वृद्धि करना है।

भारत के लिये फायदेमंद

  • यह कदम भारत के साथ-साथ भूटान और बांग्लादेश के लिये भी लाभकारी होगा और पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करेगा। 
  • इस नवीन विकास से न केवल पड़ोसी देशों के साथ हमारे संबंध मज़बूत बनेंगे, बल्कि यह हमारे पूर्वोत्‍तर राज्यों के लिये एक वैकल्पिक मार्ग भी खोलेगा, जिससे देश के अन्य हिस्सों से इन स्थानों तक माल पहुँचाना आसान और सस्ता हो जाएगा

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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