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शासन व्यवस्था

COVID-19 संक्रमण के चरम बिंदु की समाप्ति

  • 19 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विभागीय समितियाँ

मेन्स के लिये:

विभिन्न संसदीय समितियाँ तथा उनकी आवश्यकता, COVID-19 संक्रमण तथा भारत

चर्चा में क्यों?

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक समिति द्वारा किये गए "COVID-19 इंडिया नेशनल सुपरमॉडल" (COVID-19 India National Supermodel) नामक अध्ययन के अनुसार, भारत में COVID-19 महामारी सितंबर माह में संक्रमण के चरम बिंदु को पार कर गई है और यदि वर्तमान रुझान जारी रहता है, तो फरवरी तक "न्यूनतम मामले" होंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • COVID-19 महामारी के भविष्य को लेकर गठित सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा किये गए अध्ययन के आधार पर कुछ निष्कर्ष प्रस्तुत किये गए हैं।
  • "COVID-19 इंडिया नेशनल सुपरमॉडल" नामक मॉडलिंग अध्ययन, समिति द्वारा गणितज्ञों और महामारी विज्ञानियों के विश्लेषण के परिणाम के आधार पर किया गया है।
  • भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समूहों द्वारा महामारी के कई गणितीय मॉडल-आधारित अनुमान लगाए गए हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष:

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  • अध्ययन के अनुसार, भारत में अगले वर्ष की शुरुआत तक 106 लाख संक्रमितों के ठीक होने की उम्मीद है और दिसंबर में 50,000 से कम सक्रिय मामले होने की उम्मीद है।
  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने अगस्त में अपने नवीनतम सीरो-सर्वेक्षण में अनुमान लगाया था कि भारत में लगभग 7% वयस्क आबादी वायरस से संक्रमित है।
  • समिति के अनुसार, कई शहरों में छोटे स्तर पर किये गए सीरो सर्वेक्षण के अनुसार, आबादी में 22 से 30% के बीच एंटीबॉडी प्रसार दिखा।
  • समिति के अनुसार, अगस्त में लगभग 14% आबादी के संक्रमित होने की संभावना थी।
  • समिति के अनुसार,  COVID-19 महामारी सितंबर माह में संक्रमण के चरम बिंदु को पार कर गई है लेकिन यह निम्नगामी प्रवृत्ति केवल तभी जारी रहेगी जब हम सुरक्षात्मक उपायों का प्रयोग करते रहेंगे।
  • भारत में पहले से ही संक्रमण के चरम बिंदु को पार कर जाने का एक संभावित कारण वायरस के प्रति अलग-अलग लोगों की बदलती संवेदनशीलता हो सकती है।
  • वायरस से संक्रमित कुछ लोग बीमारी विकसित करते हैं और कुछ लोग केवल एंटीबॉडी विकसित करते हैं। समिति के अनुसार, ‘हर्ड इम्यूनिटी’ विकसित करने के लिये 60 -70% आबादी को संक्रमित होने की आवश्यकता होगी।
  • अगर भारत में कोई लॉकडाउन लागू नहीं होता तो जून तक 40-147 लाख तक सक्रिय संक्रमण के मामले देखे जाते और 1 अप्रैल या मई से शुरू होने वाले लॉकडाउन में जुलाई तक 30-40 लाख संक्रमण के मामलों का चरम बिंदु देखा जाता।
  • व्यापक लॉकडाउन के साथ विभिन्न सुरक्षा प्रोटोकॉल जैसे- मास्क पहनना, सामाजिक दूरी को एक साथ लागू करना आदि ने भारत को कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में पहुँचाया है।
  • मौजूदा व्यक्तिगत सुरक्षा प्रोटोकॉल को पूर्ण रूप से जारी रखने की आवश्यकता है। अन्यथा संक्रमण में तेज़ी से वृद्धि देखने को मिलेगी। विशेष रूप से बंद स्थानों में भीड़भाड़ से बचना, बच्चों तथा  65 वर्ष से ऊपर के वृद्ध व्यक्तियों की विशेष देखभाल और इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों को अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है।

स्रोत-द हिंदू

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